एक अपार्टमेंट के दरवाजे के बाहर अखबार और दूध के पैकेट तीन दिनों से इकट्ठा होते जा रहे थे। दरवाजे पर ना ताला डला था और ना ही अंदर से पिछले तीन दिनों से कोई बाहर निकला। जब पड़ोसी इकट्ठा हुए तो उन्हें संदेह हुआ। दरवाजे के पास गए तो सड़न की बदबू से ज्यादा देर वहां रुक नहीं सके। स्थिति संदिग्ध थी तो पड़ोसियों ने पुलिस को कॉल कर जानकारी दी।
पुलिस पहुंची, दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं मिला और फिर जब दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर पहुंची तो रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर आंखों के सामने था
अपने जमाने की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर एक्ट्रेस परवीन बाबी की लाश बिस्तर पर पड़ी थी, लेकिन पहचानने लायक नहीं थी। शरीर सड़ रहा था और कमरे में इतनी दुर्गंध थी कि कोई सांस नहीं ले पा रहा था।
कमरा पूरी तरह बेतरतीब था और बिस्तर के पास एक व्हीलचेयर पड़ी थी। परवीन बाबी की मौत उनकी लाश मिलने के 72 घंटे पहले ही हो चुकी थी। ना कोई रिश्तेदार था, ना दोस्त, ना कोई खबर लेने वाला।
परवीन बाबी की मौत की खबर मिलते ही बिल्डिंग के नीचे मीडिया जमा हो गई। कोई रिश्तेदार नहीं था, जो इनके शरीर को क्लेम करे। 50 साल की उम्र में खूबसूरत परवीन बाबी की सड़ती लाश मिलने की खबर पूरे देश के लिए बेहद शॉकिंग थी।
भूख से हुई मौत, पोस्टमॉर्टम में शरीर में नहीं मिले खाने के ट्रेसेस
रिपोर्ट में उनके शरीर में खाने का एक कतरा भी नहीं मिला था। परवीन बाबी कई दिनों से भूखी थीं, लेकिन उनके शरीर में अल्कोहल मिला था। रिपोर्ट में सामने आया कि परवीन ने मरने से 3-4 दिन पहले तक कुछ खाया नहीं था।
भूख से ही उनके शरीर के कई अंग काम करना बंद कर चुके थे।
परवीन के शरीर में सबसे ज्यादा सड़न उनके पैर में थी। पैर की उंगलियां काली पड़ चुकी थीं, गैंग्रीन का कारण उनकी हाई शुगर थी।
पैर सड़ने के कारण परवीन बाबी शायद चल नहीं पाती थीं, यही कारण था कि उनके बिस्तर के पास एक व्हीलचेयर मिली थी।
अधूरी मोहब्बत के बावजूद अंतिम संस्कार में पहुंचे महेश, डैनी, कबीर
23 जनवरी 2005, कूपर अस्पताल में परवीन बाबी का पोस्टमॉर्टम हो चुका था, लेकिन कोई रिश्तेदार उनके शव को क्लेम करने अस्पताल नहीं पहुंचा। लाश मिले दो दिन हो चुके थे, लेकिन फिर भी कोई खबर लेने नहीं पहुंचा। आखिरकार फिल्ममेकर महेश भट्ट उनका शव लेने अस्पताल पहुंचे, जो एक समय परवीन की मानसिक स्थिति बिगड़ने के बावजूद उनके लिए अपना परिवार छोड़ आए थे। महेश ने ही परवीन के अंतिम संस्कार का बंदोबस्त किया।
परवीन की अंतिम यात्रा में महेश भट्ट के अलावा कबीर बेदी और डेनी डेनजोंगपा भी शामिल हुए थे, जो परवीन बाबी की जिंदगी के तीन अहम किरदार थे, जिनसे कभी परवीन ने मोहब्बत की थी।
मौत से चंद महीनों पहले परवीन क्रिश्चियन हो चुकी थीं और उनकी ख्वाहिश थी कि उनका अंतिम संस्कार क्रिश्चियन रीति-रिवाजों से हो, लेकिन उनके मुस्लिम रिश्तेदारों ने इसका विरोध किया और उन्हें मुस्लिम रीति-रिवाजों से जुहू के सांताक्रूज कब्रिस्तान में दफनाया गया।
70-80 के दशक की सबसे खूबसूरत और ग्लैमरस एक्ट्रेस समझी जाने वाली परवीन बाबी के लाखों चाहने वाले रहे। ये पहली बॉलीवुड स्टार थीं, जिन्हें इंटरनेशनल टाइम मैगजीन के कवर पेज पर जगह मिली थी। अमर अकबर एंथोनी, शान, नमक हलाल, कालिया जैसी दर्जनों बेहतरीन फिल्मों में नजर आईं परवीन की आखिर इतनी दर्दनाक स्थिति में मौत कैसे हुई? वजह थी एक लाइलाज बीमारी पैरानॉइड सिजोफ्रैनिया, जिससे परवीन अमिताभ बच्चन, बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स, जॉन एफ कैनेडी को अपनी जान का दुश्मन समझने लगी थीं। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब चलती शूटिंग के दौरान परवीन ने अमिताभ पर जान लेने की कोशिश करने के संगीन आरोप लगाए और फिर कभी अचानक सेट से गायब हो गईं।
