केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर लड़कों के बराबर 21 वर्ष किए जाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे लोगों पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तीकरण एवं संवैधानिक समानता पर तालिबानी सोच भारत में नहीं चलेगा। नकवी ने यह बात राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित अल्पसंख्यक दिवस कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान कही।
मालूम हो कि केंद्र सरकार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने का विधेयक लाने वाली है लेकिन इस प्रस्ताव का कुछ लोगों ने विरोध करना भी शुरू कर दिया है। सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने भी प्रस्ताव पर सवाल उठाया है।
नकवी ने शनिवार को कार्यक्रम के दौरान लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे लोगों के सोच पर प्रश्न किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए राजनीतिक छल को मोदी सरकार ने समावेशी सशक्तीकरण के राष्ट्रवादी बल से ध्वस्त किया है। भारतीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, समावेशी समृद्धि एवं सम्मान, संवैधानिक संकल्प भारतीय समाज के सकारात्मक सोच का नतीजा है। उन्होंने कहा कि भारत के बहुसंख्यक समाज का सोच अपने देश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सम्मान के संस्कार एवं संकल्प से भरपूर है। भारत एक ऐसा देश है, जहां सभी धर्मो, पंथों, संप्रदायों को मानने वालों के साथ-साथ किसी धर्म-पंथ को नहीं मानने वालों को भी संवैधानिक-सामाजिक सुरक्षा प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले सात वषरें में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के संकल्प के साथ सुधार, विकास और समावेशी सशक्तीकरण किया है। उन्होंने सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए किए जा रहे कायरें और योजनाओं का भी जिक्र किया।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कभी तत्काल तीन तलाक की कुरीति को कानूनी अपराध बनाने का विरोध, कभी मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के साथ ही हज यात्रा की बाध्यता खत्म करने पर सवाल और अब महिलाओं के विवाह की आयु के मामले में समानता पर बवाल करने वाले लोग संविधान की मूल भावना के विरोधी हैं। इस मौके पर अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री जान बारला, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा, उपाध्यक्ष आतिफ रशीद व आयोग के अन्य सदस्य तथा गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।