‘देवों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। यहां कुछ ऐसी चुनिंदा जगहे हैं जहां घूमने के लिए देश से ही नहीं बल्कि, विदेशों से भी सैलानी आते रहते हैं। उत्तराखंड के इन्हीं चुनिंदा जगहों में से एक है मुनस्यारी। मुनस्यार दो शब्दों ‘मुन’और ‘स्यार’ से मिलकर बना है। मुन का अर्थ है बर्फ (हिमकण जिसे स्थानीय भाषा में ‘मुण’ भी कहा जाता है) और स्यार का अर्थ है कीचड़। मतलब इस बर्फीले इलाके में बर्फ व कीचड़ के घालमेल की वजह से ही इस शब्द की उत्पत्ति हुई। जिस पर्वत पर यह इलाका बसा है, उसे खलिया पर्वत कहा जाता है।
मुनस्यारी उत्तराखंड का एक हिल स्टेशन है, जो खूबसूरती के मामले में किसी भी जगह से कम नहीं है। मुनस्यारी पिथौरागढ़ जिले में लगभग 2298 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक अनोखा हिल-स्टेशन है । इस जगह को ट्रेकर्स ड्रीम के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसके आस-पास और आस-पास के प्राकृतिक चमत्कारों की विविधता है। ट्रेकिंग के लिए कौशल और अनुभव के मध्यम से लेकर उच्च स्तर की आवश्यकता होती है। यहाँ झरने, ग्लेशियर, घास के मैदान, हिमालय की पाँच प्रसिद्ध कुमाऊँ चोटियाँ और बहुत ही विविध वनस्पतियाँ और जीव-जंतु हैं। प्रकृतिवादी यहाँ गर्मियों और सर्दियों के महीनों में यहाँ के मनोरम दृश्यों को देखने आते हैं। चारों तरफ घने जंगल और बर्फीली चोटियां यहां देखते ही बनता है। अगर आप भी आने वाले दिनों में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो मुनस्यारी आपको ज़रूर जाना चाहिए। आज इस लेख में हम आपको यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे बताने जा रहे हैं।
ब्रिथी वॉटरफॉल : मुनस्यारी के प्राकृतिक खजानों में से एक है ब्रिथी वॉटरफॉल। मुनस्यारी की यात्रा में आप यहां भी घूमने के लिए जा सकते हैं। अद्भुत दृश्यों के साथ यह वॉटरफॉल मुनस्यारी के चुनिंदा और सबसे खास पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है। यहां कई सैलानी ट्रेकिंग करने के लिए आते रहते हैं। इसके आसपास मौजूद छोटी-छोटी घास और विभिन्न प्रकार के फूल इसे और भी खास बनाते हैं।
थमरी कुंड : मुनस्यारी शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर स्थित है थमरी कुंड। थमरी कुंड सबसे ताजे पानी की झील भी मानी जाती है। इस झील के बारे में धार्मिक मान्यता है कि जब यहां अधिक दिनों तक बारिश नहीं होती है तो लोग यहां आकर इंद्रदेव की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि बारिश हो सके। इस झील के आसपास मौजूद अल्पाइन के पेड़ इस जगह को और भी खूबसूरत बनाते हैं। कहा जाता है कि इस झील में अक्सर कस्तुरी मृग पानी पीने के लिए आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में कस्तुरी मृग बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।
कलामुनी टॉप : मुनस्यारी से लगभग पंद्रह किलो मीटर की दूरी पर स्थित कलामुनी टॉप यहां की एक प्रमुख जगह है। प्राकृतिक दृश्यों के लिए यह जगह बेहद ही खास है। अगर आप एक पर्वत पर बैठे-बैठे सम्पूर्ण मुनस्यारी के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा उठाना चाहते हैं, तो आपको यहां ज़रूर घूमने जाना चाहिए। यहां जाने के लिए आप मुख्य शहर से ऑटो या टैक्सी लेकर जा सकते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह एक पवित्र जगह भी है क्यूंकि यहां एक मां काली को समर्पित प्राचीन मंदिर भी है।
पंचचूली पर्वत : मुनस्यारी में घूमने और देखने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थान है पंचचूली पर्वत। इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि यह पांच शिखरों से मिलकर बनी हुई है। यह भी मान्यता है कि महाभारत काल में इसी पर्वत पर पांडवों ने स्वर्गारोहण की शुरुआत की थी। ये भी कहा जाता है कि ये पांच चोटियां इन्हीं पांचों पांडवों का प्रतीक है। बर्फ से ढके इन पर्वतों को देखकर यक़ीनन आप उत्तराखंड की अन्य जगहों पर घूमने का कतई विचार नहीं करेंगे। ये पर्वत सामरिक रूप से भी इंडो-तिब्बत बॉर्डर के लिए काफी महत्व रखता है।
