आजकल रुपहले पर्दे पर फिल्म गदर-2 जगमगा रही है। OTT से संघर्ष में घिस रहे फिल्मों के संसार को नई संजीवनी मिल गई है। फिल्म में जिस तरह से गदर के बीच से प्रेम परवान चढ़ा ठीक उसी तरह से सिनेमा उद्योग भी दशकों की दुश्वारी के बाद लहलहा रहा है। खासतौर पर अपने अस्तित्व के लिए हांफ रहा सिंगल स्क्रीन सिनेमा अपने गुल्लक को भरते हुए लंबे अंतराल के बाद देख जा रहा।
सिंगल स्क्रीन सिनेमा अपने सुनहरे दौर की यादों और कमाई में मग्न है। अतीत के आनंदालय के पुनर्जीवन की यह बेला सुखद है। सिंगल स्क्रीन सिनेमा का दौर दमदार होना अच्छा है। तहजीब के शहर लखनऊ की ही बात करें, तो यहां पर कभी 29 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल हुआ करते थे। वक्त के थपेड़ों को झेलते-झेलते इनकी संख्या अब 6 ही बची है। जो बचे हैं, वो आज अपने अस्तित्व पर इतरा रहे हैं, क्योंकि गदर-2 ने सिनेमा हॉल संस्कृति को नया जीवन दे दिया है।
गदर-2 मूवी को 11 अगस्त को रिलीज किया गया। दर्शकों को यह फिल्म इतनी पसंद आई कि गली मोहल्लों में चर्चा शुरू हो गई। हालात ऐसे बन गए कि जितने लोग हॉल में थे। उससे ज्यादा अपनी बारी के इंतजार में हॉल के बाहर लोगों की वेटिंग लाइन। विधानसभा गेट नंबर-5 के सामने वाले प्रतिभा सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल में, तो ऐसी भीड़ उमड़ी कि 12 अगस्त को आधी रात में पुलिस बुलानी पड़ गई।
आखिरी बार किसी सिंगल स्क्रीन सिनेमा के सामने क्राउड कंट्रोल के लिए पुलिस कब बुलानी पड़ी थी न तो ये हॉल संचालकों को याद है और न ही पुलिस महकमे को
लखनऊ में अब तक गदर-2 ने 1 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर लिया है। सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल का जलवा देखकर मल्टी स्क्रीन वाले मालिक भी हैरान है। पुराने दौर ने खुद को ऐसा दोहराया है कि कलेक्शन के आंकड़ों का हिसाब बहुत संभल कर लगाने की जरूरत आ गई है। दरअसल लखनऊ में 6 हॉल सिंगल स्क्रीन के चल रहे है। उसमें औसतन कहीं भी 700 से कम सीट नहीं है। एक दिन में एक हॉल अगर 4 शो चलाता है, तो उसके यहां प्रतिदिन 2800 लोग मूवी देखते है।
6 हॉल को मिला दिया जाए तो 16800 लोगों ने फिल्म देखी है। एक हफ्ते में यह संख्या 1 लाख 17 हजार 600 तक पहुंच रही है। इसमें 100 रुपए औसत के हिसाब से जोड़ा जाए तो 1 करोड़ 17 लाख से ज्यादा का कारोबार होता है। जबकि साहू को PVR सिनेमा ने ले लिया है। यहां टिकट के रेट मल्टी स्क्रीन की तरह है। यह कमाई केवल टिकट से हुई है। अगर, इसमें खाने-पीने का जोड़ दिया जाए, तो कारोबार करीब डेढ़ करोड़ तक पहुंच सकता है। माना जा रहा है कि एक-एक हॉल ने 19 लाख रुपए के टिकट बेचे है।
उमराव सिनेमा के मालिक आशीष अग्रवाल का कहना है, ”बहुत साल बाद बहुसंख्यक वर्ग के लिए कोई फिल्म आई है। जिससे समाज का हर तबका अपने आप को जुड़ा महसूस कर रहा है। इसमें एक ठेले वाले से लेकर रसूखदार व्यक्ति भी इस फिल्म को देखने पहुंच रहा है। रसूखदार तो मल्टी स्क्रीन जा रहा है। लेकिन मल्टी स्क्रीन गरीब और आम आदमी की पहुंच से दूर है। ऐसे में वह सिंगल स्क्रीन की तरफ जा रहा है।
लखनऊ में मौजूदा समय 6 स्किन सिनेमा हॉल में सालों बाद भीड़ के साथ सिटी और तालियों की आवाज गुंज रही हैं। लेकिन कई सालों से सिंगल स्क्रीन के मुताबिक, फिल्में नहीं रिलीज हो रही थीं। ऐसे में उनके बिजनेस में कमी आती गई और थिएटर्स बंद होते गए। रही सही कसर कोविड ने पूरी कर दी।
सिंगल स्क्रीन सिनेमा एक्शन फिल्मों के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों से ऐसी फिल्में बनना बंद हो गई थी। लखनऊ और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में बीच में भोजपुरी फिल्मों ने कुछ स्थिति सुधारी थी। लेकिन, वह भी फिल्मों का ग्राफ गिरता गया और उसका नुकसान सिंगल स्क्रीन सिनेमा को हुआ
