केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी गई है। तमाम विवादों और आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए सरकार इस काम को अंजाम देने में जुट गई है। हालांकि अभी तक नए एनपीआर का नया फार्म जारी नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार इसमें कुछ नए सवालों को जोड़ा जा सकता है। माता पिता के जन्म स्थान और जन्म की तारीख भी पूछी जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि आधार नंबर, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट नंबर, पैन नंबर, वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर जैसी जानकारियां भी मांगी जा सकती है। 2010 में एनपीआर के लिए व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, माता पिता का नाम, पति या पत्नी का नाम (अगर विवाहित है तो), जन्म तिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थाई पता, व्यवसाय जैसी जानकारियां मांगी गई थी।
सरकार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के लिए फॉर्म और मोबाइल एप दोनों की मदद लेगी। इस प्रक्रिया के दौरान कोई कागजात या बायोमेट्रिक नहीं मांगा जाएगा। सरकार की ओर से इस पूरी प्रक्रिया को स्वत: प्रमाणित (सेल्फ सर्टिफिकेशन) कहा जा रहा है। आधार नंबर, माता पिता का जन्मस्थान जैसे सवाल भी वैकल्पिक और स्वैच्छिक हो सकते हैं।
जनसंख्या रजिस्टर का काम जनगणना से पहले शुरू होगा। अप्रैल से सितंबर 2020 तक हर घर और उसमें रहने वाले व्यक्तियों की सूची बनाई जाएगी और इसी के साथ एनपीआर रजिस्टर को अपडेट करने का काम भी किया जाएगा।
माता-पिता के जन्मस्थान वाले सवाल को लेकर ही सबसे ज्यादा आपत्ति जताई जा रही है। विपक्ष इसी सवाल को आधार बनाकर इसे एनआरसी का ही कदम बता रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अगर किसी का नाम एनपीआर में रह भी जाता है तो भी उसकी नगारिकता नहीं जाएगी। गृह मंत्री ने यह भी आश्वस्त किया है कि एनपीआर और एनआरसी अलग-अलग है और एनपीआर से किसी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है, यह सिर्फ देश में रहने वाले लोगों का एक रजिस्टर है।