आज कैबिनेट में रखी जाएगी OBC आयोग की 350 पेज की रिपोर्ट, नई आरक्षण सूची जारी करके अप्रैल में हो सकते हैं निकाय चुनाव

यूपी में निकाय चुनाव में आरक्षण के लिए गठित OBC आयोग ने 350 पेज की रिपोर्ट गुरुवार को CM योगी को सौंप दी है। शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में इस रिपोर्ट को रखा जाएगा। कैबिनेट इस रिपोर्ट पर मंथन करेगी। इसके बाद, सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नई आरक्षण सूची जारी की जाएगी।
नए आरक्षण के मुताबिक ही नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में सदस्यों और अध्यक्षों का चुनाव कराया जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल में निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। इससे पहले, आचार संहिता लागू हो सकती है। हाईकोर्ट के आदेश के यूपी सरकार ने 28 दिसंमर को 6 महीने के लिए OBC आयोग का गठन किया था।
दरअसल, 27 दिसंबर को हाईकोर्ट के आदेश से यूपी सरकार को झटका लगा था। कोर्ट ने राज्य सरकार की उस OBC सूची को खारिज कर दिया था, इसके आधार पर उसने निकाय चुनाव करवाने की तैयारी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं किया और उसके बिना ही चुनाव की घोषणा की। तब कोर्ट ने सरकार को ये भी कहा था कि वो बिना OBC आरक्षण के चुनाव करवाए। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
28 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को कोर्ट में मेंशन किया। उन्होंने कहा कि डीलिमिटेशन कि प्रक्रिया चल रही है। सरकार ने OBC आयोग का गठन कर दिया है। स्थानीय निकाय चुनाव अब आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराया जाएगा।

इसके बाद रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी को शामिल किया गया। आयोग राज्यपाल की सहमति से 6 महीने के लिए गठित किया गया था। आयोग को रिपोर्ट सब्मिट करने के लिए छह महीने का समय दिया गया था
31 दिसंबर को आयोग ने पहली कॉन्फ्रेंस की थी। आयोग के सदस्यों ने कहा था कि यह लंबा काम है और रिपोर्ट तैयार होने में 31 मार्च का समय लग सकता है। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 75 जिलों का दौरा किया। हालांकि, बीच में आयोग का यह बयान सामने आया था कि रिपोर्ट फरवरी के अंत तक तैयार हो जाएगी। आयोग ने अब सीएम योगी को रिपोर्ट दे दी है।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव पहले जनवरी में ही कराया जाना था। इसको लेकर नगर विकास विभाग ने अंतिम आरक्षण की सूची जारी कर दी थी। हालांकि इसके खिलाफ कई पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने रैपिड टेस्ट के आधार पर आरक्षण को सही न मानते हुए ट्रिपल टेस्ट कराने का आदेश राज्य सरकार को दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना OBC आरक्षण के निकाय चुनाव हों। जबकि सरकार ने कहा कि आरक्षण लागू करने के बाद चुनाव कराएंगे।
हालांकि इस बीच लखनऊ नगर निगम, कानपुर नगर निगम समेत तमाम नगर निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया। 2023 में होने वाले नगर निकाय चुनाव में 17 नगर निगम, 200 नगरपालिका परिषद और 517 नगर पंचायत में चुनाव कराया जाना है।

जबकि 2017 में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायत में चुनाव हुआ था। ऐसे में म्यूनिसिपल इलेक्शन को लेकर सरगर्मी फिर बढ़ती नजर आ रही है। सपा के रुख से ऐसी आशंका भी है कि कहीं आरक्षण सूची जारी होने के बाद ये मामला दोबारा अदालत न पहुंच जाए।