95वें ऑस्कर सेरेमनी में भारत ने पहली बार दो अवॉर्ड जीते। फिल्म RRR के गाने नाटू-नाटू ने बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का अवॉर्ड जीता। वहीं, द एलिफेंट व्हिस्परर्स बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म बनी। इस मौके पर जानते हैं ऑस्कर के इतिहास को।
ऑस्कर को लेकर सवाल कई हैं। जैसे ऑस्कर शुरू कब से हुआ, किसने शुरू किया, क्यों ये दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म अवॉर्ड है, से लेकर ऑस्कर में फिल्में चुनी कैसे जाती हैं? ट्रॉफी के साथ क्या कलाकारों को पैसा भी मिलता है? तक ऐसे कई सवाल हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस अवॉर्ड का नाम ऑस्कर क्यों पड़ा इसे लेकर आज तक रहस्य है। खुद ऑस्कर कमेटी ने भी इसे कभी क्लियर नहीं किया।
ऑस्कर अवॉर्ड का पहले नाम एकेडमी अवॉर्ड था। इसकी नींव 1927 में रखी गई थी। अमेरिका के MGM स्टूडियो के प्रमुख लुईस बी मेयर ने अपने तीन दोस्तों एक्टर कॉनरेड नागेल, डायरेक्टर फ्रैड निबलो और फिल्ममेकर फीड बिटसोन के साथ मिलकर एक ऐसा ग्रुप बनाने का प्लान बनाया, जिससे पूरी इंडस्ट्री को फायदा मिले। एक ऐसा अवॉर्ड शुरू किया जाए जिससे फिल्म मेकर्स को मोटिवेशन मिले। इस आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए लोगों को जोड़ना जरूरी था।
इसके लिए हॉलीवुड के 36 सबसे नामी लोगों को लॉस एंजलिस के ऐंबैस्डर होटल में बुलाया गया। उनके सामने “इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑफ आर्ट एंड साइंस” बनाने का प्रस्ताव रखा गया। सारे लोग राजी हो गए। मार्च 1927 तक इसके अधिकारी चुने गए। जिनके अध्यक्ष हॉलीवुड एक्टर और प्रोड्यूसर डगलस फेयरबैंक्स बने।
11 मई 1927 में 300 जानी मानी हस्तियों की दावत रखी गई जिनमें से 230 लोगों ने 100 डॉलर में एकेडमी की ऑफिशियल मेंबरशिप ली। शुरुआत में अवॉर्ड को 5 कैटेगरी प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एक्टर, टेक्नीशियन और राइटर में बांटा गया। इस अवॉर्ड का नाम रखा गया था एकेडमी अवॉर्ड्स।
जवाबः एकेडमी अवॉर्ड्स की ट्रॉफी तलवार लिए योद्धा की है, जो फिल्म की रील पर खड़ा है। इसके पीछे सोच थी कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करने वालों को भी योद्धा जैसा फील कराया जाए। इसके लिए सबसे पहले MGM स्टूडियो के आर्ट डायरेक्टर ने तलवार लिए हुए एक योध्दा को रील पर खड़ा करके स्ट्रक्चर तैयार किया। इस स्ट्रक्चर को फाइनल लुक दिया मूर्तिकार जॉर्ड स्टेनले ने।
92.5% टिन और 7.5% तांबे से बना गोल्ड प्लेटेड ये ट्रॉफी 13 इंच लंबा और 3.85 किलोग्राम का था। पहली सेरेमनी के दौरान 2701 अवॉर्ड बनाए गए थे। 1938 में लकड़ी की ट्रॉफी बनाई गई थी क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के समय तांबे की कमी हो गई थी।
270 मेहमानों को हॉलीवुड रूजवेल्ट होटल के ब्लॉसम रूम की प्राइवेट पार्टी में बुलाया गया। इस समारोह का टिकट 5 डॉलर था। न कोई मीडिया, न दर्शक, न भीड़। ये सेरेमनी 15 मिनट में ही खत्म हो गई थी।
पहली अवॉर्ड सेरेमनी के विजेताओं की घोषणा तीन महीने पहले ही कर दी गई थी। 1930 से अवॉर्ड नाइट की रात 11 बजे मीडिया को विजेताओं की लिस्ट दी जाने लगी, लेकिन 1940 में लॉस एंजलिस टाइम्स ने सेरेमनी से पहले ही विजेताओं की घोषणा कर दी। इसके बाद से ही विजेताओं का खुलासा बंद लिफाफे में किया जाने लगा।
पहला बेस्ट एक्टर अवॉर्ड एमिल जेनिंग्स को दो फिल्मों द लास्ट कमांड और द वे ऑफ ऑल फ्लैश के लिए मिला। उन्हें इस सेरेमनी से पहले यूरोप वापस जाना था, इसलिए एकेडमी ने उन्हें पहले ही ये अवॉर्ड दे दिया। एमिल को दो फिल्मों के लिए अवॉर्ड मिला, लेकिन बाद में एकेडमी ने नियम बनाया कि एक व्यक्ति को एक ही अवॉर्ड दिया जाएगा।
