शभर में कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है. इस दौरान भारत में बनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन को ही यहां लगाने की मंजूरी दी गई है. इन दोनों ही वैक्सीन की दो-दो डोज लोगों को एक अंतराल पर लगाई जा रही हैं लेकिन देश में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जबकि इन दोनों वैक्सीन की डोज का घालमेल कर दिया गया है.
कोरोना मामलों और इससे होने वाली मौतों के अलावा वैक्सीन के साइड इफैक्ट को लेकर पहले से ही लोग काफी डरे हुए हैं वहीं हाल ही में देश के कई हिस्सों में दोनों वैक्सीन की डोज की अदला-बदली होने के मामलों ने भी चिंता पैदा कर दी है. कई जगहों पर लोगों को कोवैक्सीन की पहली डोज लगाने के बाद दूसरी डोज कोविशील्ड की लगा दी गई है. जिससे लोगों में वैक्सीन के खतरे को लेकर डर पैदा हो गया है.
ताजा मामला आजमगढ़ के रानीपुर स्वास्थ्य केंद्र का है. यहां उमाशंकर सिंह को 16 अप्रैल 2021 को कोवैक्सीन की पहली डोज लगाई गई. जब वे दूसरी बार उसी केंद्र पर 17 मई 2021 को वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे तो उन्हें दूसरी डोज कोवैक्सीन के बजाय कोविशील्ड की लगाई गई. इसका पता तब चला जब उन्हें वैक्सीनेशन का मैसेज आया.
उमाशंकर बताते हैं कि दोनों बार अलग-अलग वैक्सीन की डोज लेने का मैसेज देखने के बाद उन्हें चिंता हुई हालांकि दूसरी डोज के बाद किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या उन्हें नहीं हुई. ऐसा क्यों किया गया इसकी वजह भी स्पष्ट नहीं की गई.
ऐसे ही कई मामले देश के अन्य हिस्सों में आ चुके हैं जबकि पहले कोविशील्ड या कोवैक्सीन की डोज देने के बाद दूसरी डोज में बदली हुई वैक्सीन दी गई है. इस संबंध में विशेषज्ञ दोनों वैक्सीन के घालमेल को लेकर अलग ही राय दे रहे हैं.
विशेषज्ञों की ये है राय
दिल्ली ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक डॉ. एम सी मिश्र ने इससे होने वाले खतरों को लेकर न्यूज 18 हिंदी को बताया कि देश के कई हिस्सों में ऐसे मामले सामने आए हैं. हालांकि भारत में अभी तक ऐसे मामलों पर कोई शोध नहीं हुआ है. बाहर के देशों में इस पर काम चल रहा है. डॉ. मिश्र कहते हैं कि सबसे पहले तो सरकार को इन मामलों को रिकॉर्ड करने की जरूरत है. साथ ही ऐसे लोगों को डेटा सुरक्षित रखा जाना चाहिए और तत्काल इन लोगों की स्थिति पर रिसर्च शुरू होनी चाहिए. ऐसा इसलिए जरूरी है कि दोनों वैक्सीन की एक एक डोज देने के बाद इनके असर को देखा जा सके.
दोनों वैक्सीन की एक-एक डोज कर सकती है बड़ा फायदा
वे कहते हैं कि अभी तक के अनुभवों के आधार पर यह कहना सही होगा कि दोनों वैक्सीन की एक एक डोज लगने पर लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा. इसके बजाय फायदा होने की संभावना है. इस पर रिसर्च किया जाना चाहिए. यह वाकई फायदेमंद हो सकता है. ये संभव है कि दोनों वैक्सीन की एक-एक डोज, एक ही वैक्सीन की दोनों डोज से ज्यादा प्रभावशाली हो.
कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच अंतराल बढ़ाना भी ऐसी ही वजह
डॉ. मिश्र कहते हैं कि कोविशील्ड के अंतराल बढ़ाने के पीछे भी लगभग ऐसी ही बात है. जब ब्राजील में लोगों ने दूसरी डोज लेने में देरी की और फिर दूसरी डोज लगवाई तो परिणाम समय से लगवाई गई वैक्सीन से भी अच्छे आए. इसीलिए अब कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच अंतराल बढ़ाया गया है. तो ऐसा क्यों नहीं संभव हो सकता है कि दोनों वैक्सीन की एक-एक डोज ज्यादा कारगर साबित हो. इस पर शोध होना चाहिए.
विशेषज्ञ बोले, घबराएं नहीं लोग
वहीं वे कहते हैं कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. दोनों वैक्सीन एक ही उद्धेश्य को पूरा कर रही हैं, लिहाजा नुकसान पहुंचाने की संभावना कम है. बाकी वैक्सीनेशन के बाद भी लोग एहतियात बरतते रहें और ऐसे मामलों को प्रशासन के पास पहुंचाते रहें ताकि इस रिकॉर्ड का शोध में इस्तेमाल हो सके.