भीषण उथल पुथल के दौर से गुजर रहे श्रीलंका में गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद प्रदर्शनकारियों ने कुछ राहत जरूर दी है। इसी बीच श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा का दर्द छलका है। उन्होंने कहा कि अभी तक भारत ही एकमात्र देश है, जिसने इस संकट में श्रीलंका की कई बार मदद की। उन्होंने संकट को लेकर अपने बयान में यूक्रेन, रूस और भारत का तो जिक्र किया लेकिन चीन का नाम नहीं लिया है।
दरअसल, श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा से देश में उपजे ईंधन संकट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमने मित्र देशों से ईंधन की मदद मांगी है, जो भी देश हमारी मदद के लिए आगे आते हैं, हम उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद उन्होंने बताया कि संकट के इस समय में केवल भारत सरकार ने ही कई बार श्रीलंका की मदद की है।
श्रीलंका में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट गहराने के बीच भारत ने गुरुवार को साफ कहा था कि वह श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा और उसे लोकतांत्रिक तरीकों एवं संवैधानिक ढांचे के जरिये सरकार जुड़े मुद्दों सहित मौजूदा हालात के जल्द समाधान की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि भारत श्रीलंका में उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं तथा उस देश में सभी प्रासंगिक हितधारकों के सम्पर्क में है।
इसी बीच भारत ने एक बार फिर शनिवार को श्रीलंका को आश्वासन दिया कि वह अभूतपूर्व राजनीतिक संकट और आर्थिक उथल-पुथल के बीच देश में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करना जारी रखेगा। भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने श्रीलंकाई नेता से मुलाकात के दौरान संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को यह आश्वासन दिया। उच्चायुक्त बागले ने लोकतंत्र और संवैधानिक ढांचे को बनाए रखने में संसद की भूमिका की सराहना की।
बता दें कि उधर श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद सरकारी भवनों पर कब्जा कर चुके प्रदर्शनकारियों ने जगह खाली करना शुरू कर दिया है। गुरुवार रात राजपक्षे की खुशी ऐसी थी कि जनता कर्फ्यू को दरकिनार कर राजधानी कोलंबो की सड़कों पर जश्न मनाने उतर आई. इस्तीफे की खबर के बाद शहर में कर्फ्यू के बावजूद पटाखे छोड़े गए, नारेबाजी की गई और प्रदर्शन स्थल पर डांस हुआ।