सिंगल स्क्रीन के टिकट के दाम मल्टी स्क्रीन की तुलना में आधे से भी कम होता है। मौजूदा समय प्रतिभा सिनेमा हॉल में टिकट 60 रुपए से लेकर 110 रुपए तक है। जबकि मल्टी स्क्रीन में टिकट के दाम करीब 200 रुपए से शुरू है। सोमवार से लेकर गुरुवार तक रेट थोड़ा कम जरूरत होते हैं। नॉवेल्टी सिनेमा के एमडी राजेश टंडन बताते हैं कि वह 46 साल से इस इंडस्ट्री में है। हालांकि अब नॉवेल्टी भी तकनीकी तौर पर सिंगल स्क्रीन नहीं रह गया है। वहां भी दो स्क्रीन हो गए हैं। जबकि वह कभी शहर का नंबर वन सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल हुआ करता था।
उन्होंने बताया कि जब मास को कनेक्ट करते हुए कोई फिल्म आती है तो वह सिंगल स्क्रीन पर धमाल करती है। यहां 700 से कम कुर्सी नहीं रहती है। ऐसे में अगर हॉल भरेगा नहीं तो घाटा होना तय है। मल्टी स्कीन में 200 कुर्सी के साथ भी मूवी देखी जाती है। वहां का टिकट भी महंगा होता है। अब ज्यादातर फिल्म मास कनेक्शन वाली नहीं रहती है। पठान कुछ ऐसी फिल्म थी, जिसके बाद उसको भी सिंगल स्क्रीन पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला था।प्रतिभा सिनेमा हॉल के मैनेजर राजेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि हम लोग सालों से खाली बैठे थे। गदर फिल्म से सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल मालिकों में बिजनेस को लेकर एक उम्मीद जागी है। कई दिनों बाद सिनेमा हॉल में इतनी भीड़ देखने को मिली है। इससे पहले पठान में ऐसी भीड़ उमड़ी थी।
लखनऊ में करीब 8 दशक तक फिल्मों की कहानी सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल ही बयां करते थे। लेकिन वह उसमें से करीब 80 फीसदी हॉल बंद हो गए हैं। नाज, प्रभात, जगत, निशात, प्रकाश, अशोक, अंजुमन, माधव पैलेस, तुलसी, मेफेयर जैसे हॉल बंद हो गए हैं। मौजूदा समय इनका जिक्र केवल किसी को रास्ता बताने या लैंड मार्क के तौर पर होता है। पिछले एक दशक में सिनेमा देखने वाले दर्शकों के लिए यह हॉल अब एक कहानी की तरह हैं।
गदर 2 को देखने वालों में न केवल बच्चे बल्कि घर की बूढी महिलाएं भी शामिल हैं। कई महिलाएं तो ऐसी भी मिली, जो ठीक से चल नहीं पा रही थी, लेकिन हॉल में फिल्म देखने पहुंची थी।
मशहूर संगीतकार नौशाद कभी लखनऊ के सिनेमा हॉल में हारमोनियम बजाने का काम करते थे। वह तब रायल सिनेमा के सामने लाल खां के अहाते में रहते थे। बताया जाता है कि 30 और 40 के दशक में वह एक रुपए रोज पर रायल सिनेमा के शो के बीच में जो गाने आते थें उसमें हारमोनियम बजाया करते थे। यहां से निकलकर वह संगीतकार बने।
सिंगल स्क्रीन का क्रेज ऐसा था कि 80 के दशक के सबसे बड़े हीरो और महानायक अमिताभ बच्चन भी अपनी फिल्म के प्रीमियम शो के लिए नॉवेल्टी सिनेमा हॉल आ थे। वह अपनी आखिरी रास्ता के प्रीमियम शो पर लखनऊ पहुंचे थे। उनकी फिल्म शराबी ने नॉवेल्टी में सिल्वर जुबिली मनाई थी।
लखनऊ में अब तक गदर 2 ने 1 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर लिया है। सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल का जलवा देखकर मल्टी स्क्रीन वाले मालिक भी हैरान है।
एक साल तक चली थी मुगले आजम
सिंगल स्क्रीन सिनेमा की रुतबे की कहानी लखनऊ को आज भी याद है जब मुगले आजम फिल्म एक साल तक चली थी। खुद इसके लिए पृथ्वीराज कपूर लखनऊ आए थें। वह मेफेयर सिनेमा के लिए यहां लोगों से चंदा तक एकत्र कर चुके हैं। मेफेयर सिनेमा की लॉबी में खड़े होते थे और थिएटर के लिए चंदा वसूलते थे। उनके हाथ में कपड़ा रहता था।
लोग अपनी इच्छा के अनुसार उसमें पैसा डालते थे। गदर 2 का सुपर डुपर हिट होना बॉलीवुड के लिए तो अच्छा है ही। सबसे सुखद पहलू यह है कि सिंगल स्क्रीन सिनेमा के दिन अच्छे हो गए। उम्मीद है कि कुछ और शानदार फिल्में आएंगी, दर्शकों के दिलों पर राज करेंगी और हमारे अतीत के सिंगल स्क्रीन सिनेमा वाली विरासत भी स्वर्णिम बनी रहेगी।