परवीन बाबी की जिंदगी की कहानी शुरुआत में परिकथा जैसी रही, लेकिन फिर जब बिगड़ी तो हर किसी ने उनका तमाशा बनते देखा। महेश भट्ट, डैनी डेनजोंगपा, कबीर बेदी इनकी जिंदगी की किताब का खूबसूरत पन्ना रहे जरूर, लेकिन परवीन ने उनसे भी दूरी बना ली।
4 अप्रैल 1954 को जूनागढ़, गुजरात में परवीन बाबी का जन्म वली मोहम्मद खान के घर हुआ, ये पश्तून के बाबी ट्राइब से थे, जो जूनागढ़ के नवाबों के खानदान से ताल्लुक रखते थे। परवीन का जन्म उनके पेरेंट्स की शादी के 14 साल बाद हुआ। महज 5 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया। अहमदाबाद से पढ़ाई पूरी करने के बाद परवीन ने मॉडलिंग शुरू की। कॉलेज के दिनों से ही बोल्ड परवीन सिगरेट पिया करती थीं। एक दिन कश लगाती हुईं परवीन पर फिल्ममेकर बीआर इशारा की नजर पड़ी और उन्होंने परवीन को हीरोइन बनाने की ठान ली।
परवीन को 1973 की फिल्म चरित्र मिली। फिल्म फ्लॉप थी, लेकिन बोल्ड, ब्यूटीफुल और ग्लैमरस परवीन को कई फिल्में मिल गईं। उन्होंने मजबूर (1974), दीवार (1975) जैसी दर्जनों हिट फिल्में दीं। परवीन का नाम टॉप एक्ट्रेसेस की लिस्ट में लिया जाता था, लेकिन फिर अचानक उनकी अजीबो-गरीब हरकतों से स्टारडम गिरने लगा।
साल 1983 में परवीन एक फिल्म की शूटिंग करते हुए अचानक सेट से गायब हो गईं। न उन्होंने किसी को जानकारी दी और न ही किसी को कोई खबर थी। इस दौरान खबरें उड़ी कि परवीन पर अंडरवर्ल्ड के लोगों की नजर थी, जिन्होंने उन्हें गायब कर दिया। एक्ट्रेस की कई फिल्में उनकी नामौजूदगी में ही रिलीज हो गईं। 6 साल बाद परवीन ने मुंबई वापस आकर सफाई दी कि उन्होंने अध्यात्म के लिए इंडस्ट्री छोड़ी थी।
1989 में परवीन बाबी मुंबई आ गईं। इसी बीच खबरें सामने आईं कि परवीन बाबी को पैरानॉइड सिजोफ्रैनिया नाम की गंभीर बीमारी है, लेकिन हर बार पूछे जाने पर उन्होंने इससे इनकार कर दिया। परवीन ने बीमारी के जवाब में कहा कि इंडस्ट्री के लोग उन्हें जानबूझकर पागल करार दे रहे हैं। परवीन के अजीबो-गरीब बयानों के चलते फिल्म इंडस्ट्री के लोग, उनके दोस्त उनसे दूरी बनाने लगे
परवीन बाबी का इंडस्ट्री में पहला अफेयर डैनी डेनजोंगपा से रहा। दोनों का रिश्ता करीब 4 साल तक चला। परवीन कबीर बेदी के साथ भी रिलेशन में रहीं, लेकिन ये रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चला। कबीर बेदी से ब्रेकअप के बाद परवीन की मुलाकात महेश भट्ट से हुई, जो पहले से शादीशुदा थे। महेश उस समय इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे थे, जबकि परवीन बाबी इंडस्ट्री में एक जाना-माना नाम थीं।
परवीन बाबी और महेश भट्ट की नजदीकियों के चलते महेश की शादीशुदा जिंदगी में दिक्कतें आने लगीं, लेकिन फिर भी उन्होंने परवीन को तवज्जो दी।
परवीन बाबी की मौत के बाद महेश भट्ट ने फिल्मफेयर मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, हमारा रिश्ता 1977 में शुरू हुआ था, जब परवीन अमर अकबर एंथोनी और काला पत्थर की शूटिंग कर रही थीं। हम साथ रहने लगे थे, लेकिन एक दिन अचानक बुरी कहानी शुरू हो गई। 1979 की शाम मैं उसके घर पहुंचा तो देखा कि उनकी बुजुर्ग मां जमाल बाबी कॉरिडोर में सहमी हुई खड़ी हैं। उन्होंने फुसफुसाकर कहा ‘देखो परवीन को क्या हुआ’। मैं अंदर गया तो देखा कि ड्रेसिंग टेबल पर लाइन से परफ्यूम की बोतलें रखी हुई हैं और परवीन फिल्म कॉस्ट्यूम में पलंग और दीवार के बीच दुबकी बैठी थी। वो कांप रही थी और उसके हाथ में एक चाकू था।
