इधर, मणिपुर मुद्दे पर मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा में सांसदों ने सदन में नारेबाजी की और अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंचकर इंडिया फॉर मणिपुर के पोस्टर दिखाए।
उधर, कार्यवाही पहले 12 बजे और फिर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। मणिपुर के मसले पर चर्चा की मांग को लेकर कांग्रेस और AAP समेत विपक्षी दल स्थगन प्रस्ताव लाए थे।
राज्यसभा तीसरी बार नारेबाजी के बीच शुरू हुई। दो घंटे से ज्यादा समय तक कार्रवाई चली। इस दौरान संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 पारित हुआ। कार्रवाई कल तक के लिए स्थगित की गई।
शाम पांच बजे लोकसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई। इस दौरान अमित शाह ने सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। शाह ने खेती-किसानी और सहकारिता की बात की। विपक्ष ने मणिपुर-मणिपुर, शेम-शेम, जवाब दो-जवाब दो, वी वॉन्ट जस्टिस (हमें न्याय चाहिए) के नारे लगाए।
वहीं विपक्षी सांसद पोस्टर लेकर सदन में खड़े हुए तो शाह ने कहा कि और जोर से नारे लगाइए। आपको न दलितों में इंटरेस्ट है और न ही सहकारिता में। इसलिए नारेबाजी कर रहे हैं। शाह सदन में बयान देते रहे और विपक्षी सांसद शोरशराबा करते रहे।
इधर, शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेटर लिखकर कहा कि हम मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए अनुकूल माहौल बनाएं।
इससे पहले भाजपा संसदीय दल की मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A पर बयान दिया। कहा- सत्ता चाहने वाले और देश को तोड़ने वाले ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे नाम रख रहे हैं।
राज्यसभा में अपोजिशन लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे ने PM के बयान पर ऐतराज जताया। उन्होंने कहा- हम मणिपुर की बात कर रहे हैं और प्रधानमंत्री इंडिया की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से कर रहे। अरे, आप मणिपुर पर बात करिए ना।
विपक्षी दलों ने मंगलवार सुबह रणनीति बनाने के लिए बैठक की थी। एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है
PM मोदी की अध्यक्षता में भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई। जिसमें PM ने विपक्षी गठबंधन के नाम I.N.D.I.A पर कहा- जो लोग सत्ता चाहते हैं और देश को तोड़ना चाहते हैं वो ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे नाम रख रहे हैं। इनमें भी इंडिया आता है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) में भी इंडिया नाम आता है, लेकिन लोग इससे गुमराह नहीं होंगे।राज्यसभा में खड़गे ने कहा कि मणिपुर में बच्चियों का रेप हो रहा है। वो हिंसा की आग में जल रहा है। हम मणिपुर की बात कर रहे हैं और पीएम मोदी इंडिया की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से कर रहे हैं। आप मणिपुर पर बात करिए ना।पीयूष गोयल ने खड़गे को जवाब दिया- मणिपुर के साथ-साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बंगाल में जो हो रहा है, उस पर भी चर्चा होनी चाहिए। आप महिलाओं के लिए संवेदनशील नहीं हैं। अगर होते तो चर्चा शुरू होती। सदन की कार्यवाही को बाधित नहीं करते। पूरा देश देख रहा है कि आप देश के भविष्य को खराब कर रहे हैं। अगर संवेदनशील हैं तो चर्चा तुरंत शुरू कीजिए।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “आप हमें जो चाहें बुलाएं, मिस्टर मोदी। हम INDIA हैं। हम मणिपुर के जख्मों पर मरहम लगाने में मदद करेंगे। हर महिला और बच्चे के आंसू पोंछेंगे। उनके लोगों के लिए प्यार और शांति वापस लाएंगे। हम मणिपुर में भारत के विचार को दोबारा बनाएंगे।”
विपक्षी सांसदों के विरोध प्रदर्शन के दौरान समाजवादी पार्टी सांसद जया बच्चन, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और टीएमसी सांसद डोला सेन के साथ इस अंदाज में नजर आईं।
AAP सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में संजय सिंह के निलंबन पर वोटिंग की अपील की, जिसे सभापति जगदीप धनखड़ ने खारिज कर दिया।
दरअसल, तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने संसद में मणिपुर पर चर्चा और प्रधानमंत्री के बयान की बात उठाई थी।
वे सभापति जगदीप धनखड़ के पास जाकर बहस करने लगे थे। इसके बाद उन्हें पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।
विपक्षी सांसदों ने इस फैसले के खिलाफ संसद में गांधी प्रतिमा के पास पूरी रात धरना दिया।
लोकसभा की कार्रवाई शुरू होने से पहले अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अपने चैम्बर में सभी दलों के नेताओं के साथ मीटिंग की थी।
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और गौरव गोगोई ने मणिपुर के हालात पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
राज्यसभा में राजीव शुक्ल, राघव चड्ढा, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी समेत कई सासंदों ने मणिपुर पर चर्चा के लिए रूल-267 के तहत 51 नोटिस दिए हैं।
निलंबन के अगले दिन मंगलवार को संजय सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री मणिपुर मुद्दे पर चुप क्यों हैं? हम केवल संसद में आकर इस पर बोलने की मांग कर रहे हैं। निलंबन पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि जगदीप धनखड़ राजनीति से जुड़े व्यक्ति नहीं हैं, उपराष्ट्रपति हैं। संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाना हमारी जिम्मेदारी है।”
प्रतिपक्ष रूल 267 के तहत लंबी चर्चा चाहता है। जबकि सत्तापक्ष रूल 176 में छोटी चर्चा चाहता है। राज्य सभा में रूल 176 में 11 जबकि रूल 267 में 27 नोटिस मिले थे।
वोटिंग का भी प्रावधान: रूल 267 के तहत चर्चा समयबद्ध नहीं विस्तारित हो सकती है। सभापति की मंजूरी से चर्चा के बाद वोटिंग का भी प्रावधान हो सकता है।
26 साल में 11 बार चर्चा: 1990 के बाद से रूल 267 के तहत 11 बार चर्चा हो चुकी है। इसमें नोटबंदी, कोयला घोटाला और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे शामिल हैं।
मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 17 बैठकें होंगी। केंद्र सरकार मानसून सत्र में 31 बिल ला रही है। इनमें 21 नए बिल हैं, वहीं 10 बिल पहले संसद में किसी एक सदन में पेश हो चुके हैं। उन पर चर्चा होगी। सबसे ज्यादा चर्चित बिल दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा अध्यादेश है।