नई दिल्ली प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिस्ट एसोसिएशन डीएवीपी एवं आरएनआई  की पत्रकार विरोधी रवैया से असंतुष्ट- गिरीश कुशवाहा

नई दिल्ली,(द दस्तक 24 न्यूज़) आज प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री पर तत्काल डीएवीपी एवं आरएनआई द्वारा संपादकों का किया जा रहा उत्पीड़न को लेकर एसोसिएशन गंभीर हो गई है सूचना एजेंसी में बैठे कुछ सरकार विरोधी अधिकारियों द्वारा संपादक विरोधी नीतियों को चुनाव के दौरान इसलिए लागू किया गया कि भारत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का झंडा उखड़ जाए परंतु प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को स्पष्ट शब्दों में अवगत करा दिया है कि वह संपादक विरोधी नीतियों को गंभीरता से अध्ययन करें संगठन ने इसके पूर्व भी कई बार डीएवीपी एवं आर एन आई जैसी  सरकार की एजेंसी द्वारा लगातार एक वर्ष से प्रताड़ित किया जा रहा है कहीं आरएनआई के नाम से संपादकों को एवं डीएवीपी में समाचार पंजीयन को लेकर जितना परेशान किया गया है संपादकों को देश आजाद होने के बाद से आज तक इतना परेशान नहीं किया गया है इससे संपादकों में केंद्र सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है चुनाव का समय है संगठन सभी राज्य के संपादकों को स्वस्थ करना चाहती है कि वह शीघ्र सूचना एवं प्रसारण मंत्री को पत्र लिखकर वर्ष 2023-2024 पूर्व की भांति ही पंजीकरण कराने की मांग करेगा यदि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ध्यान नहीं दिया तो एसोसिएशन न्यायालय की शरण में जाएगा और देश के संपादकों को न्याय दिलाने का काम करेगा।        ‌ ‌   ‌ ‌‌             

            मालूम हो केंद्र सरकार की सूचना एजेंसी डीएवीपी ने इस बार साजिश के तहत संपादकों को प्रताड़ित करने के लिए छोटे एवं मझौल 95 प्रतिशत समाचार पत्रों को बंद करने की साजिश रचते हुए नई कानून व्यवस्था डीएवीपी ने लागू कर दी है जो निम्न है जिससे संपादकों में केंद्र सरकार के प्रति आक्रोश भड़कता जा रहा है जो निम्न है वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा । फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरणी जमा नहीं कर पाएंगे । साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । 

भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक द्वारा इस वर्ष से प्रकाशकों को विषम परिस्थितियों में डाल दिया है । एक तरफ तो समाचार पत्र को व्यवसाय या उद्योग का दर्जा सरकार ने आज तक नहीं दिया है । वर्षों से समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के पंजीयन प्रमाण पत्र तक जारी नहीं किए गए है । अनेकों शीर्षक संबंधी मामले, पंजीयन संबंधी मामले इत्यादि कई मामले लम्बित है । पंजीयन प्रमाण पत्र में संशोधन के मामले लम्बित है । इन सब प्रकरणों को निराकरण किए बिना प्रेस सेवा पोर्टल को लागू किया जाना न्याय संगत नहीं है । ज्ञातव्य हो कि प्रेस सेवा पोर्टल में अनेकों ऐसे प्राविधान रखे गए है, जिन्हें छोटे व मझौले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के प्रकाशकों के द्वारा पूरा किया जाना असंभव है । प्रेस सेवा पोर्टल शुरू किए जाने से पूर्व सभी समाचार पत्रों के संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था, प्रकाशकों एवं मुद्रकों से सुझाव या सलाह-मशवरा लेना चाहिए था, ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित किए जाने थे । इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरणी को दाखिल नहीं कर पाएंगे । साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । साथ ही आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है । जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में आधार कार्ड को किसी योजना में अनिवार्य रूप से लागू नहीं करने का निर्णय भी दिया है । ऐसा लगता है कि सरकार ने प्रिंट मीडिया को समाप्त करने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है । ऑल इण्डिया स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन, नई दिल्ली आव्हान करती है कि इस प्रेस सेवा पोर्टल का सभी प्रकाशकों को बहिष्कार करना चाहिए । जब तक प्रेस सेवा पोर्टल में वार्षिक विवरण को दाखिल करने में सरलीकरण न कर दिया जाए तब तक किसी हालत में वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाएं । वर्तमान परिदृश्य में सभी प्रकाशकों को एकता के साथ इसका कड़ा विरोध करने की जरूरत है, अन्यथा छोटे व मझौले अखबारों को बंद करने की योजना सफल हो जायेगी । इसका प्रेस सेवा पोर्टल का जबरदस्त तरीके से विरोध किया जाएगा । भारतीय प्रेस परिषद के सदस्यगण सर्वश्री सरदार गुरिंदर सिंह, एल. सी. भारतीय, श्याम सिंह पंवार ने इस सेवा पोर्टल का विरोध करके वार्षिक विवरण को दाखिल करने की प्रक्रिया को सरलीकरण की मांग की है । इस मामले को अति शीघ्र ही भारतीय प्रेस परिषद में भी उठाया जाएगा ।