लोकसभा से राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान विधेयक हुआ पारित, क्या है ये , आइये जाने

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने लोकसभा में सोमवार को ‘राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2021’ पेश किया। कई सदस्यों ने देश में औषधि अनुसंधान को बढ़ावा देने और समयबद्ध तरीके से उत्कृष्ट अनुसंधान संस्थानों का परिसर स्थापित किए जाने की मांग की। चर्चा के बाद ये विधेयक लोकसभा से पारित हो गया। लोकसभा में एक अन्य बिल स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक पेश किया गया।
मांडविया ने विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए कहा कि औषधि क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बनें, इनमें शोध हो तथा शैक्षणिक संस्थान स्थापित हो सकें.. इस उद्देश्य के साथ यह विधेयक लाया गया है।चर्चा शुरु करते हुए कांग्रेस के अब्दुल खालिक ने विधेयक में कुछ संशोधनों को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि संबंधित बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्यों की संख्या को कम कर दिया गया है और सांसदों को भी इससे हटाया गया है।
भाजपा के राजदीप राय ने कहा कि यह विधेयक संस्थानों को ज्यादा अधिकार देता है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि सरकार को इन संस्थाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस के संजीव कुमार ने कहा कि फार्मास्युटिकल उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए।शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बरणे ने कहा कि महाराष्ट्र में भी ऐसे संस्थान बनाये जाने चाहिए। बीजद की चंद्राणी मुर्मू ने ओडिशा में ऐसा एक संस्थान खोले जाने की मांग की। बसपा के दानिश अली ने एक संस्थान पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी बनाया जाना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि देश में फार्मास्युटिकल कंपनियां सरकार की किसी नीति की वजह से नहीं बल्कि महामारी की वजह से तरक्की कर रही हैं। कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने कहा कि इन संस्थानों की बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए। जदयू के आलोक कुमार सुमन ने भी चर्चा में भाग लिया।

उधर सोमवार को ही लोकसभा में विपक्षी दलों के विरोध के बीच लोकसभा में सोमवार को वित्त राज्य मंत्री डा भागवत कराड ने स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक 2021 (एनडीपीएस) पेश किया गया। यह संशोधन अधिनियम की विसंगति को सुधारने के लिए है जिससे इसके विधायी उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक का विरोध किया।