संगीत नाट्य एकेडमी में दूसरे दिन भी हुनर का जलवा दिखा, दूर दूर से आये कलाकार

लखनऊ की संगीत नाट्य एकेडमी में चल रही प्रादेशिक शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता के दूसरे दिन भी हुनर का जलवा दिखा। मंगलवार को खयाल तराना, ध्रुपद धमार और ठुमरी दादरा में प्रदेश भर से आए कलाकारों ने हुनर पेश किए। 24 अप्रैल से शुरू हुई शास्त्रीय गायन, नृत्य और वादन की प्रतियोगिताएं 28 अप्रैल तक चलेंगी।
25 अप्रैल को युवाओं की शास्त्रीय गायन की प्रतियोगिताएं हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन एसएनए के निदेशक तरुण राज ने दीप प्रज्वलन से किया। उनका साथ जज पैनल में उस्ताद युगांतर सिन्दूर, वाराणसी की डॉ. रागिनी सरना, कानपुर के पं विनोद द्विवेदी और स्वागता मुखर्जी ने दिया।
सबसे पहले हुई युवाओं की खयाल तराना प्रतियोगिता में अयोध्या के भास्कर प्रसाद मिश्रा ने पहला स्थान प्राप्त किया। वहीं वाराणसी के अक्षत प्रताप सिंह दूसरे और मऊ की श्वेता राय तीसरे स्थान पर रहीं। खयाल तराना में वाराणसी की सुहानी मिश्रा ने भीम पलासी में “वर दे मोहे मातु मेरी” सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। वहीं अक्षत प्रताप सिंह ने राग जोग कौंस में “जिया नहीं माने न माने” से लोगों का दिल जीता।
इसके अलावा ध्रपद धमार प्रतियोगिता में मेरठ के अमन शर्मा ने राग भीम पलासी में “कुंजन में रचयो रास” और कानपुर के चेतन गुप्ता ने राग मुल्तानी में “रूप ओमकार” प्रस्तुत किया। जिसमें कानपुर के चेतन गुप्ता पहले, मेरठ के अमन शर्मा दूसरे और प्रयागराज के संकर्ष चतुर्वेदी तीसरे स्थान पर रहे। ठुमरी दादरा में सोनभद्र से योगेश कुमार मिश्रा ने राग खमाज में “नैनो से मारी ऐसी बान” और मिर्जापुर की पूजा बसाक ने राग पीलू में “सैयां बोलो तनीक मोसे” सुनाई। जिसे सुन श्रोता तालियां बजाने से खुद को रोक नहीं पाए।
ठुमरी दादरा में वाराणसी के योगेश कुमार मिश्रा को पहला, तो वहीं मिर्जापुर की पूजा बसाक को दूसरा स्थान मिला। कार्यक्रम की संयोजक रेनू श्रीवास्तव ने बताया 26 अप्रैल को शास्त्रीय संगीत की तंत्र, सुषिर, गज वाद्य के सभी वर्गों की प्रतियोगिताएं होंगी।