भारतीय और अमेरिकी निकायों ने क्षेत्र में मौसम के पूर्वानुमान में सुधार के लिए मानसून डेटा विश्लेषण और सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते पर सोमवार को भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी के निदेशक जी ए रामदास और यूएस असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटर फॉर रिसर्च और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के कार्यवाहक मुख्य वैज्ञानिक क्रेग मैकलीन ने हस्ताक्षर किए।
इसके परिणामस्वरूप, दोनों निकाय सुधार के लिए उत्तरी हिंद महासागर (OMNI) में अफ्रीकी-एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई मानसून विश्लेषण और भविष्यवाणी (RAMA) और ओशन मूरर्ड बॉय नेटवर्क में NOAA और भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच मौसम और मानसून के पूर्वानुमान के लिए रिसर्च मूरर्ड एरे के विकास में तकनीकी सहयोग बढ़ाएंगे।
यह समझौता पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और एनओएए के बीच पृथ्वी अवलोकन और पृथ्वी विज्ञान में तकनीकी सहयोग के लिए पिछले अक्टूबर में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का अनुवर्ती है। समझौता ज्ञापन पर अमेरिका में भारत के राजदूत, तरनजीत सिंह संधू और डॉ नील ए जैकब्स, सहायक वाणिज्य सचिव और कार्यवाहक प्रशासक, एनओएए ने हस्ताक्षर किए।
बता दें कि भारत में मानसून की दस्तक को लेकर इस साल बार बार गलत साबित हुए पूर्वानुमानों पर संसदीय समिति की चिंता भी सामने आई थी। समिति ने इसे लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग को भी कठघरे में खड़ा किया था। यही वजह रही कि जब समिति ने इसके कारणों और आगे की स्थिति पर जानकारी लेनी चाही तो बैठक में मौसम विभाग के साथ साथ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) व निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर की टीम को भी बुलाया गया।
मौसम विभाग से जुड़े लोगों का कहना था कि करीब डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक में मानसून के लगातार लेट होने, बार बार गलत हो रहे पूर्वानुमानों और इस स्थिति का भविष्य में सामने आने वाला परिणाम संसदीय समिति की चिंता का खास कारण रहा। समिति की रिपोर्ट में मौसम विभाग के सिस्टम में सुधार को लेकर भी कुछ सिफारिशें सामने आ सकती हैं।