रॉ एजेंट का निभाएंगे रोल निखिल सिद्धार्थ, सुभाष चंद्र बोस से जुड़े रहस्यों के इर्द- गिर्द घूमेगी कहानी

निखिल सिद्धार्थ की ‘कार्तिकेय 2’ हिंदी बेल्ट में भी खासी हिट रही थी। अब उनकी ‘स्पाई’ आ रही है। इसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े रहस्यों के इर्द- गिर्द इंडियन रॉ एजेंट की कहानी कही गई है

कई जॉनर की फिल्में आ रही हैं। हालांकि जो ‘स्पाई’ फिल्म है, वह ‘कार्तिकेय2’ से पहले ही प्लान थी। मुझे स्क्रिप्ट बेहद पसंद आई थी। उस वक्त ही प्लान किया था कि इसे पैन इंडिया लेवल पर ही बनाना है। हमने इसे जॉर्डन, अमेरिका, श्रीलंका में शूट किया। हम नेशनल आर्काइव में गए।

वहां नेताजी को लेकर जितने भी दस्तावेज थे, वह सब खंगाले। साथ ही अनुज थार और चंद्रचूड़ जी बहुत बउ़े स्कॉलर हैं। उनसे भी हम मिले। हमें लगा कि हमें लोगों को बताना चाहिए
कहानी में रॉ विभाग के ऑफिसर हैं। वो देश को एक आतंकी के हमले से बचाने में जुटा हैं। उस क्रम में पता चलता है कि उस आतंकी से बचाने में हमारे नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की क्या महत्वपूर्ण स्टोरी है, उसकी परतें खुलती जाती हैं।

हमे जो भी रिसर्च हासिल हुए, उसे हमने पूर्व रॉ एजेंट से क्रॉस चेक किया। साथ ही सरकार ने 2019 में नेताजी से जुड़े कुछ सीक्रेट फाइल्स को डीक्लासिफाई किया था। तो नेताजी अगर 1945 में गुम हुए थे तो क्यों इतने लंबे समय तक उनकी फाइल गुप्त रही?

तो हमने उनसे जुड़ी ढेर सारी हिस्ट्री को फिल्म में रखा है। हम मुखर्जी कमिशन की रिपोर्ट में भी गए। वहां पाया कि रिपोर्ट अधूरी है। बहरहाल हमारी फिल्म उनके मौत के रहस्यों पर नहीं है। उसके बजाय वो किस तरह देश के युवाओं के लिए मिसाल रहे हैं, वह हमने रखा है। पर साथ ही मुखर्जी कमिशन की रिपोर्ट से लेकर उनके गुम होने को लेकर जो थ्योरीज रही हैं, उन पर भी बातें की हैं।
हिंदी में इसे मंगलमूर्ति फिल्म्स के पास डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स हैं। संगीता सचिन अहिर उनकी प्रमुख हैं। पब्लिक हॉलिडे भी हमें मिला है। एंटरटेनमेंट भी है। बाकी मैं जिन भी फिल्म में काम करता हूं, उनके बजट हमेशा कंट्रेाल में रहते हैं।
हमने इस फिल्म को महज 30 से 35 करोड़ में बनाया है। यह विचुअली अच्छी बनी है। ताकि हम ऑडियंस को एक्साइट कर पाएं कि वो सिनेमाघरों में आएं। स्पाई वाली फिल्में वैसे भी बिग स्क्रीन एक्सपीरिएंस होती हैं। हमारे एक्शन और लोकेशन बेहद रियल है। हम न तो ग्रीन स्क्रीन, क्रोमा या सीजी इफेक्ट्स पर गए न और कुछ आर्टिफिशियल रहा। हमने स्पीति वैली में माइनस 15 डिग्री सेल्सियस में शूटिंग और खुद से स्टंट किए
बिल्कुल नहीं। अक्षय सर का अनुभव बहुत बड़ा है। मैंने तो एकाध फिल्मों में स्टंट किया है। वो तो सौ से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं। पर हां हमने भी पूरी ईमानदारी और मेहनत से फिल्म बनाई है।
वह हम अगले साल मार्च से शुरू कर रहें हैं। वह 3डी में बनेगी। हम लोग उसके लिए देश दुनिया से लेटेस्ट कैमराज मंगवा रहे हैं। हम रियल 3डी कैमराज मंगवा रहें हैं।
राजामौली सर के बारे में तो सब जानते ही हैं कि उनकी एक फिल्म बनने में तीन से चार साल लग जाते हैं।अभी तो वो वैसे भी महेश बाबू के साथ काम कर रहें हैं। रही बात प्रशांत नील जी कि तो उनके पीछे तो लंबी लाइन है। सारे सुपरस्टार उनके साथ काम करना चाहते हैं। तो मेरे जैसे कलाकार को तो वेट करना होगा। उसकी जगह मैं वैसे नए टैलेंट को ढूंढकर काम करना चाहूंगा, जो अगले राजामौली और प्रशांत नील बन सकते हैं।
यहां भी वही हालात हैं। तकरीबन हर इंडस्ट्री में यहां तक कि हॉलीवुड में भी 15 से 20 फीसदी ही रेट रह रहा है। मास्टरपीस आप कभी कभार ही बना सकता है।