बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet) के ऊपर मंडरा रहे जूनो अंतरिक्ष यान (Juno Spacecraft) ने विशाल ग्रह के वातावरण में ‘क्लाइड्स स्पॉट’ (Clyde spot) की तस्वीर खींची है. 15 अप्रैल 2021 को बृहस्पति के बादलों के ऊपर पर किए गए लो पास ओवर में पाया गया कि यह क्षेत्र वास्तविक स्पॉट से अक्षांश में दोगुना और देशांतर में तीन गुना बड़ा है और इसमें लंबे समय तक बने रहने की क्षमता है.
इसका नाम दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन के खगोलशास्त्री क्लाइड फोस्टर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 2020 में अपने खुद के 14 इंच के टेलिस्कोप का इस्तेमाल करके इसकी खोज की थी. बाद में जूनो ने इस प्राकृतिक घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. दरअसल यह स्पॉट जोवियन वायुमंडल की ऊपरी परत के ऊपर बना बादलों का एक ढेर है.
वायुमंडल की ऊपरी परतों के ऊपर बना यह स्पॉट बृहस्पति के ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, जो मौजूदा समय में पृथ्वी से करीब 1.3 गुना चौड़ा है. नासा ने एक बयान में कहा कि बृहस्पति के अत्यधिक गतिशील वातावरण में कई स्पॉट थोड़े समय के लिए बनते हैं लेकिन जूनोकैम इंस्ट्रूमेंट द्वारा अप्रैल 2021 में की गई निगरानी से पता चलता है कि इसकी खोज के लगभग एक साल बाद क्लाइड स्पॉट के अवशेष न केवल ग्रेट रेड स्पॉट से दूर चले गए हैं बल्कि एक जटिल संरचना के रूप में बदल गए हैं.
बृहस्पति पर अध्ययन के दौरान फोस्टर ने एक नए स्पॉट की खोज की थी जो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य के प्रति संवेदनशील फिल्टर के माध्यम से देखा गया था और चमकदार दिखाई पड़ा था. वहीं ऑस्ट्रेलिया में खगोलविदों द्वारा कुछ घंटे पहले ली गई तस्वीरों में यह स्पॉट दिखाई नहीं दिया था. बता दें कि जूनो अंतरिक्ष यान बादलों से 45,000-27,000 किलोमीटर ऊपर था जब उसने ताजा तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया. बता दें कि क्लाइड स्पॉट के अलावा द ग्रेट रेड स्पॉट ग्रह की सबसे दिलचस्प विशेषताओं में से एक है.