किशोर कुमार…. जिन्हें गुजरे हुए 35 साल हो गए हैं, पर उनकी गायकी और दमदार एक्टिंग आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। उन्होंने अपने करियर में करीब 110 म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ 2678 फिल्मों में गाने गाए थे। किशोर दा ने करीब 88 फिल्मों में बतौर एक्टर भी काम किया था। उनको प्लेबैक सिंगिंग के लिए 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले थे। 1997 में मध्यप्रदेश सरकार ने इंडियन सिनेमा में उनके योगदान के कारण उन्हीं के नाम पर ‘किशोर कुमार अवाॅर्ड’ की शुरुआत भी की। 2012 में दिल्ली में ओसियां की सिनेफेन नीलामी में किशोर दा का अनरिलीज्ड साॅन्ग करीब 16 लाख में बिका था।
किशोर दा हिंदी सिनेमा के फेमस एक्टर अशोक कुमार के छोटे भाई थे। अशोक चाहते थे कि उनके भाई किशोर भी उन्हीं के जैसे सिनेमा जगत के एक कामयाब एक्टर बनें। अपने भाई की बात मान कर किशोर दा ने फिल्म शि कारी से एक्टिंग डेब्यू किया था।
एक्टिंग से ज्यादा किशोर दा का लगाव सिंगिंग से था। करियर के शुरुआती दिनों में वो आइकाॅनिक सिंगर के.एल. सहगल को फॉलो करते थे। एक दिन म्यूजिक डायरेक्टर एस.डी. बर्मन साहब अशोक कुमार के घर गए थे, तभी उन्होंने किशोर दा को गाते हुए सुना। इसके बाद उन्होंने किशोर दा को सलाह दी कि उन्हें गायकी के लिए अपना एक स्टाइल अपनाना चाहिए। किशोर दा ने बर्मन साहब की बात मानी और 1950 से 1970 तक वो देव आनंद की आवाज बन गए। किशोर दा ने एस.डी बर्मन के मार्गदर्शन में राजेश खन्ना की 245 फिल्मों में गाने गाए।
किशोर दा ने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगाया था जिस पर लिखा था किशोर से सावधान। निर्माता-निर्देशक एचएस रवैल जब किशोर दा के घर गए तो उन्होंने एचएस रवैल के हाथ को काट लिया। जब एचएस रवैल ने उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो किशोर दा ने कहा कि आपको घर के अंदर आने से पहले बोर्ड देखना चाहिए था।
एक बार किशोर दा किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। उस फिल्म के लिए प्रोड्यूसर ने उन्हें आधे ही पैसे दिए। इस बात से नाराज होकर किशोर दा आधा ही मेकअप करके सेट पर चले गए। जब डायरेक्टर ने उन्हें पूरा मैकअप करके आने के लिए कहा तो किशोर दा ने कहा कि आधा पैसा, आधा काम। पूरा पैसा, पूरा काम।
किशोर दा को मीडिया अटेंशन पंसद नहीं था। इसी वजह से उन्होंने अपने घर के लिविंग रूम में खोपड़ी और हड्डियां लगवा ली थीं और साथ ही कमरों में रेड लाइट लगा रखी थी।
जिस फिल्म ने डायरेक्टर भगवान दादा को बर्बादी के आंसू रुलाए, वो थी ‘हंसते रहना’। इसे बनाने में उन्होंने अपनी सारी जमा-पूंजी लगा दी, पर फिल्म के हीरो किशोर दा के नखरों के कारण इसे बंद करना पड़ा और ये फिल्म पूरी ना हो पाई। इससे दादा को इतना नुकसान हुआ कि उन्हें जुहू स्थित बंगला और अपनी कारें बेचनी पड़ीं।
किशोर दा हमेशा ही सुर्खियों में रहते थे, पर उनकी लाइफ में अकेलापन और असंतोष भी था। उन्होंने 4 शादियां की थीं, पर उसके बाद भी खुद को अकेला ही पाते थे।
किशोर दा ने 1950 में सत्यजीत रे की भतीजी रूमा गुहा ठाकुरता से शादी की थी। एक्ट्रेस और सिंगर के अलावा रूमा 1958 में कलकत्ता यूथ चोइर की संस्थापक थीं। 1952 में किशोर दा और रूमा ने बेटे अमित को जन्म दिया था। शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में अनबन शुरू हो गई थी और 1958 में दोनों ने तलाक ले लिया था।
किशोर दा ने मधुबाला से शादी करने के लिए खुद का धर्म परिवर्तन कर लिया था और इस्लाम धर्म अपना लिया था। दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से भी शादी की थी, पर किशोर दा के परिवार ने मधुबाला को नहीं अपनाया था। जब मधुबाला अपने इलाज के लिए लंदन जा रही थीं, किशोर दा ने उन्हें फिल्मी अंदाज में प्रपोज किया था। मधुबाला की मौत के बाद वो पूरी तरह से टूट गए थे।
मधुबाला की मौत के कई साल बाद किशोर दा की लाइफ में योगिता बाली आईं।1976 में दोनों ने शादी कर ली थी। महज 2 साल बाद ही दोनों ने तलाक ले लिया था। तलाक के बाद योगिता ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली थी, जिसके बाद किशोर दा ने कभी भी मिथुन की फिल्मों के लिए गाने नहीं गाए।
किशोर दा एक्ट्रेस लीना चंदावरकर के दूसरे पति थे। एक फिल्म के दौरान दोनों की मुलाकात हुई, फिर प्यार और 1980 में दोनों ने शादी कर ली। लीना ही किशोर दा के अंतिम समय तक उनके साथ रही थीं।