पेंटर से एक्टर बनेअशोक कुमार तो खूब रोईं मां, जानिए हीरो के बारे में

बाॅलीवुड के पहले सुपरस्टार अशोक कुमार की आज 21वीं पुण्यतिथि है। 300 से अधिक फिल्मों में नजर आ चुके ये उन सितारों में से एक हैं जिन्होंने लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। पिता उन्हें एक वकील बनाना चाहते थे, लेकिन उसकी परीक्षा में फेल हुए तो घरवालों की डांट से बचने के लिए भागकर मुंबई आ गए और बतौर लेबोरेटरी असिस्टेंट करियर की शुरुआत की।

फिल्मी करियर जितना सफल, पर्सनल लाइफ भी उतनी ही दिलचस्प। 25 साल की उम्र में शादी हुई, लेकिन पत्नी शोभा का चेहरा शादी के अगले दिन ही देख पाए। शादी के कुछ घंटों पहले तक अशोक कुमार को पता ही नहीं था कि उनकी शादी होने वाली है। कई एक्ट्रेसेस से अफेयर भी रहा।

एक्टर होने के साथ ही ये बहुत अच्छे पेंटर भी थे। उन्होंने करीब 300 पेंटिंग्स बनाईं, जिनमें कुछ न्यूड पेंटिंग्स भी थीं। उन्होंने अपनी पत्नी की भी न्यूड पेंटिंग बनाई थी। जिनकी नीलामी इनकी बेटी ने की थी। अशोक कुमार के बर्थडे पर उनके भाई किशोर कुमार का निधन हो गया था जिसके बाद उन्होंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया।

अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर 1911 को भागलपुर के एक बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता कुंजीलाल गांगुली एक वकील थे और मां एक गृहिणी। अशोक कुमार का बचपन में नाम कुमुदलाल था और वो 4 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके सबसे छोटे भाई का नाम आभास था, जो आगे चलकर किशोर कुमार बने।
उनके दूसरे भाई का नाम अनूप कुमार था, उन्होंने भी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर एक्टर काम किया। अशोक कुमार से कुछ साल छोटी बहन सती देवी थी, जिनकी शादी 16 साल की उम्र में फिल्ममेकर शशधर मुखर्जी से हुई थी।
पिता जी वकील थे तो चाहते थे कि बेटा भी एक नामी वकील बने इसलिए उन्होंने अशोक कुमार का एडमिशन एक लाॅ काॅलेज में करा दिया। काॅलेज के पहले ही सत्र में वो फेल हो गए और घर पर पिताजी की डांट से बचने के लिए वो भाग कर बहन के पास मुंबई चले गए।
मुंबई पहुंचने के बाद अशोक कुमार नौकरी करना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने जीजा शशधर मुखर्जी से गुजारिश की कि वो उनकी कहीं नौकरी लगवा दें। शशधर मुखर्जी उस समय बॉम्बे टॉकीज में टेक्निकल डिपार्टमेंट में सीनियर पद पर थे। उन्होंने अपनी पहचान से अशोक कुमार की नौकरी बॉम्बे टॉकीज में ही लेबोरेटरी असिस्टेंट के पद पर लगवा दी।
अशोक कुमार अपनी इस नौकरी से खुश थे और उन्हें ये खुशी वकील की पढ़ाई में नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपने पिता को भी मनाने की बहुत कोशिश की कि वो इस नौकरी में बहुत खुश हैं और वकील नहीं बनना चाहते।
इससे पहले पिता उनकी इस बात पर कोई और फैसला लेते और उनको दोबारा अपने पास वापस बुला लेते, अशोक कुमार ने अपने जीजा जी को पिता को मनाने के लिए राजी कर लिया। शशधर मुखर्जी ने अपने ससुर से बात की और अशोक कुमार को मुंबई में ही रहने देने के लिए राजी कर लिया।
बात है 1936 की। बाॅम्बे टाॅकीज के बैनर तले फिल्म जीवन नैया बन रही थी। इस फिल्म के लीड एक्टर निजाम-उल-हसन थे और एक्ट्रेस देविका रानी थीं, जो इस फिल्म के डायरेक्टर हिमांशु राय की पत्नी थीं। इसी बीच ये खबर आई कि देविका रानी फिल्म के हीरो निजाम-उल-हसन के साथ भाग गईं। हालांकि बाद में वो पति हिमांशु राय के वापस आ गई थीं। हसन की इस हरकत की वजह से डायरेक्टर हिमांशु इतना नाराज हो गए कि उन्होंने फिल्म से उनको निकाल दिया और इसके बाद उन्होंने अशोक कुमार को लीड एक्टर के तौर पर कास्ट किया।
जहां फिल्मी इंडस्ट्री को एक नया हीरो मिल गया वहीं दूसरी तरफ जब ये बात अशोक कुमार के परिवार को पता चली कि वे फिल्में करने लगे हैं तो उनके घर पर भूचाल आ गया। मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। इस खबर के बाद उनके पिता राजस्थान के नागौर गए और वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल से मिले जो उनके बहुत अच्छे दोस्त भी थे। उन्होंने बेटे से जुड़ी बातें बताईं और अशोक कुमार के लिए नौकरी की गुजारिश की। रविशंकर शुक्ल ने उन्हें दो नौकरी के ऑफर लेटर दिए जिसे लेकर अशोक कुमार के पिता मुंबई आ गए और बेटे से मुलाकात की।

