दक्षिण अफ्रीका के अंतिम श्वेत राष्ट्रपति फ्रेडरिक विलियम डी क्लार्क (Fredrick William D Klerk) का गुरुवार को 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में अश्वेतों की अगुआई वाली सरकार को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरित करने वाले क्लार्क कैंसर बीमारी से जूझ रहे थे। मार्च में उनके कैंसर से पीड़ित होने का पता चला था। 1993 में मंडेला के साथ उन्हें संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद खत्म करने में अहम भूमिका निभाने के लिए डी क्लार्क की दुनिया भर में सराहना की जाती है। देश से रंगभेद समाप्त होने के 20 वर्ष से ज्यादा समय बाद तक देश में क्लार्क की भूमिका अत्यंत संघर्षपूर्ण बनी रही। तमाम अश्वेत राजनीतिक हिंसा पर काबू पाने में उनकी विफलता को लेकर नाराज रहे। डी क्लार्क की नेशनल पार्टी के ध्वज तले लंबे समय तक शासन कर चुके दक्षिणपंथी श्वेत अफ्रीकी उन्हें श्वेत श्रेष्ठता पर आघात पहुंचाने वाले धोखेबाज के रूप में देखते हैं।
डी क्लार्क के फाउंडेशन ने उनकी मृत्यु के कुछ घंटे बाद एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में डी क्लार्क देश में रंगभेद के शिकार हुए लोगों से माफी मांगते दिख रहे हैं। संदेश में उन्होंने कहा, दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत लोगों को मिले दर्द और अपमान के लिए मैं माफी मांगता हूं। देश अब भी कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। मैं संविधान के कई पहलुओं को कमजोर होता देख चिंतित हूं।