यूपी में रामचरितमानस को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। लखनऊ में रविवार को रामचरितमानस की कुछ प्रतियों को जलाकर विरोध किया गया। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों ने प्रदर्शन किया। महासभा ने पहले से ही विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था।
रविवार सुबह लगभग साढ़े 9 बजे कार्यकर्ता वृंदावन सेक्टर-9 के आवास विकास कार्यालय पहुंचे। यहां पर रामचरितमानस के खिलाफ नारेबाजी कर इस पर बैन लगाने की मांग की। साथ ही कहा कि या तो इसमें संशोधन कराया जाए या फिर जातिगत जनगणना की जाए।
कुछ दिनों पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी दी थी। उन्होंने कहा था कि इसमें कुछ पंक्तियां ऐसी हैं, जो कि नारियों व शूद्रों के खिलाफ हैं। साथ ही इसे बकवास बताया था। उनके इस बयान के बाद देश भर में हिंदू समाज जगह-जगह प्रदर्शन कर रहा है। लोग उनके पुतले फूंक रहे हैं। वहीं ओबीसी मोर्चा खुलकर स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आ गया है।
मोहनलालगंज में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ता एकत्र हुए। ओबीसी और दलित मोर्चा ने रामचरितमानस का बहिष्कार करते हुए प्रतियां जलाईं। सभा के पदाधिकारी देवेंद्र यादव ने कहा, “रामचरितमानस में जो भी आपत्तिजनक टिप्पणियां नारी सशक्तिकरण के खिलाफ, शूद्रों या फिर दलित समाज पर और ओबीसी के खिलाफ है, इन्हें रामचरितमानस से निकलावना चाहते हैं। तभी ये विरोध प्रदर्शन शांत होगा। नहीं तो ये प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहेगा।”
अन्य कार्यकर्ता ने कहा, “आज के आधुनिक युग में लोग चांद तक पहुंच रहे हैं। लेकिन हिंदुस्तान के तथाकथित लोग अभी भी पीछे हैं। इसका जिम्मेदार रामचरितमानस भी है। इसने साजिश रची है। इसमें नारियों के खिलाफ अभद्र बातें कही गईं, इसके लिए तुलसीदास को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो भी कहा है, उनकी बातों का समर्थन करते हैं। जब संविधान में संशोधन हो सकता है तो रामचरितमानस में भी संशोधन कराया जाए। आपत्तिजनक बातों को निकाला जाए।”
एक कार्यकर्ता ने कहा, “रामचरितमानस में एससी-एसटी, नारियों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी को हटा दिया जाए। पहले तो कोई समझ नहीं रहा था। लेकिन अब इस समाज में लोग समझने लगे हैं। अब पता चल रहा कि इतने सालों से भ्रमित किया जा रहा था। साम दाम दंड भेद की नीति अपनाकर ये सत्ता में बैठे लोग जाति को जाति से लड़वाकर, धर्म को धर्म से लड़वाकर राज कर रहे हैं। ये लोग उच्च पदों पर आसीन हैं।”सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर बयान देकर चर्चाओं में हैं। शुक्रवार को मौर्य ने ट्वीट कर सवाल उठाते हुए कहा है कि अभी हाल में दिए गए मेरे बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने व सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है। अगर, यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद।” (पढ़ें पूरी खबर)
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर बयान से संत समाज में नाराजगी है। प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सम्मेलन में आए भैरव दास उर्फ कोतवाल बाबा ने कहा, ”स्वामी प्रसाद मौर्य गाजर-मूली बेचने वाले हैं, उन्हें रामचरित मानस, वेद और पुराण का महत्व कैसे मालूम होगा। उन्हें देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए।”
बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के बाद अब यूपी में समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है। मौर्य ने रविवार को कहा- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। (पूरी खबर पढ़ें
बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ. चन्द्रशेखर ने मनु स्मृति और रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है। उन्होंने कहा- रामचरित मानस समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है। उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है। चंद्रशेखर RJD से विधायक हैं।शिक्षा मंत्री पटना के ज्ञान भवन में आज नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में अतिथि थे। उन्होंने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सशक्त और समृद्ध मोहब्बत से बनेगा, न कि नफरत से। देश में छह हजार से अधिक जातियां हैं। जितनी जातियां हैं, उतनी ही नफरत की दीवार है। जब तक यह समाज में मौजूद रहेगी, भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता है।