पिता ने अशोक कुमार से फिल्में छोड़ने की डिमांड की और कहा, ‘मेरी हिमांशु राय से मुलाकात करा दो’। इसके बाद अशोक कुमार हिमांशु के पास गए और कहा, ‘पिता जी दो नौकरी के ऑफर लेटर लेकर आए हैं और फिल्में छोड़ने को कह रहे हैं। साथ ही वो आप से भी मिलना चाहते हैं।’

अकेले में हिमांशु राय और पिता ने बात की। थोड़ी देर बाद जब पिता अशोक कुमार के पास आए तो उन्होंने दोनों जाॅब लेटर को फाड़ दिया और कहा, ‘हिमांशु राय कहते हैं कि अगर तुम यहां रहोगे तो इस फील्ड में बहुत आगे जाओगे। इसलिए मुझे लगता है कि तुम्हें यहीं रुकना चाहिए।’
फिल्मों में एंट्री लेने से ठीक एक साल पहले 1935 में अशोक कुमार की शादी शोभा देवी से हुई थी। शादी होने से पहले जब पहली बार अशोक कुमार उन्हें देखने गए थे तो उस वक्त वो 18 साल के थे और शोभा महज 8 साल की। जब अशोक कुमार परिवार समेत उनके घर पहुंचे तो उस समय शोभा ने किचन में काम करते हुए झट से 50 रोटियां बना दीं। अशोक उनकी इस बात से बहुत इम्प्रेस हुए। हालांकि उस वक्त दोनों की शादी नहीं हुई और दोनों ने एक-दूसरे को देखा भी नहीं था। इसके बाद अशोक कुमार वापस आकर मुंबई में काम करने लगे।

कुछ साल बाद मां को अशोक कुमार की चिंता सताने लगी इसलिए पिता ने उन्हें अचानक घर खंडवा (मध्य प्रदेश) बुला लिया। अशोक कुमार घर पहुंचते कि इससे पहले ही रेलवे स्टेशन से पिता उन्हें लेकर कोलकाता चले गए। अशोक कुमार को नहीं पता था कि वो क्यों कोलकाता जा रहे हैं, लेकिन रास्ते में पता चला कि उनकी शादी होने वाली है। आखिरकार शादी हुई और उन्होंने शादी के अगले दिन पत्नी शोभा को देखा। जिस वक्त शादी हुई थी, उस वक्त वो 25 साल के थे और शोभा 15 साल की
अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया कि शुरू के 13 साल वो शोभा के प्रति वफादार थे, लेकिन उसके बाद उनका मन भटक गया था। फिल्म नाज के समय उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया था, लड़कियों से मिलने लगे थे और कई एक्ट्रेसेस संग अफेयर भी रहे।

एक्ट्रेस नलिनी जयवंत के साथ भी उनका अफेयर रहा। इस बात की सभी ओर चर्चा थी, लेकिन शोभा को इस बात का विश्वास था कि उनके पति ऐसी हरकत कभी नहीं कर सकते हैं।1986 में दोनों की शादी के 50 साल पूरे होने वाले थे इसलिए शोभा बहुत खुश थीं और वो होटल में एक बड़ी पार्टी देना चाहती थीं। हालांकि इसके 4 दिन पहले ही वो बीमार पड़ गईं और दो दिन बाद उनका निधन हो गया।

