प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 देशों के सम्मेलन के दौरान फ्रांस में रहने वाले भारतीय समुदाय को संबोधित किया है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में चरमपंथ, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी.प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के शुरुआती हिस्से में कहा, “जब मैं 4 साल पहले फ्रांस आया था, तो हज़ारों की संख्या में भारतीयों से संवाद का अवसर मिला था. मुझे याद है, तब मैंने आपसे एक वादा किया था. मैंने कहा था कि भारत आशाओं और आकांक्षाओं के नए सफर पर निकलने वाला है. और आज जब आपके बीच आया हूं तो नम्रता के साथ, विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम न सिर्फ़ उस सफर पर निकल पड़े हैं, बल्कि 130 करोड़ भारतीयों के सामूहिक प्रयासों से भारत तेज गति विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.”
पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 का नाम लिए बिना कहा, “अब हिंदुस्तान में टेंपरेरी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. आपने देखा होगा कि राम और कृष्ण के देश और गांधी और बुद्ध की धरती में टेंपरेरी को निकालते-निकालते 70 साल चले गए. मुझे तो समझ नहीं आ रहा है कि इस पर हंसना है कि रोना है.”
भाई-भतीजावाद पर प्रहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भाई-भतीजावाद के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में, एक तय समय में सबसे ज़्यादा बैंक अकाउंट अगर किसी देश में खुले हैं, तो वो भारत है. पूरी दुनिया की अगर आज सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम किसी देश में चल रही है, तो वो भारत है. ये भी सच है कि पिछले पांच सालों में हमने देश से अनेक कुरीतियों को रेड कार्ड भी दे दिया है. आज नए भारत में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद, जनता के पैसे की लूट, आतंकवाद पर जिस तरह लगाम कसी जा रही है, वैसा कभी नहीं हुआ.”
प्रधानमंत्री मोदी ने और क्या क्या कहा..
नई सरकार बनते ही जल शक्ति के लिए एक नया मंत्रालय बनाया गया, जो पानी से संबंधित सारे विषयों को समावेशित ढंग से देखेगा.
गरीब किसानों और व्यापारियों को पेंशन की सुविधा मिले, इसका भी फैसला लिया गया.
ट्रिपल तलाक की अमानवीय कुरीति को ख़त्म कर दिया गया है.
इसी तरह बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार ने अहम फैसले लिए हैं.
आज इस बात की भी बहुत चर्चा है कि इस बार हमारी संसद के सत्र में पिछले 6 दशकों में सबसे ज़्यादा काम हुआ.
हमने साम्राज्यवाद, फासीवाद, और चरमपंथ का मुकाबला भारत में ही नहीं बल्कि फ्रांस की धरती पर भी किया है.
हमारी दोस्ती ठोस आदर्शों पर बनी है. दोनों देशों के चरित्र का निर्माण ‘लिबर्टी, इक्वलिटी और फ्रेटरनिटी’ के साझा मूल्यों से हुआ है.
आज अगर भारत और फ्रांस दुनिया के बड़े खतरों से लड़ने में नजदीकी सहयोग कर रहे हैं तो उसका कारण भी यह साझा मूल्य ही है. चाहे वह आंतकवाद हो या फिर जलवायु परिवर्तन.
लोकतंत्र के मूल्यों को इन ख़तरों से बचाने की हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी को हमने भली भांति स्वीकारा है.