महेश्वरी कुंड : मुनस्यारी से कुछ दूर स्थित महेश्वरी कुंड एक प्राचीन झील है, जिसके साथ पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि जब प्रतिशोध लेने के लिए मुनस्यारी के ग्रामीणों ने इस झील को सूखा दिया था तब यक्ष ने उनसे बदला लेने का फैसला किया। जिसके बाद यह पूरा शहर सूखे की चपेट में आ गया। गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों ने यक्ष से माफी मांगी। मांफी मांगने की परंपरा का पालन आज भी यहां किया जाता है। महेश्वरी कुंड की पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के अद्भुत रूप पेश करती है। वास्तव में इस झील में दुनिया में रोडोडेंड्रोन की सबसे अधिक किस्में हैं। प्रकृति प्रेमी और ट्रेकर्स इस जगह को स्वर्ग मानते हैं और साल भर यहां आते रहते हैं।
खलिया टॉप : यह एक घुमावदार घास का मैदान है, जो आश्चर्यजनक बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है, यह क्षेत्र कुमाऊं क्षेत्र के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। इस स्थान पर पूरे वर्ष प्रकृतिवादियों और साहसी लोगों का आना-जाना लगा रहता है। मुनस्यारी से केवल 10 किमी की दूरी पर होने के कारण, खलिया टॉप से नज़ारे देखना न भूलें। गर्मियों के दौरान, जब दृश्यता अधिक होती है, तो यहाँ से लैंडस्केप फ़ोटोग्राफ़ी और बर्डवॉचिंग संभव है।
बेतुलीधार : समुद्र तल से लगभग 9000 फीट ऊपर, बेतुलीधार हर मौसम में हर जगह खिलने वाले अविश्वसनीय, लाल रोडोडेंड्रोन से घिरा हुआ है। यह स्थान आसपास की घाटी और कुमाऊं हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के साथ-साथ बलाती और रालम ग्लेशियरों के शानदार सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों दोनों के लिए एक सपना है।
मुनस्यारी घूमने जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितम्बर से अक्टूबर महीने के दौरान का माना जाता हैं। हालाकि पर्यटक किसी भी समय इस पहाड़ी क्षेत्र की यात्रा का आनंद उठा सकते है। गर्मियों के समय पर्यटक यहाँ की शानदार चोटियों पर ट्रेकिंग का मजा ले सकते है। मुनस्यारी छोटा सा गाँव है इसलिए यहाँ ज्यादा रेस्टोरेंट नही है परन्तु मुनस्यारी के ढाबों पर बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन मिलता है। भारतीय और कुमाउनी भोजनों में मुख्य रूप से कुलका बहुत प्रसिद्ध पकवान है। इसके साथ ही मूंगफली, आटे और आलू के व्यंजन बहुत प्रसिद्ध है।
मुनस्यारी में कहाँ रुके: मुनस्यारी और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप किसी आवास स्थान की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि मुनस्यारी में कई होटल उपलब्ध हैं। जोकि आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट की रेंज में मिल जायेंगे।
इन सबके अलावा सरमोली गांव में करीब 40 होम स्टे भी हैं, जो पर्यटकों को खूब भा रहे हैं। दरअसल, पर्यटकों को ध्यान में रखकर यहां के पारंपरिक घरों को खूबसूरती से विकसित किया गया है।
मुनस्यारी कैसे पहुंचें : मुनस्यारी जाना है तो सबसे अच्छा है कि आप अपनी गाड़ी से या फिर टैक्सी से जाएं। अगर आपको ट्रेन से जाना है तो काठगोदाम तक आप ट्रेन से जा सकते हैं वहां से मुनस्यारी लगभग 280 किलोमीटर दूरी पर है। काठगोदाम से भी आपको टैक्सी मिल जाएगी। यहां से बसें भी जाती हैं लेकिन यह बसें सीधे मुनस्यारी तक आपको नहीं पहुंचाती हैं। बस आपको अलमोड़ा तक की मिलेगी। अलमोड़ा से आपको मुनस्यारी की अलग बस लेनी पड़ेगी। पंतनगर एअरपोर्ट मुनस्यारी से लगभग 310 किलोमीटर दूर है।

लेखक : विकास मुसाफिर (मैनपुरी, यूपी)
राजश्री टूर एंड ट्रैवल्स के संस्थापक