NATO ने रूस के साथ बातचीत के बीच यूक्रेन को भेजा निमंत्रण, कहीं बिगड़ न जाए बनी बनाई बात

रूस और यूक्रेन के बीच मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल में आमने-सामने की वार्ता शुरू हुई। वार्ता खत्म होने के बाद कहा गया कि ये काफी सार्थक बातचीत रही। उम्मीद लगाई जा रही है कि युद्ध समाप्त किए जाने पर जल्द सहमति बन सकती है।
हालांकि सकारात्मक घटनाक्रम के बीच एक ऐसी खबर आई है जो बनी बनाई बात बिगाड़ सकती है। दरअसल उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने मंगलवार को यूक्रेन को 6 और 7 अप्रैल को ब्रसेल्स में होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यूक्रेन के अलावा यह आमंत्रण अन्य गैर-सदस्य देश जॉर्जिया, फिनलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, और कोरिया गणराज्य को भी भेजा गया है।
तुर्की में हुई बैठक के बाद लग रहा है कि यूक्रेन पर रूसी अटैक अब रुक सकता है। यूक्रेन ने तुर्की में मंगलवार को रूस के साथ महीने भर से चले आ रहे संघर्ष को सुलझाने के लिए कई प्रस्ताव रखे, जिसमें नाटो में शामिल होने की अपनी पुरानी महत्वाकांक्षा को छोड़ना भी शामिल है।

रूस ने अश्वासन दिया है वह इस्तांबुल में “सार्थक” वार्ता के बाद कीव के आसपास सैन्य गतिविधियों को कम करेगा। रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर शुरू किए गए हमले के बाद पहली बार है, जब रूस ने कुछ नरमी के संकेत दिए हैं। इसके बदले में यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय गारंटी के साथ तटस्थ रहने का आश्वासन दिया है।
माना जा रहा है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की अपनी जिद को छोड़ देगा। जिसके बाद ही रूस अपने सैनिकों के वापसी का ऐलान करेगा। लेकिन ऐसे में नाटो द्वारा आमंत्रण दिए जाने के बाद यूक्रेन का अगला कदम क्या होगा ये काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूक्रेन पर रूसी अटैक का एक कारण ये भी माना जा रहा है कि वह नाटो में शामिल होने जा रहा था, जिससे रूस के ऐतराज है।

इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को पहले नाटो शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जोकि पिछले सप्ताह गुरुवार को हुआ। शिखर सम्मेलन के दौरान, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन में रूसी आक्रमण पर चर्चा की थी।
यूक्रेन पश्चिमी देशों से कानूनी रूप से बाध्यकारी सुरक्षा गारंटी चाहता है, जो नाटो की सामूहिक सुरक्षा गारंटी के बराबर या उससे बेहतर हो। यूक्रेनी वार्ताकार डेविड अरखामिया ने रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा, “हम सुरक्षा गारंटी का एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र चाहते हैं जहां गारंटर देश नाटो के अनुच्छेद संख्या पांच के समान तरीके से एक्ट करे।”
नाटो संधि के अनुच्छेद 5 में सदस्य देशों को हमले के मामले में अन्य सदस्यों की सहायता के लिए आना होता है। अरखामिया ने कहा कि यूक्रेन चाहता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य) – साथ ही कनाडा, जर्मनी, इजराइल, इटली, पोलैंड और तुर्की गारंटर देशों के रूप में शामिल हों। चीन और इजराइल को छोड़कर ये सभी देश नाटो के सदस्य हैं।
यूक्रेन ने कहा कि इस तरह की सुरक्षा गारंटी के साथ यूक्रेन तटस्थ रह सकता है, जिसका अर्थ है कि वह नाटो में शामिल होने की अपनी आकांक्षाओं को छोड़ देगा। उन्होंने कहा, “यूक्रेन तटस्थ स्थिति को स्वीकार करेगा यदि सुरक्षा गारंटी काम करती है।” वार्ता में एक अन्य यूक्रेनी वार्ताकार, ऑलेक्ज़ेंडर चाली ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यूक्रेन “किसी भी सैन्य-राजनीतिक गठबंधन” में शामिल नहीं होगा।