बुखार और सांस के रोगी वायरल इन्फ्लूएंजा की जद में , पढ़िए रिपोर्ट

UP में कोरोना संक्रमण की दर भले ही नियंत्रण में हो लेकिन वायरल फीवर का अटैक कम नहीं हो रहा। होली से 15 दिन पहले संक्रमण में आई तेजी, अभी भी कम होने का नाम नही ले रही। डॉक्टर इसे इन्फ्लूएंजा-A का सब टाइप H3N2 वायरस बता रहे हैं। वायरस के लक्षणों वाले मरीजों का अस्पतालों में तांता लगा रहा।
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की OPD में होली के पहले H3N2 वायरस के अटैक के मामलों में 20% से 30% का इजाफा था। होली के बाद इसमें और ज्यादा इजाफा होने की आशंका हैं। कई मरीजों को इमरजेंसी में भर्ती किया गया है। ज्यादातर में सिम्पटम इन्फ्लूएंजा के ही पाए गए हैं। हालांकि अस्पतालों में अभी सिर्फ दवा देकर ही मरीज भेजे जा रहे हैं।
KGMU में चेस्ट और रेस्पिरेटरी एक्सपर्ट डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि इस समय बुखार के मरीजों की भीड़ आ रही है। ज्यादातर मरीज H3N2 के हैं, पर टेस्ट के बाद ही स्पष्ट रूप से कहा जा सकता हैं। हालांकि लक्षण सभी में इसी वायरस के लग रहे हैं। खांसी की समस्या और सांस की तकलीफ बढ़ी तो मरीज अस्पतालों में पहुंचने लगे।
वायरल के बाद हर दूसरा व्यक्ति लंबे समय तक खांसी, सांस फूलने और छींकने से पीड़ित हो रहा है। उत्तर भारत में जनवरी, फरवरी और मार्च के महीनों में फ्लू के अधिक मामले सामने आए हैं। H3N2 वायरस एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस हैं। जिसे इन्फ्लूएंजा A वायरस कहा जाता है। यह एक सांस में वायरल संक्रमण है, जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है।
खांसी
नाक बहना
नाक बंद होना
गले में खराश
सिरदर्द
शरीर में दर्द
बुखार
ठंड लगना
थकान
दस्त
उल्टी
सांस फूलना
मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग अहम
किसी भी प्रकार के वायरल संक्रमण को रोकने के लिए सावधानियों में पहले टीका लगवाना शामिल है। अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोते हुए अपने आस-पास को सैनिटाइज करें। बीमार या मास्क पहनने वाले लोगों के संपर्क से बचें। यदि आप छींक या खांस रहे हैं, तो सलाह दी जाती है कि अपना मुंह ढक लें क्योंकि वायरल संक्रमण संक्रामक है।