हाल के दिनों में चीन की तरफ से लद्दाख और अरुणाचल को लेकर बेतुके बोल पर भारत ने सख्त रुख अपनाया है। चीन को दो टूक संदेश दिया गया है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा कि चीन को भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। सीमा पर मौजूदा तनाव और चीन से चल रही वार्ता के बीच विदेश मंत्रालय के इस बयान को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस रुख के साथ भारत ने यह संदेश भी दे दिया है कि चीन की किसी घुड़की को तवज्जो नहीं दी जाएगी। एक दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने का संदेश देकर भारत को घुड़की देने की कोशिश की थी। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नेवी मरीन कॉर्प्स के मुख्यालय पहुंचे चिनफिंग ने अपने सैनिकों से खुद को इलीट फोर्स के रूप में विकसित करने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि सैनिकों को युद्ध की बात दिमाग में रखकर तैयारी करनी चाहिए।
दरअसल, चीन की हालिया बौखलाहट के पीछे भारत की ओर से सीमाई क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूती देना है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से भारत ने सीमाई क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूती दी है उससे चीन की नींद उड़ी हुई है। हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विभिन्न सीमाई इलाकों में करीब चार दर्जन पुलों का उद्घाटन किया था। इससे चिढ़े चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बेतुके बोल बोले थे। चीनी प्रवक्ता झाओ लिजिन ने कहा था कि चीन लद्दाख और अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं मानता है।
पड़ोसी देशों की हरकतों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल में सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि चीन और पाकिस्तान सोची-समझी मुहिम के तहत भारत से सीमा पर तनाव बढ़ा रहे हैं। भारत ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। देश के राजनीतिक नेतृत्व की ओर से इस मसले पर पहली बार इस तरह का रुख अपनाया गया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख एमएम नरवाने भी दोनों मोर्चों पर पूरी तैयारी की बात कह चुके हैं। फिलहाल सीमा पर चीन के अड़ियल रुख के चलते गतिरोध बरकरार है।