तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद आतंकवाद को बढ़ावा देने में जुटे पाकिस्तान सरकार को बेनकाब करने का भारत को अगले वर्ष बेहतरीन मौका हाथ लगेगा। भारत एक जनवरी, 2022 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में आतंकवाद के खिलाफ गठित समिति की अध्यक्षता करेगा। भारत की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि वह परिषद के सदस्य देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को सहयोग का केंद्र बनाने के लिए काम करेगा। इस बारे में फ्रांस, ब्रिटेन, रूस जैसे सहयोगी देशों के साथ और बेहतर संपर्क कायम कर काम किया जाएगा। भारत की कोशिश होगी कि जो आतंकी पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं, उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाए।
भारत के भावी रुख को संयुक्त राष्ट्र में राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने स्पष्ट किया है। एक दिन पहले यूएनएससी में आतंकवाद रोधी समिति (सीटीसी) के तहत अधिशासी निदेशालय को वर्ष 2025 तक बनाए रखने के लिए वो¨टग प्रक्रिया समाप्त हुई है। भारत ने इसके समर्थन में वोट दिया और सभी देशों से आग्रह किया कि वे किसी खास उद्देश्य से होने वाली घटनाओं को आतंकी घटना करार देते हुए उनके खिलाफ एकजुट हों।
इसके साथ ही भारत ने प्रतिबद्धता दोहराई है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर चलेगा और दूसरे देशों को साथ लेकर चलेगा। भारत ने यह भी कहा है कि वह सीटीसी के तहत उठाए जाने वाले कदमों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए काम करेगा। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि सीटीसी के फैसले को लागू करने वाले निदेशालय (सीटीईडी) को मजबूत बनाया जाए और उसे ज्यादा अधिकार दिया जाए।
भारत के संदेश में अफगानिस्तान की घटनाओं के बाद आतंकवाद को लेकर जिस तरह से वैश्विक समुदाय बंटा हुआ है, उसकी तरफ भी इशारा किया गया है। भारत ने कहा है कि आतंकियों को उनकी प्रेरणा के आधार पर चिह्नित करने का विरोध करना चाहिए। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना चाहिए। इस मुद्दे पर विभाजन एक बार फिर 11 सितंबर को अमेरिका पर हुए हमले से पहले वाली स्थिति में दुनिया को पहुंचा देगा। तब ‘हमारे आतंकी’ और ‘तुम्हारे आतंकी’ का माहौल था। हम किसी को भी किसी तरह के आतकंवाद को जायज ठहराने की छूट नहीं दे सकते।
भारत पिछले कई वर्षो से सीटीईडी को मजबूत बनाने का अभियान छेड़े हुए है। लेकिन द्विपक्षीय वार्ताओं में इस पर सहमति जताने के बावजूद कई देश जमीनी तौर पर इस बारे में कदम नहीं उठा पाए हैं। अब जबकि भारत यूएनएससी की एक प्रमुख समिति का अध्यक्ष बन रहा है तो वह इस बारे में दूसरे देशों को लेकर आगे बढ़ सकता है। अगर सभी देशों की मदद मिले तो सीटीईडी एक तरह से एफएटीएफ की तरह ही प्रभावशाली बन सकता है।
एफएटीएफ यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स दूसरे देशों में आतंकवाद की फंडिंग रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर काफी बेहतर काम कर रहा है। इसके भय से पाकिस्तान सरकार को कई तरह के कानूनी कदम उठाने पड़े हैं। भारत की मंशा है कि सीटीईडी के सदस्य भी आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप मिलने पर सदस्य देशों की यात्रा करें और इस बात की समीक्षा करें कि वह देश यूएन की तरफ से पारित प्रस्तावों को कितना लागू कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के लिए अजहर मसूद, हाफिज सईद जैसे आतंकियों को बचाना मुश्किल हो जाएगा। इन्हें संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित किया हुआ है, लेकिन इन्हें पाकिस्तान में पूरी आजादी है। ये भारत के खिलाफ लगातार साजिश भी कर रहे हैं।