40 के दशक की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस नसीम बानो ने 31 साल तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। खूबसूरत इतनी थीं कि नजर से बचाने के लिए उन्हें पर्दे में रखा जाता था। यही वजह थी कि उन्हें ब्यूटी क्वीन और पहली फीमेल सुपरस्टार कहा जाता था।
मां के मना करने के बाद एक्टिंग में आने के लिए वो भूख हड़ताल पर चली गईं। हालांकि मां को झुकना पड़ा और फिल्मी सफर शुरू हुआ। पहली फिल्म ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। 4 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज करने के बाद उन्होंने अपनी बेटी सायरा बानो के लिए फिल्मों में काम करना बंद कर दिया।
नसीम बानो का असली नाम रोशा आरम बेगम था। उनका जन्म 4 जुलाई 1916 को में पुरानी दिल्ली में हुआ था। नसीम की मां शमशाद बेगम जिन्हें छमियान बाई भी कहा जाता था, अपने समय की एक प्रसिद्ध गायिका थी। नसीम बानो की परवरिश शाही ढंग से हुई थी। वो स्कूल पढ़ने के लिए भी पालकी से जाती थीं। दरअसल, वो इतनी सुंदर थीं कि उन्हें किसी की नजर ना लग जाए इसलिए उन्हें हमेशा पर्दे में रखा जाता था।
मां चाहती थीं कि नसीम डॉक्टर बने लेकिन वो हमेशा से एक्टिंग में अपना करियर बनना चाहती थीं। उनका सपना हमेशा से सुलोचना (रुबी मेयर) के जैसे एक्ट्रेस बनने का था।
एक बार वो स्कूल की छुट्टियों के दिनों में अपनी मां के साथ फिल्म सिल्वर किंग की शूटिंग देखने गईं थी। शूटिंग देखकर वो बहुत इंस्पायर हुईं और फैसला कि वो सिर्फ एक्टिंग में ही अपना करियर बनाएंगी। उसी दौरान सेट पर एक डायरेक्टर की नजर नसीम पर पड़ी तो वो भी उनकी सुंदरता पर मोहित हो गए और झट से फिल्म में काम करने का ऑफर दे दिया। मां ने नसीम को बच्ची कहकर फिल्म के ऑफर को रिजेक्ट कर दिया क्योंकि वो नहीं चाहती थीं कि नसीम इस फील्ड में अपना करियर बनाएं।
इसी दौरान नसीम बानो को फिल्म प्रोड्यूसर सोहराब मोदी ने फिल्म खून का खून के लिए बतौर लीड फीमेल एक्ट्रेस का ऑफर दिया। इस बार भी नसीम की मां ने इनकार कर दिया था लेकिन अब की बार मां के मना करने के बाद नसीम जिद पर अड़ गई कि उन्हें एक्ट्रेस बनना ही है। इतना ही नहीं अपनी मां को मनाने के लिए वो भूख हड़ताल पर भी चली गई थीं। आखिरकार उनकी मां को रजामंदी देनी पड़ी जिसके बाद उन्होंने फिल्म खून का खून से फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया।
ये फिल्म बाॅक्स ऑफिस पर हिट रही और इसी से पूरे देश में नसीम को पहचान मिली। इसके बाद नसीम सभी फिल्ममेकर की पहली पसंद भी बन गई थीं। जब फिल्मों के ज्यादा ऑफर आने लगे तो उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी।
उन्होंने मिनर्वा मूवीटोन बैनर के तहत मोदी के साथ कई फिल्में बनाई जिनमें तलाक, मीठा जहर, बसंती जैसी फिल्में शामिल थीं। हालांकि फिल्म पुकार के नूर जहां किरदार ने नसीम को बहुत पाॅपुलैरिटी दिलाई। इसके बाद दूसरे प्रोडक्शन हाउस से भी उन्हें फिल्मों के ऑफर मिलने लगे लेकिन सोहराब मोदी के साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट के कारण वो उन ऑफर को अपना ना सकीं। इस बात पर नसीम और सोहराब के बीच कुछ अनबन भी हुई थी।
नसीब को बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिला था। कई रिपोर्ट्स ने ये भी दावा किया था कि बाद में उन्होंने C ग्रेड फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। हालांकि वो रोल उनके किरदार से बिल्कुल अपोजिट था। गुरु दत्त ने उन्हें फिल्म प्यासा में काम करने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया था।
नसीम बानो ने अपने बचपन के दोस्त मियां एहसान-उल हक से शादी की थी। शादी के बाद नसीम ने बेटी सायरा बानो और बेटे सुल्तान अहमद को जन्म दिया था। उनके पति ने ताज महल पिक्चर्स बैनर की शुरुआत की थी। इस बैनर तले नसीम और उनके पति ने ‘मुलाकात’, ‘चांदनी रात’ और ‘अजीब लड़की’ फिल्मों का प्रोडक्शन किया था।
1947 के भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद नसीम के पति पाकिस्तान चले गए थे। वो चाहते थे कि नसीम भी उनके साथ वहां आ जाएं लेकिन नसीम ने वहां जाने से मना कर दिया था। उन्होंने पाकिस्तान ना जाकर अपने देश भारत में ही रहने का फैसला किया। इसके बाद पति भी उनसे मिलने कभी भी भारत नहीं आए। वो अपने साथ नसीम की कई फिल्मों के निगेटिव ले गए थे, जो उन्होंने पाकिस्तान में रिलीज किए थे। वहां पर भी ये फिल्में अच्छी कमाई करती थीं क्योंकि पाकिस्तान में भी नसीम की जबरदस्त पाॅपुलैरिटी थी।
फिल्म ‘अजीब लडक़ी’ बतौर एक्ट्रेस नसीम बानो के सिने करियर की अंतिम फिल्म थी। इस फिल्म के बाद नसीम ने अपने एक्टिंग करियर को अलविदा कह दिया था। ये वही दौर था जब उनकी बेटी सायरा बानो फिल्मी परदे पर दस्तक देने वाली थी। ऐसा भी कहा जाता है कि नसीम नहीं चाहती थी कि बेटी से उनकी तुलना हो इसलिए उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया।उसके बाद नसीम ने बतौर फैशन डिजाइनर काम शुरू किया और अपनी बेटी की कई फिल्मों के लिए उन्होंने ड्रैसेज भी डिजाइन की। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये भी कहा जाता है कि सायरा बानो और दिलीप कुमार की शादी में नसीम की बड़ी भूमिका थी। आखिरकार 18 जून 2002 को 85 साल की उम्र में नसीम ने अंतिम सांस ली।