नेशनल हेराल्ड मामले में उछला मोतीलाल वोरा का नाम, राहुल की तरह सोनिया गांधी ने भी ठहराया जिम्मेदार

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में लंबी पूछताछ की। आज फिर उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इस दौरान सोनिया यंग इंडियन द्वारा नेशनल हेराल्ड और अन्य पार्टी प्रकाशनों के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति के अधिग्रहण की सुविधा देने वाले लेनदेन की व्याख्या करने में असमर्थता व्यक्त की है। आपको बता दें कि इसमें वह और उनके बेटे राहुल गोधी दोनों की ही हिस्सेदारी है।
सोनिया गांधी से से प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यंग इंडियन द्वारा एजेएल और उसकी 800 करोड़ रुपये की संपत्ति के अधिग्रहण के संबंध में छह घंटे तक पूछताछ की थी। ईडी के सूत्रों ने कहा कि पूछताछ के दौरान ने सोनिया गाँधी ने कहा कि पार्टी के दिवंगत पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा अकेले कांग्रेस, एजेएल और यंग इंडियन के बीच लेनदेन के विवरण के बारे में जानते थे।
इससे पहले, राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल सहित कांग्रेस के अन्य पदाधिकारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग रोधी एजेंसी के अधिकारियों द्वारा पूछताछ किए जाने पर एक समान रुख अपनाया था। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले .से यह जानकारी दी है।
कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण पर मंगलवार को टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, इससे पहले जांच एजेंसी के समक्ष राहुल गांधी के द्वारा मोतीलाल वोरा का नाम लेने पर कांग्रेस सचिव प्रणव झा ने टीओआई को बताया था, “ईडी की कार्यवाही न्यायिक प्रकृति की है और उन्हें लीक करना एक अपराध है। इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।”

इस मामले में ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि यंग इंडियन (वाईआई) ने एजेएल और उसकी संपत्तियों का अधिग्रहण कैसे किया। ईडी अनिवार्य रूप से इसकी प्रमुख अचल संपत्ति के बारे में जानना चाहती है जो दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, भोपाल और चंडीगढ़ जैसे शहरों में कांग्रेस सरकारों द्वारा रियायती दरों पर प्रदान दी गई थी। यंग इंडियन ने कांग्रेस को 1 करोड़ रुपये में से केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो कि डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड से था। ईडी को संदेह है कि यह कोलकाता स्थित एक मुखौटा कंपनी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि उसने एजेएल को अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि बकाया और वीआरएस बकाया के भुगतान के लिए अपने दायित्वों को पूरा करने में मदद करने के लिए 90.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। वहीं, ईडी का कहना है कि पार्टी के पदाधिकारी कथित भुगतान का कोई सबूत देने में विफल रहे हैं। वह यह भी नहीं बता पाए हैं कि भुगतान नकद में किया गया या फिर चेक के जरिए। एजेंसी का कहना है कि यंग इंडियन का दावा है कि उसने एजेएल के कांग्रेस के कर्ज को अपने कब्जे में ले लिया और बदले में पार्टी ने एजेएल की 100% हिस्सेदारी को हस्तांतरित कर दिया।