प्रदेश के एक लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर जाएंगे। मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज कर्मचारी 16 मार्च से 72 घंटे की हड़ताल पर जाएंगे। ऊर्जा निगम प्रबंधन से नाराज कर्मचारियों ने इस हड़ताल का ऐलान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले यह हड़ताल होगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने हालांकि इस पूरे मामले में हस्तक्षेप नहीं करने की मांग की है। दरअसल, पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री से वार्ता हुई थी। उसके बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया गया। पावर कॉर्पोरेशन चेयरमैन को हटाने की मांग चल रही है। समझौते के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एम देवराज का रवैय्या है। समझौते को मानने से इंकार कर रहे हैं। ऊर्जा निगमों के चेयरमैन का रवैया इतना नकारात्मक है कि वे शक्तिभवन में उपस्थित रहते हुए भी अपर मुख्य सचिव(ऊर्जा) से संघर्ष समिति की वार्ता में उपस्थित नहीं रहते हैं।
हड़ताल पर जाने के पूर्व बिजली कर्मी 14 मार्च को प्रदेश के सभी जनपदों व बिजली परियोजनाओं पर शान्तिपूर्वक मशाल जुलूस निकालेंगे। 15 मार्च सुबह 10 बजे से हड़ताल शुरू होने से पहले तक यानी 16 मार्च की रात्रि 10 बजे तक बिजलीकर्मी कार्य बहिष्कार करेंगे।
9 वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
निर्धारित चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए
सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए
ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए
765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए
पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए
आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए
ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए
तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए
बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए
भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाएप्रदेश के एक लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर जाएंगे। मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज कर्मचारी 16 मार्च से 72 घंटे की हड़ताल पर जाएंगे। ऊर्जा निगम प्रबंधन से नाराज कर्मचारियों ने इस हड़ताल का ऐलान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले यह हड़ताल होगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने हालांकि इस पूरे मामले में हस्तक्षेप नहीं करने की मांग की है। दरअसल, पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री से वार्ता हुई थी। उसके बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया गया। पावर कॉर्पोरेशन चेयरमैन को हटाने की मांग चल रही है। समझौते के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एम देवराज का रवैय्या है। समझौते को मानने से इंकार कर रहे हैं। ऊर्जा निगमों के चेयरमैन का रवैया इतना नकारात्मक है कि वे शक्तिभवन में उपस्थित रहते हुए भी अपर मुख्य सचिव(ऊर्जा) से संघर्ष समिति की वार्ता में उपस्थित नहीं रहते हैं।
हड़ताल पर जाने के पूर्व बिजली कर्मी 14 मार्च को प्रदेश के सभी जनपदों व बिजली परियोजनाओं पर शान्तिपूर्वक मशाल जुलूस निकालेंगे। 15 मार्च सुबह 10 बजे से हड़ताल शुरू होने से पहले तक यानी 16 मार्च की रात्रि 10 बजे तक बिजलीकर्मी कार्य बहिष्कार करेंगे।
9 वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
निर्धारित चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए
सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए
ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए
765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए
पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए
आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए
ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए
तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए
बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए
भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए