केंद्र सरकार ने दावा किया कि पंचायत से लेकर लोकसभा तक एकसाथ चुनाव कराने के मामले में वह अपने रुख पर कायम है। इससे जुड़ा कानून हर हाल में इसी कार्यकाल में लागू किया जाएगा। भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने 2014 में एक देश एक चुनाव कानून लागू करने का वादा किया था, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार शपथ ली थी। अपने पहले दो कार्यकाल के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने प्रमुख वादों को पूरा किया, जिसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म करना और नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करना शामिल था। सरकारी सूत्र ने कहा कि रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट के बाद एक देश, एक चुनाव की ओर आगे बढ़ने के लिए लगातार मंथन हो रहा है। यह नीतिगत मामला होने के साथ देशहित में जरूरी है। समिति के समक्ष जिन 47 दलों ने विचार रखे हैं, उनमें 32 ने इसका समर्थन किया है। ऐसे में एकसाथ चुनाव कराने का कानून मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में लागू होगा। बीजेपी अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन जुटाने की उम्मीद कर रही है। कई विपक्षी दलों और विपक्षी शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक देश-एक चुनाव के विचार का विरोध किया है।
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाली ‘एक देश-एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव अनिश्चितता का माहौल बनाते हैं और नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करते हैं, उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से नीति निर्माण में निश्चितता बढ़ेगी। एक साथ चुनाव के फायदों पर प्रकाश डालते हुए समिति ने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ मतदाताओं के लिए आसानी और सुविधा सुनिश्चित करता है, मतदाताओं को थकान से बचाता है और अधिक मतदान की सुविधा प्रदान करता है।
सूत्र ने कहा कि जनगणना कराने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। इस संबंध में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या जाति जनगणना की मांग के मद्देनजर इसमें जाति का कॉलम जोड़ा जाएगा? इस पर सूत्र ने कहा कि फिलहाल इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।