डायबिटीज के मरीज अब बेफिक्र होकर अमरूद का लुत्फ उठा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने विशेष प्रकार के थाई अमरूद के पौधे पर यह प्रयोग किया है। उनका दावा है कि एक ही पेड़ पर शुगर फ्री व मीठे अमरूद लगाए जा सकते हैं। शुगर फ्री अमरूद का वजन सामान्य अमरूद से ज्यादा होता है।
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक हरिसिंह ठाकुर ने किसान राजेश बग्गड़ के खेत में विशेष किस्म के लगभग 2500 पौधे लगवाए हैं। वैज्ञानिक ने इसके फल भी शुगर के मरीजों को खिलाए और उनका परीक्षण भी किया। साथ ही अमरूद का स्वाद भी जाना। बेहतर परिणाम मिलने के बाद अब इसे मार्केट में बेचना शुरू कर दिया है।
ऐसे तैयार करते हैं शुगर फ्री अमरूद
ठाकुर ने बताया कि एक पेड़ पर शुगर फ्री व मीठे, दोनों प्रकार के अमरूद लगाने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। जिन अमरूद को शुगर फ्री बनाया है, उसे सूर्य की किरणों से बचाकर रखना होता है। इसके लिए सबसे पहले फोम का कवर लगाते हैं। दूसरी चरण में पॉलीथिन लगाते हैं, जिसका मुंह नीचे से कटा होता है। अंत में कागज या कागज के लिफाफे से ढंका जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया में एक से डेढ़ माह का समय लगता है। जब ये पक जाते हैं तो इन्हें तोड़कर अलग रख लिया जाता है। इस पर किसी प्रकार का दाग या धब्बा भी नहीं होता। ये सामान्य अमरूद से स्वच्छ और साफ होते हैं, साथ ही इन पर किसी प्रकार के रसायन का प्रयोग भी नहीं किया जाता। ये आकार व वजन में मीठे अमरूद से बड़े होते हैं।
देश में सबसे अच्छी है इसकी किस्म
वैज्ञानिक का कहना है कि इसकी किस्म देश में सबसे अच्छी किस्म के रूप में आई है। इसके एक पेड़ पर लगभग 80 किलो तक अमरूद लगते हैं। एक अमरूद का औसत वजन 1.25 किलो होता है। इसकी उपज किसान अपनी मर्जी से कभी भी ले सकता है। साढ़े पांच महीने पहले से इसकी तैयारी शुरू करना होती है। इसके बाद जिस मौसम में चाहे अमरूद लगाया जा सकता है। यह 20 से 22 दिन तक खराब भी नहीं होता है। सामान्य अमरूद तीन से पांच दिन में ही खराब हो जाता है। इस कारण इसके दिल्ली व मुंबई में थोक दाम 185 रुपये और फुटकर में 300 रुपए किलो तक हैं।
सूर्य की किरणें ही फल को पकने और उसे स्वादिष्ट बनाने में मदद करती हैं। यदि सूर्य की किरणें फल पर नहीं पड़ती हैं तो फल फीका रह जाता है और डायबिटीज के मरीज उसका उपयोग कर सकते हैं। यदि थाई वेरायटी में भी वैज्ञानियों ने इस प्रकार का प्रयोग किया है और उससे फल की शुगर कम हुई है तो वह उपयोग के योग्य है।
-डॉ धर्मेंद्र झंवर, डायबिटीज विशेषज्ञ व एसोसिएट प्रोफेसर
मेडिसिन विभाग, मेडिकल कॉलेज, इंदौर