एकेडमी अवॉर्ड अब ऑस्कर अवॉर्ड नाम से पहचाना जाता है। 1939 से इसका ऑफिशियल नाम ऑस्कर पड़ा था। मगर, इसका नाम ऑस्कर कैसे पड़ा इसकी तीन अलग-अलग थ्योरीज हैं।
पहली थ्योरी- ऑस्कर अवॉर्ड की पहली महिला प्रेसिडेंट और अमेरिकन एक्ट्रेस बेट्टे डेविस (Bette Davis) का दावा था कि ऑस्कर की ट्रॉफी पीछे से देखने पर उनके म्यूजिशियन पति हार्मन ऑस्कर नेल्सन (Harmon Oscar Nelson) जैसी दिखती है, इसलिए इस अवॉर्ड का नाम ऑस्कर पड़ गया।
दूसरी थ्योरी- हॉलीवुड के गॉसिप आर्टिकल लिखने वालीं कॉलमिस्ट सिडनी स्कॉल्सकी का दावा था कि एकेडमी अवॉर्ड्स को ऑस्कर निकनेम उन्हीं की देन है। उन्होंने साल 1934 के एक लेख में इस अवॉर्ड के लिए ऑस्कर निकनेम का इस्तेमाल किया था।
तीसरी थ्योरी- एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट एंड साइंस की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और लाइब्रेरियन मार्गेरेट हैरिक का दावा था कि ऑस्कर का नाम उनके चाचा ऑस्कर के नाम पर रखा गया है।
हालांकि, तीनों में किस का दावा सच्चा था, इसका आज तक कोई सबूत नहीं है। खुद एकेडमी ने भी इसको लेकर कभी कोई सफाई नहीं दी लेकिन, इस नाम को अपना लिया।
1929-30 में कुल 15 लोगों को ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पहले एकेडमी अवॉर्ड में मीडिया नहीं थी, लेकिन तब से लेकर आज तक एकेडमी अवॉर्ड सेरेमनी का कवरेज बड़े स्तर पर होने लगा है। 1953 में पहली बार NBC ने इस सेरेमनी को सीधे टीवी पर टेलीकास्ट किया। कई देशों में टेलीकास्ट होने से ऑस्कर को दुनियाभर में पहचान मिलने लगी। 1956 तक ये अवॉर्ड सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों के लिए ही था।
1957 में एकेडमी ने बेस्ट फॉरेन लेंग्वेज की कैटेगरी बनाई, जिसके बाद भारत समेत सभी देश अपनी फिल्मों का नॉमिनेशन भेजने लगे। दुनियाभर से जब फिल्में ऑस्कर में शामिल हुईं और उनका आपस में कॉम्पिटिशन हुआ तो ऑस्कर का लेवल सबसे बड़ा समझा गया।
- एकेडमी के पास इस समय करीब 10 हजार मेंबर हैं। ये सभी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग ही हैं। एकेडमी गैर-फिल्मी लोगों को मेंबरशिप नहीं देती है। इसका मतलब है सिर्फ फिल्म बनाने वाले ही फिल्में अवॉर्ड के लिए चुनते हैं।
- एकेडमी की मेंबरशिप दो तरह से होती है। पहला अगर किसी एक्टर, डायरेक्टर या टेक्निशियन को किसी फिल्म के लिए ऑस्कर नॉमिनेशन मिला हो तो उसे एकेडमी खुद मेंबरशिप दे देती है। अगर किसी ऐसे व्यक्ति को मेंबरशिप चाहिए जिसे कभी ऑस्कर नॉमिनेशन नहीं मिला हो तो एकेडमी के दो मेंबर उसके नाम की सिफारिश करते हैं। अगर एकेडमी उसे लायक पाती है तो मेंबरशिप मिल जाती है। जैसे, किसी डायरेक्टर को मेंबरशिप चाहिए तो उसे कम से कम दो फिल्में डायरेक्ट करने का अनुभव हो, उसकी आखिरी फिल्म 10 साल के भीतर बनी हो।
इसके दो तरीके हैं। पहला, एक फिल्म जो सरकार की तरफ से भारत ऑफिशियल एंट्री होती है। दूसरा, प्राइवेट एंट्री।
सरकार की तरफ से ऑस्कर में फिल्मों को भेजने की प्रोसेस हर साल सितंबर से ही शुरू हो जाती है। फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) भारत की सभी फिल्म एसोसिएशन्स से एंट्रीज मंगवाता है। इसमें सारी भाषाओं की फिल्में शामिल होती हैं। इसके बाद फिल्म एसोसिएशन द्वारा भेजी गई फिल्मों को जूरी मेंबर्स देखते हैं। सितंबर के अंत में FFI की तरफ से ऑस्कर में जाने वाली फिल्मों की ऑफिशियल एंट्री की घोषणा होती है। सिलेक्ट की गईं फिल्मों को ऑस्कर में भेजा जाता है।
