मौत पर आखिरी बार चेहरा देखने की हिम्मत नहीं जुटा सकीं मुमताज

फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा में जीनत अमान ने देव आनंद की बहन का रोल किया था, हालांकि ये रोल उनसे पहले मुमताज को ऑफर किया गया था। मुमताज ने फिल्म में देव आनंद की बहन बनने से साफ इनकार कर दिया और जिद में फिल्म में हीरोइन बन गईं। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। इतनी गहरी की जब देव आनंद साहब की मौत हुई तो लंदन में होने के बावजूद मुमताज उन्हें आखिरी बार देखने नहीं पहुंचीं। वो कहती हैं कि वो देव आनंद को एवरग्रीन देखना चाहती हूं, उन्हें उस हालत में देखना बर्दाश्त नहीं कर पाती।
मुमताज ने फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा में देव आनंद की बहन का रोल ठुकराने की वजह बताई है। उन्होंने कहा, देव आनंद फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा का ऑफर लेकर मेरे घर आए थे। उन्होंने मुझे फिल्म की स्टोरी सुनाई। वो चाहते थे कि फिल्म में मैं उनकी बहन बनूं, लेकिन मुझे लगा कि पिछली फिल्म (तेरे मेरे सपने) में पति-पत्नी बनने के बाद भाई-बहन बनना बेहद अजीब लगेगा। इसलिए मैंने फिल्म में उनकी बहन बनने से इनकार कर दिया। मैंने उन्हें फिल्म में हीरोइन बनने को कहा, तो वो मुझे समझाने लगे कि बहन का रोल हीरोइन के रोल से ज्यादा बड़ा है और मुझे वही करना चाहिए। लेकिन मैं अड़ी रही, क्योंकि फिल्म तेरे मेरे सपने में लोगों ने हमारी जोड़ी को, हमारे सीन को, हमारे गानों को काफी पसंद किया था। वो मेरी बात समझ गए और कहा कि तुम जो रोल करना चाहो कर लो।
आगे उन्होंने बताया, देव साहब मुझे काफी पसंद करते थे, मैं भी उन्हें बहुत मानती थी। वो प्यार से मुझे मुमजी कहते थे। सेट पर वो मुझसे ही अपना स्कार्फ सेलेक्ट करवाते थे। वो मुझे अपने मेकअप रूम में बुलाकर कहते थे कि मैं उनके लिए एक स्कार्फ चुनूं। उनके मेकअप रूम में 6-7 स्कार्फ होते थे, जिनके बीच में उन्हें एक स्कार्फ चुनकर देती थी। मुझे ये देखकर बहुत खुशी मिलती थी कि देव साहब मेरी पसंद को अहमियत देते हैं।
मौत की खबर सुनकर सदमे में थीं, आखिरी बार चेहरा देखने की हिम्मत नहीं जुटा सकीं
जब 3 दिसंबर 2011 को देव आनंद साहब की लंदन में मौत हुई तो उस समय मुमताज भी लंदन में ही थीं। जैसे ही उन्हें ये खबर लगी तो वो गहरे सदमे में थी। अपने करीबी रहे देव साहब की मौत की जानकारी मिलने के बाद भी मुमताज उन्हें आखिरी बार देखने की हिम्मत नहीं जुटा सकीं। अइस पर उन्होंने कहा, अफसोस की बात ये है कि मैं जहां रहती हूं (लंदन), वहीं कुछ दूरी पर उनका वो होटल था, जहां उनकी मौत हुई। मुझे याद है कि लोग मेरे पास आकर कह रहे थे कि मैं उन्हें आखिरी बार देख लूं, लेकिन मैंने इनकार कर दिया।
मुमताज ने कहा, मैं उनसे बहुत प्यार करती थी और उन्हें उस हालत में नहीं देख पाती। मैं उन्हें हमेशा एवरग्रीन देव आनंद के रूप में देखना चाहती थी, उनको उस हालत में देखना मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।