संसद में नहीं हुई सुनवाई इसलिए सड़क पर उतरे हैं किसान: सोनिया गांधी

नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पार्टी के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किसानों की बदहाली को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। नए कानूनों का मुखर विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी कर सरकार उन्हें खून के आंसू रूला रही है। इस बीच नये कृषि कानूनों को कांग्रेस शासित राज्यों में अप्रभावी करने के मकसद से पार्टी ने एक प्रस्तावित मॉडल कानून का मसौदा भी बनाया है जिसे पार्टी दूसरे विपक्ष शासित राज्यों से अपनाने का आग्रह भी करेगी।

महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर देश भर के जिला मुख्यालयों में कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस के धरना प्रदर्शन का समर्थन करते हुए सोनिया गांधी ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इन तीनों काले कानूनों से अनाज मंडियां खत्म होगी तो जमाखोरों को अनाज जमा करने की खुली छूट मिल जाएगी। किसानों की जमीन पूंजीपतियों को सौंप दी जाएगी। जबकि किसानों के साथ ही खेत-मज़दूरों और बटाईदारों का भविष्य जुड़ा है। मंडियों में काम करने वाले छोटे दुकानदारों और मजदूरों का भविष्य दांव पर है मगर मोदी सरकार को इसकी फिक्र नहीं है। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस का तीन काले कानूनों के खिलाफ संघर्ष आंदोलन कामयाब होगा और आखिर में किसानों की जीत होगी।कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में हर जरूरतमंद देशवासी को किसानों की वजह से ही मुफ्त अनाज मिल पाया है।

संकट के इस काल में दो जून का भोजन किसानों के बिना संभव नहीं था फिर भी प्रधानमंत्री हमारे अन्नदाता किसानों के साथ नाइंसाफी और घोर अन्याय कर रहे हैं। किसानों के लिए कानून बनाने से पहले उनसे सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया। किसान हितों को नज़रअंदाज करके सिर्फ चंद दोस्तों से बात कर तीन काले कानून बना दिए गए। किसानों और कांग्रेस के विरोध को सही ठहराते हुए सोनिया ने कहा कि जब संसद में किसान की आवाज नहीं सुनी गई तब मजबूरी में लोकतांत्रिक रास्ते पर चलते हुए सड़कों पर उतरना पड़ा है। लेकिन किसानों की बात सुनने की बजाय सरकार लाठियां बरसा कर विरोध की आवाज का दमन कर रही है। वहीं राजनीतिक मोर्चे पर इस लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने विरोध को प्रभावी बनाने के लिए एक मॉडल कानून का मसौदा बनाया है।