प्राइवेट एंट्री के लिए फिल्म मेकर खुद अपनी फिल्में एकेडमी को भेजते हैं। इसमें सरकार को कोई दखल नहीं होता है। अगर फिल्म मेकर को लगता है कि उसका काम अवॉर्ड के लायक है तो वो अपनी ओर से एंट्री भेजता है। एकेडमी किसे अवॉर्ड देगी ये फैसला उसका अपना होता है।
दूसरे देशों के लिए ऑस्कर में फिल्म भेजने के नियम कुछ ऐसे हैं-
ऑस्कर के लिए नॉमिनेट की गई फिल्म की लंबाई कम से कम 40 मिनट होनी चाहिए।
फिल्म 33 MM या 70 MM के प्रिंट में 24 फ्रेम प्रति सेकेंड या 48 फ्रेम प्रति सेकेंड की होनी चाहिए।
फिल्म अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए। रीजनल लैंग्वेज में होनी चाहिए। सब-टाइटल अंग्रेजी में होने चाहिए।
इसका रिजोल्यूशन भी 1280×720 से कम नहीं होना चाहिए।
बीते साल 1 जनवरी से 31 दिसम्बर की आधी रात के बीच रिलीज हुई हो।
1958 में पहली बार ऑस्कर में भारत की तरफ से मदर इंडिया फिल्म भेजी गई। मदर इंडिया को टॉप 5 नामिनेशन में जगह मिल गई थी, लेकिन ये अवॉर्ड नहीं जीत पाई।
1982- भानु अथैया को फिल्म गांधी के लिए बेस्ट कास्टयूम डिजाइनर का अवॉर्ड मिला था।
1991- फिल्ममेकर सत्यजीत रे को ‘ऑनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवॉर्ड से मिला था।
2008- ए.आर. रहमान को फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के गाने ‘जय हो’ के लिए बेस्ट ओरिजिनल स्कोर की कैटेगरी में 2 अवॉर्ड मिले थे। दूसरा बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड ए.आर. रहमान ने गुलजार के साथ शेयर किया था।
2008- रेसेल पोकुट्टी को स्लमडॉग मिलेनियर के लिए बेस्ट साउंड मिक्सिंग के लिए अवॉर्ड मिला।
ऑस्कर अपनी प्रोसेस या अवॉर्ड्स के लिए कभी विवादों में नहीं रहा। हां, ऑस्कर के मंच पर सेलेब्स ने कई कॉन्ट्रोवर्सीज को जन्म दिया। उनमें से कुछ बड़े विवाद ये हैं।
2022- एक्टर विल स्मिथ ने होस्ट क्रिस रॉक को थप्पड़ मार दिया था। पत्नी पर होस्ट क्रिस के मजाक से विल नाराज थे।
2021- साल 2021 में हॉलीवुड की फ्रैंच एक्ट्रेस कोरिन मासेरियो ने स्टेज पर कपड़े उतार दिए थे। एक्ट्रेस अवॉर्ड देने स्टेज पर पहुंची थीं, लेकिन वहां पहुंचते ही उन्होंने फ्रेंच सरकार का विरोध करने के लिए कपड़े उतारे। उनके शरीर पर नारे लिखे हुए थे।
2017- फाय डूनावे और वॉर्न बीटी बेस्ट पिक्चर का अवॉर्ड देने स्टेज पर पहुंचे थे। दोनों ने लाला लैंड फिल्म की अनाउंसमेंट कर दी थी, जबकि ये अवॉर्ड मूनलाइट फिल्म को मिलना था। सेरेमनी में मौजूद लोगों द्वारा आवाज उठाए जाने के बाद इस गलती में सुधार किया गया था।
2003- मूरे चेस्टिसेस को फिल्म बॉलिंग फॉर कोलंबाइन के लिए अवॉर्ड मिला था, लेकिन वो स्टेज पर जाकर तत्कालीन अमेरिकन प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश के लिए अपमानजनक शब्द कहने लगे थे।
2000- सेरेमनी में एंजेलिना जोली को फिल्म गर्ल इंट्रप्टेड के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला था। सेरेमनी से पहले एंजेलिना अपने भाई को रेड कार्पेट में लिप किस कर विवादों से घिर गई थीं।
1974- आर्टिस्ट और फोटोग्राफर रॉबर्ट ओपल ने चलती सेरेमनी के बीच न्यूड होकर स्टेज में दौड़ लगा दी थी। एक्टर डेविड निवेन ने लोगों का ध्यान भटकाया था।
1971- एक्टर जोर्ज सी स्कॉन ने बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड ठुकराया था। उनका मानना था कि क्रिएटिव परफॉर्मेंस की तुलना करना गलत है। उन्होंने अपने नॉमिनेशन पर भी आपत्ति जताई थी।
1936- स्क्रीनराइटर डडली निकोल्स ने स्टेज पर अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया। ऐसा करने वाले डडली पहले व्यक्ति थे। दरअसल साल 1936 में राइटर्स का ग्रुप प्रदर्शन कर रहा था, उनके समर्थन में डडली ने अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था।