नगरीय निकाय चुनाव के सहारे भाजपा-सपा समेत सभी पार्टियां अगले साल के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हैं। मगर, उनके सामने अब अपने ही मुसीबत बन रहे हैं। कई जगह टिकट न मिलने से बगावत के सुर तेज हो रहे हैं। कुछ स्थानों पर तो उम्मीदवारों ने बागी के रूप में पर्चा भी भर दिया है। ऐसे में भाजपा-सपा समेत सभी पार्टियों के लिए रूठों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती है। कारण यह कि अगर रूठों को नहीं मनाया गया, तो वे अपनी पार्टी के प्रत्याशियों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
यही वजह है कि दूसरे चरण में नामांकन करने की आखिरी तारीख 24 अप्रैल यानी सोमवार है। मगर, भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। वहीं, सपा में बगावती तेवर दिखाने वाले नेताओं को मनाने की कोशिश चल रही है। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने जिलावार उम्मीदवारों को जिताने का टारगेट तय किया है। कहा है कि पार्षद और महापौर जिताने पर खफा पदाधिकारियों को संगठन में मजबूत पद दिया जाएगा।
वहीं भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने नाराजगी दूर करने के लिए जिलेवार कमेटी बनाई है। जबकि बसपा-कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रदेश स्तर की टीम के पदाधिकारियों को मॉनिटरिंग का जिम्मा दिया है।
बुधवार को CM योगी ने गोरखपुर में 4 जिलों के पदाधिकारियों को चुनाव में जीत का फॉर्मूला समझाया। उन्होंने जनसंपर्क और संवाद पर विशेष जोर दिया।
शुक्रवार की शाम को मुख्यमंत्री आवास पर सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में दूसरे चरण के प्रत्याशियों के लिए पदाधिकारियों की बैठक हुई। संभावित या माना जा रहा है कि नामांकन के एक दिन पहले भाजपा बाकी बचे मेयर और अन्य पार्षदों के टिकट घोषित करेगी। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन दिल्ली गए हैं। दूसरे चरण के महापौर प्रत्याशियों पर केंद्रीय नेतृत्व आज मुहर लगाएगा। इससे बाद नामों का ऐलान होगा। पहले चरण के प्रत्याशियों को जिताने और टिकट न मिलने से नाराज उम्मीदवारों के लिए भाजपा ने हर जिले में एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में पांच सदस्य हैं। यह कमेटी पार्टी से नाराज नेताओं को समझाने का काम करेगी।नाराज नेताओं को समझाया जा रहा है, ”बगावत छोड़कर पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने का काम करें। जीतने के बाद आप लोगों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। बगावती तेवर अपनाने से कोई फायदा नहीं होगा।
हरदोई जिले में राज्यसभा सांसद अशोक वाजपेयी और पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल समेत पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। बगावती और कड़े तेवर दिखाने वाले नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे ही भाजपा अध्यक्ष के निर्देश पर चुनाव संचालन समिति हर महानगर और जिले में निकाय चुनाव में रूठे और बगावती तेवर अपनाने वाले नेताओं को भाजपा के लिए वोट मांगने की जिम्मेदारी दी गई है।
लखनऊ के 110 वार्डों में पार्षद के लिए सपा के 700 से अधिक दावेदारों के आवेदन आए थे। ऐसे में जिन्हें टिकट नहीं मिला, वे रूठ गए हैं। इसके चलते सपा को भितरघात और बगावत की आशंका है। इसीलिए अब उन्हें मनाने का लक्ष्य तय किया गया है। नगर निगम की सत्ता हासिल करने के लिए सपा ने हर हाल में 70 से अधिक वार्ड जीतने का टारगेट तय किया है।
आलाकमान का मानना है कि रूठों को मनाए बिना ज्यादा से ज्यादा वार्ड जीते नहीं जा सकते। ऐसे में वार्ड से पार्षद के हर दावेदार को अब बुलाया जाएगा। उसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में घोषित प्रत्याशी के सामने बैठाकर सारे गिले-शिकवे दूर कराए जाएंगे। पिछले चुनाव में सपा के 35 पार्षद जीते थे। ये आंकड़ा 70 तक पहुंचाने में सपा हर दांव खेलने को तैयार दिख रही है।
बसपा ने ऐसा दांव चला है जिसने सपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। बसपा मुस्लिमों को टिकट देने के मामले में सपा पर भारी पड़ी है। वैसे तो कई निकाय चुनावों में भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिलता था‚ लेकिन इस बार बसपा ने बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की जबरदस्त तैयारी की है।
एक समय वह भी था जब बसपा निकाय चुनाव अपने सिंबल तक पर नहीं लड़ती थी‚ परंतु इस बार उसने निकाय चुनाव में दबदबा बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बसपा ने ऐसा दांव चला है, जिसने भाजपा और खास तौर पर सपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। नगर निकाय चुनाव में बसपा ने पहले चरण में महापौर पद के लिए 60 प्रतिशत टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए हैं। नामांकन पत्र भरने का 17 अप्रैल को अंतिम दिन था।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को एक तरफ जहां प्रत्याशियों के ऐलान के बाद भारी विरोध का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ लखनऊ महापौर के उम्मीदवारों के चयन में धांधली तक के आरोप लगे। फिलहाल संशोधित कांग्रेस की सूची जारी करते हुए किसी तरीके से प्रत्याशियों के चयन प्रक्रिया कांग्रेस ने पूरी की। पहले चरण के बाद दूसरे चरण के उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया अभी तक कांग्रेस पार्टी में पूरी नहीं हो पाई है।
लखनऊ के महापौर के नाम का ऐलान कांग्रेस ने कर दिया, लेकिन उनके पार्षदों के जीतने की संख्या कितनी होगी अभी यह दावा नहीं किया जा सका है। कांग्रेस में बगावती और पार्टी विरोधी काम करने वालों की लंबी सूची तैयार हो चुकी है। फिलहाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने चुनाव संचालन समिति के पदाधिकारियों के साथ नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने के लिए विचार विमर्श किया है।