पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार पर संकट के बादल और गहरा गए हैं। सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) को बड़ा झटका लगा है। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही पीटीआइ की सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम पी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। एमक्यूएम ने विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ जाने का फैसला किया है। एमक्यूएम के पीटीआइ से समर्थन वापस लेने के बाद पीएम इमरान कान की सरकार जाना तय माना जा रहा है।
एमक्यूएम के पीटीआइ से समर्थन वापस लेने के बाद पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने एक ट्वीट किया है। भुट्टो ने ट्वीट कर कहा, ‘संयुक्त विपक्ष और एमक्यूएम के बीच समझौता हो गया है। राबता समिति एमक्यूएम और पीपीपी सीईसी समझौते की पुष्टि करेगी। इसके बाद हम कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को इसके बारे में जानकारी देंगे। बधाई हो पाकिस्तान।’
एमक्यूएम के समर्थन वापस लेने के बाद पीटीआइ सरकार ने निचले सदन में बहुमत खो दिया है। सदन में अब पीटीआइ समर्थक सांसदों की संख्या घटकर 164 हो गई है। जबकि संयुक्त विपक्ष के 177 सदस्य हो गए हैं। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल सदस्यों की संख्या 342 है। बहुमत के लिए 172 सांसदों का समर्थन चाहिए। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव 31 मार्च से बहस शुरू होगी और तीन अप्रैल को वोटिंग होगी
इस बीच, इमरान खान ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग विदेशी फंड की मदद से उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। इमरान खान ने एक रैली में कहा, ‘पाकिस्तान में सरकार बदलने की कोशिश विदेशी पैसों के जरिए की जा रही है। हमारे लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ लोग हमारे खिलाफ विदेशी पैसों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें पता है कि किन जगहों से हम पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। हमें लिखित में धमकी दी गई है, लेकिन हम राष्ट्रहित से समझौता नहीं करेंगे।’