मैंने उससे पूछा कि क्या कर रही हो, तो उसने शांत करवाते हुए धीमी आवाज में कहा, श्शशश…बात मत करो। इस कमरे में जासूसी करने वाले लोगों ने डिवाइस लगा दी है। वो मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं। वो मुझ पर झूमर गिराने की कोशिश कर रहे हैं। वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे बाहर ले आई। उसकी मां निराशा के साथ मुझे देख रही थीं। उनकी आंखें बता रही थीं कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।
पैरानॉइड सिजोफ्रैनिया एक लाइलाज बीमारी है, जिससे ग्रसित मरीज को लगता है कि उसके आसपास के लोग उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं और उसकी जान लेना चाहते हैं। यही कारण था कि परवीन अपने सभी करीबियों पर शक करने लगी थीं।
पैरानॉइड सिजोफ्रैनिया एक लाइलाज बीमारी है, जिससे ग्रसित मरीज को लगता है कि उसके आसपास के लोग उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं और उसकी जान लेना चाहते हैं। यही कारण था कि परवीन अपने सभी करीबियों पर शक करने लगी थीं।
परवीन के इलाज के लिए महेश भट्ट ने की हर मुमकिन कोशिश
परवीन की ऐसी हालत देख महेश समझ चुके थे कि उनकी हालत बिगड़ती जा रही है और उन्हें इसके इलाज की सख्त जरूरत है। महेश, परवीन को लेकर कई नामी डॉक्टर्स के पास गए। पहले तो परवीन को मेडिसिन से ट्रीट करने की कोशिश की गई, लेकिन उससे बात नहीं बनी तो डॉक्टर्स ने उन्हें शॉक थैरेपी देने को कहा, लेकिन महेश भट्ट इसके खिलाफ थे। वहीं इंडस्ट्री से जुड़े दूसरे लोग चाहते थे कि परवीन को शॉक दिया जाए।
महेश ने फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में कहा- परवीन की हालत बिगड़ती जा रही थी। कभी वो कहती थी कि एयरकंडीशनर में इलेक्ट्रिक चिप है, जिससे उन्हें पूरा एयरकंडीशनर खोलकर दिखाया जाता था।
एक दिन हम एक दोस्त यू.जी.कृष्णमूर्ति से मिलकर लौट रहे थे जो एक फिलोसोफर भी हैं। परवीन ने रास्ते में चिल्लाना शुरू कर दिया कि कार में बॉम्ब है और मुझे बॉम्ब का अलार्म सुनाई दे रहा है। ये कहते ही परवीन चलती कार से उतरने की कोशिश करने लगीं। रास्ते में लोगों को लग रहा था कि परवीन और मेरी लड़ाई हो रही है। जैसे-तैसे मैंने उसे टैक्सी से घर पहुंचाया। मेरे डॉक्टर दोस्त ने मुझे सलाह दी कि कंडीशन बिगड़ने से पहले मैं परवीन को स्टारडम और लोगों से दूर ले जाऊं। मैं 1979 में परवीन को लेकर बॉम्बे से बैंगलोर शिफ्ट हो गया। बैंगलोर जाने के बाद डॉक्टर ने सलाह दी कि मेरी वजह से भी परवीन की हालत ठीक नहीं हो पा रही है। लिहाजा मैंने उसे छोड़ दिया और मैं अपनी पत्नी के पास लौट गया। इसके बावजूद मैं लगातार उसके और डॉक्टर के संपर्क में रहकर मदद करता रहा।
एक दिन महेश भट्ट, परवीन से मिलने बैंगलोर आए। परवीन ने उन्हें सिड्यूस करते हुए कहा, या तो मैं या तो डॉक्टर। महेश समझ चुके थे कि दोनों का रिश्ता खत्म हो चुका है। महेश उन्हें छोड़कर घर से निकल गए। महेश का ठुकराना परवीन से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उनके पीछे कम कपड़ों में ही दौड़ पड़ीं। 1980 में महेश भट्ट ने परवीन बाबी से सारे रिश्ते खत्म कर लिए। इसके बाद परवीन मुंबई लौट आईं और फिल्मों में काम करने लगीं। कुछ महीनों बाद परवीन और महेश की मुलाकात हुई, लेकिन परवीन ने सिर्फ उनसे काम की बात की और चली गईं।