अशोक कुमार की करियर जर्नी पर वापस आते हैं। पिताजी के आश्वासन के बाद देविका रानी के साथ अशोक कुमार की फिल्म अछूत कन्या रिलीज हुई, जो हिंदी सिनेमा की हिट फिल्मों में से एक है।
कई फिल्मों को करने के बाद अशोक कुमार ने वो कर दिखाया जो तब सिनेमाई इतिहास में किसी ने नहीं किया था। 1943 में रिलीज हुई थी फिल्म किस्मत। ये हिंदी सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म है जिसने बाॅक्स ऑफिस पर 1 करोड़ रुपए की कमाई की थी। साथ ही अशोक कुमार पहले ऐसे एक्टर बने जिन्होंने फिल्म में एंटी हीरो का रोल प्ले किया
इस फिल्म के बाद उनकी पाॅपुलैरिटी बहुत बढ़ गई। फैंस की दीवानगी इस कदर थी कि जब कभी अशोक कुमार घर से निकलते थे, तो भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती और ट्रैफिक भी रुक जाता था। भीड़ पर कभी-कभी तो पुलिस को लाठियां भी चलानी पड़ती थीं। राॅयल फैमिली से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के बीच भी अशोक कुमार की जबरदस्त फैन फाॅलोइंग थी।
जहां एक तरफ देव आनंद, दिलीप कुमार, राज कुमार जैसे सितारे फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ अशोक कुमार की एक से बढ़कर एक हिट फिल्में रिलीज हो रही थीं। इस लिस्ट में अफसाना, नौबहार, एक साल, परिणीता जैसी फिल्में शामिल थीं।
अशोक कुमार को न्यूड पेंटिंग्स बनाने का भी शौक था। शौक ऐसा कि उन्होंने अपनी वाइफ की न्यूड पेंटिग बनाई थी। इसके अलावा उन्होंने 300 न्यूड्स और अन्य तरह की पेंटिंग्स बनाई थी। उनकी बेटी भारती जाफरी इन पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं।
इतने सफल करियर के बावजूद अशोक कुमार भी तंगी का शिकार हुए थे। उनकी लोकप्रियता बनी रही, लेकिन गुजारे के लिए उन्हें अपनी गाड़ियां और प्राॅपर्टी बेचनी पड़ी थी। उन्होंने बहुत संघर्ष किया और लगातार फिल्मों में काम करते रहे ताकि इसका असर उनके परिवार पर ना पड़े।

60 के दशक में अशोक कुमार लीड रोल से हटकर कैरेक्टर रोल करने लगे थे। 1968 में उन्हें फिल्म आशीर्वाद के लिए नेशनल और फिल्मफेयर अवाॅर्ड से नवाजा गया था। 70 और 80 के दशक में वो शशि कपूर और राजेश खन्ना के साथ कई फिल्मों में नजर आए थे
1962 में फिल्म राखी रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अशोक कुमार की बहन के रोल में वहीदा रहमान नजर आई थीं। उन्होंने बताया कि क्लाइमैक्स में मरने वाले सीन में अशोक कुमार को भारी आवाज में डायलाॅग बोलने हैं। इसके लिए उन्होंने ये सुझाव दिया कि अशोक कुमार बर्फ का पानी पिएं और उसके बाद डायलाॅग बोलें। अशोक कुमार ने ऐसा ही किया और कई गिलास बर्फ का पानी पिया, लेकिन उसके बाद भी आवाज में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने लगातार 2 दिनों तक ऐसा किया, जिस वजह से उन्हें तीसरे दिन बुखार हो गया। इसके बाद वो बेहाश हो गए जिस वजह से उन्हें अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिनों बाद इस वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी और बाद में पता चला कि उन्हें अस्थमा हो गया है।
बात है 1996 की। अशोक कुमार बीमार पड़ गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। वहां डाॅक्टर ने कहा कि अब वो जिंदा नहीं बचेंगे। डाॅक्टर की इस बात से वो भड़क गए और कहा, ‘वो कौन होते हैं, ये कहने वाले कि मैं जिंदा नहीं बचूंगा’। साथ ही उन्होंने डाॅक्टर को घूंसा भी मार दिया। उनका गुस्सा इस कदर था कि उन्हें इंजेक्शन देकर शांत कराना पड़ा। हालांकि डाॅक्टर की बात गलत निकली और वो 2 दिन बाद सही होकर घर चले गए।
13 अक्टूबर 1987 को अशोक कुमार का 76वां जन्मदिन था। अचानक इसी दिन छोटे भाई किशोर कुमार की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जन्मदिन की खुशियां मातम में बदल गईं। अशोक कुमार का अपने भाइयों से काफी लगाव था। दोनों भाई अनूप और किशोर की पढ़ाई से लेकर मुंबई में सेटल हो जाने तक की सारी जिम्मेदारियां उन्होंने ही उठाई थीं। अपने जन्मदिन पर छोटे भाई की मौत हो जाने के बाद उन्होंने कभी अपना जन्मदिन सेलिब्रेट नहीं किया।
90 साल की उम्र में अशोक कुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। 10 दिसंबर 2001 को हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन मुंबई के चेंबूर में हुआ था।