‘वाणी वीणा वेणु’ कार्यक्रम का संगीत नाटक एकेडमी में लोगों ने लुत्फ़ उठाया , सरोद वादन और शहनाई वादन से बने शास्त्रीय संगीत का लोगों ने लिया आनंद

लखनऊ की संगीत नाटक एकेडमी स्थित वाल्मीकि रंगशाला में शनिवार को ‘वाणी वीणा वेणु’ कार्यक्रम आयोजित हुआ। पं. सियाराम तिवारी मेमोरियल संगीत ट्रस्ट, त्रिसामा आर्ट्स और वीडियोवालास के संयुक्त तत्वावधान में ये कार्यक्रम हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और ध्रुपद शैली का प्रचार था।
वीणा वीणा वेणु में भारतीय शास्त्रीय संगीत की तीन अलग-अलग विधाओं का संगम देखने को मिला। जिसमें वाणी के तौर पर दरभंगा घराने के गायक डॉ. सुमित पांडेय का ध्रुपद गायन, वीणा के रूप में सेनिया बंगाश घराने के प्रीतम घोषाल का सरोद वादन और वेणु में मेवाती घराने के लोकेश आनंद की शहनाई सुनने को मिली। तीनों विधाओं का मंचन देख दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं।
कार्यक्रम की शुरुआत ध्रुपद गायन से हुई। उन्होंने दरभंगा घराने की ध्रुपद परंपरा की चार चरण में त, ना, री, नोम–तोम आदि राग स्वरों को तानपुरा की धुन पर प्रस्तुत किया। पदों की प्रस्तुति लखनऊ के मशहूर कलाकार शशिकांत पाठक के पखावज संगत के साथ हुई। साथ ही सुमीत पांडे ने फरमाइश पर राग मेघ भी पेश किया। श्रोताओं ने कम सुने जाने वाले ध्रुपद गायन का भरपूर लुत्फ उठाया।
दूसरी प्रस्तुति दिल्ली से आए उस्ताद अमजद अली खान के शिष्ट प्रीतम घोषाल की रही। उन्होंने राग झींझोटी में पहले आलाप, जोड़, झाला जैसी रचनाएं पेश की। सभी रचनाएं सेनिया बंगाश घराने की पारंपरिक तीन ताल में बंधी हुई थीं। दर्शकों के कहने पर उन्होंने राग चारुकेसी से अपनी परफॉर्मेंस का समापन किया। उनके साथ तबले पर संगत दी बनारस घराने के सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने।

तीसरे क्रम में मेवाती घराने के लोकेश आनंद ने प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने शहनाई पर राग गोरख कल्याण में विलंबित और मध्यलय की रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीता। तबले पर उनका साथ दिया अरुणेश पांडेय ने।

इस दौरान कार्यक्रम में भातखण्डे विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ मांडवी सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता, उमा त्रिगुणायत, संगीतकार पं अमित मुखर्जी, अभिषेक शर्मा आदि मौजूद रहे।