साल 1984 में परवीन बाबी को न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर पुलिस ने पकड़कर पागलखाने में बंद करवा दिया। परवीन एयरपोर्ट पर अजीब बर्ताव कर रही थीं, जब सिक्योरिटी स्टाफ ने उनसे पूछताछ की तो वो अपनी पहचान नहीं बता सकीं। उन्हें हथकड़ियां पहनाकर पागलों के साथ बंद कर दिया गया। इस बात की खबर मिलने के बाद जैसे ही इंडियन काउंसिल के लोग उनके पास पहुंचे तो परवीन मुस्कुराने लगीं। मानों कि कुछ हुआ ही न हो
साल 1988 में शान फिल्म के टाइटल सॉन्ग की शूटिंग के दौरान परवीन ने अचानक शूटिंग रुकवा दी। उन्होंने जान के खतरे के डर से सेट पर लगे झूमर के नीचे खड़े होने से इनकार कर दिया। परवीन ने को-स्टार अमिताभ बच्चन पर आरोप लगाया कि वो उनके ऊपर झूमर गिराकर जान लेना चाहते हैं। परवीन के ये संगीन आरोप सुनकर हर कोई हैरान था, लेकिन उनकी मानसिक स्थिति किसी से छिपी नहीं थी। शूटिंग रुक गई और परवीन घर चली गईं।
साल 1989 में एक फिल्म मैगजीन को दिए इंटरव्यू में परवीन ने कहा- अमिताभ बच्चन सुपर इंटरनेशनल गैंगस्टर हैं। वो मेरी जान के पीछे हैं। उनके गुंडों ने मुझे किडनैप किया और एक आइलैंड में रखा, जहां उन्होंने सर्जरी कर मेरे कान के नीचे एक ट्रांसमिटेड चिप लगाई है। इस इंटरव्यू के साथ परवीन की तस्वीर आई जिसमें उनके कान के नीचे कट था।
परवीन ने बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स, यूएस गवर्नमेंट, बीजेपी गवर्नमेंट, अमिताभ बच्चन समेत कई नामी लोगों के खिलाफ केस फाइल किया। परवीन का कहना था कि ये लोग उनकी जान लेना चाहते हैं। कोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते केस बंद कर दिया।
परवीन को लोगों ने सिरफिरा समझना शुरू कर दिया और उनसे दूरियां बना लीं। परवीन अपने मुंबई स्थित पेंटहाउस में अकेले रहने लगीं। उन्होंने लोगों से मिलना बंद कर दिया।
1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 2002 में परवीन बाबी ने एक एफिडेविट फाइल कर कहा था कि उनके पास संजय दत्त के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। उन्हें सुनवाई के लिए कोर्ट बुलाया गया, लेकिन वो पहुंची ही नहीं। बाद में उन्होंने कहा कि अगर मैं आती तो वो लोग मुझे मार देते
महेश ने इंटरव्यू में बताया, वो 22 जनवरी 2005 का दिन था, जब मैं एयरपोर्ट पर था। हैदराबाद से वापस आते हुए मेरे फोन में SMS की बाढ़ आ गई थी। पढ़ा तो पता चला कि परवीन बाबी की मौत हो चुकी है। वो अपने अपार्टमेंट में मरी हुई मिली थीं। मेरे लिए यकीन करना मुश्किल था। मुझे पता चला कि उसकी डेड बॉडी कूपर अस्पताल में है और कोई रिश्तेदार उसे क्लेम करने नहीं पहुंचा। मैंने उसकी जिम्मेदारी ली। वो मेरी कामयाबी का कारण थी। उससे अलग होने के बाद ही मैंने फिल्म अर्थ बनाई और कामयाबी हासिल की। जब 23 जनवरी को उसे दफनाया जा रहा था तब मुझे लगा कि मैं इसके बिना क्या होता। उसने मेरे अस्तित्व को अर्थ दिया।
परवीन बाबी की मौत के 18 सालों बाद भी उनका जुहू स्थित फ्लैट खाली है, जहां उनका शव मिला था। इस फ्लैट की कीमत 15 करोड़ रुपए है और किराया 4 लाख रुपए। 2014 में एक शख्स ने ये फ्लैट किराए पर लिया जरूर था, लेकिन कमर्शियल इस्तेमाल करने पर उसे फ्लैट से निकाल दिया गया। इसके बाद से ही कोई उस फ्लैट में नहीं रहना चाहता। ई-टाइम्स के सोर्स के अनुसार लोग उस घर में रहने से डरते हैं। कुछ लोग फ्लैट देखने आते जरूर हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चलता है कि ये फ्लैट परवीन का है और यहीं उनकी मौत हुई है तो वो डर जाते हैं। ये फ्लैट आज भी खाली है।