आगामी लोकसभा चुनाव को करीब 3 महीने ही बचे हैं। इससे पहले यूपी में 4 दिन के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट पेश किया गया। जिसके माध्यम से योगी सरकार अपनी प्राथमिकता की योजनाओं को गति देने की तैयारी में है। ये अनुपूरक बजट 28 हजार 760 करोड़ 67 लाख रुपए का है।
सदन के आखिरी दिन नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने कहा- आम बजट का 60% से ज्यादा पैसा अभी तक खर्च नहीं किया जा सका है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, डिफेंस कॉरिडोर, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट को लोकसभा चुनाव से पहले सरकार पूरा करना चाहती है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर से सबसे ज्यादा रोजगार पैदा होता है। बजट का बड़ा हिस्सा इसी पर खर्च करने का प्लान है।
सरकार के एजेंडे में अयोध्या-काशी और मथुरा है। औद्योगिक क्षेत्रों और विकास की योजनाओं पर ज्यादा खर्च करने पर जोर।
कर्मचारियों का मानदेय बढ़ने से उनके पास पैसा आएगा और परचेजिंग पावर बढ़ेगी। बाजार में रौनक बढ़ेगी और सरकार के लिए अच्छा संदेश जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, निर्माणाधीन विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, सड़कें, पुल आदि का काम तेज करने पर जोर रहेगा।
शीतकालीन सत्र में सदन को कुल 2833 प्रश्न मिले। 28 नवंबर से शुरू हुआ यह सत्र 17 घंटे, 3 मिनट चलकर अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया। इस प्रश्न 1, स्वीकृत तारांकित प्रश्न 956 और अतारांकित प्रश्नों की संख्या 1455 रही। सरकार ने इनमें से कुल 497 प्रश्नों का जवाब दिया।
इसमें से 73.27% यानी 2076 प्रश्न ऑनलाइन प्राप्त हुए। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि 18वीं विधानसभा के वर्ष 2023 के तृतीय सत्र में नियम-300 के तहत कुल 17 सूचनाएं स्वीकृत हुईं। इनमें 3 सूचनाएं सुनी गईं और 17 अस्वीकृत रही। इसी तरह नियम-301 के तहत कुल 256 सूचनाएं प्राप्त हुईं, जिनमें 196 स्वीकृत और 60 अस्वीकृत हुईं।
बजट सत्र के दूसरे दिन सपा विधायकों द्वारा पंफलेट लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान नेता विरोधी दल और सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मौजूद रहे।
नियम- 311 के अंतर्गत कुल प्राप्त सूचनाओं में 1 अस्वीकृत हुई, जबकि नियम 56 के तहत कुल 43 सूचनाएं प्राप्त हुई, जिसमें 6 ग्राह्यता हेतु सुई गईं। दो सूचनाओं पर ध्यानाकर्षण किया गया। इसी तरह नियम- 103 के तहत कुल प्राप्त 9 प्रस्तावों में ग्राह्य 8 और 1 प्रस्ताव अग्राह्य रहे। सदन में प्रस्तुत कुल प्रस्तावों की संख्या 5 रही, जबकि सदन में प्रस्तुतीकरण के लिए लंबित प्रस्तावों की संख्या 3 और विगत सत्रों के चर्चाधीन प्रस्तावों की संख्या 25 रही।
महाना ने बताया कि सत्र के दौरान सरकार से वक्तव्य मांगने वाले नियम-51 के तहत 309 सूचनाएं प्राप्त हुईं। इनमें वक्तव्य के लिए 5, केवल वक्तव्य के लिए 2 और ध्यानाकर्षण के लिए 199 सूचनाएं, 103 सूचनाएं अस्वीकार की गईं।
इसी प्रकार इस सत्र में कुल 227 याचिकाएं मिलीं। जिसमें 218 ग्राह्यता के बाद स्वीकार की गईं। नियम के अंतर्गत न होने के कारण अग्राह्य 8, देरी से मिली याचिकाओं की संख्या 1 और प्रस्तुत प्रतिवेदनों की संख्या तीन रही। सत्र में इस बार कुल 9 विधेयक विचारण और पारण के लिए प्रस्तुत किए गए।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मुख्यमंत्री और नेता सदन योगी आदित्यनाथ सहित नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव (सपा), अपना दल (एस) के नेता राम निवास वर्मा, राष्ट्रीय लोकदल के नेता राजपाल सिंह वालियान, निर्वल इंडियन शोषित हमारा आम दल के नेता अनिल कुमार त्रिपाठी, भारतीय सुहेलदेव पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नेता आराधना मिश्रा मोना, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेता कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया, बसपा के उमाशंकर सिंह सहित सभी दलीय नेताओं के सहयोग की प्रशंसा की।
नई नियमावली बनाई जाने के बाद शीतकालीन सत्र की कार्यवाही विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली-2023 के अनुसार चली। नई नियमावली के तहत विधायक सदन में मोबाइल, बैनर, झंडा और शस्त्र लेकर एंट्री नहीं कर सके। सदन में प्रदेश में किसी भी जगह से वर्चुअली भी शामिल हो सके।
सदस्य सदन में विधानसभा अध्यक्ष के आसन के पास भी नहीं जाते दिखाई दिखे। इतना ही नहीं उच्चाधिकार प्राप्त आचरण पर तब तक आरोप नहीं लगा पाए, जब तक कि उचित रूप से रखे गए मूल प्रस्ताव पर आधारित न हो। सदन में बोलते समय दर्शक दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करते देखे गए, न ही उसकी प्रशंसा कर सके। लॉबी में भी तेज आवाज में न तो बात कर सके, न ही हंसते देखे गए।
सामान्य या वार्षिक बजट पूरे वित्तीय वर्ष के लिए होता है, लेकिन साल के बीच में इस प्रकार के अनुपूरक बजट संवैधानिक परिपाटी है। अर्थशास्त्री एपी तिवारी कहते हैं कि अक्सर सरकारें चुनाव से पहले इस तरह का अनुपूरक बजट पेश करती हैं। जिस खर्च का पहले से पूर्वानुमान नहीं होता है या इमरजेंसी खर्च या फिर परिस्थितिजन्य खर्च जैसे कि कोविड के लिए मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे खर्चों के लिए विभागों से मांग पत्र लिया जाता है।
मुख्य रूप से अनुपूरक बजट राज्य सरकार विपरीत परिस्थितियों में ही पेश करती है। यानी जब किसी विभाग को बजट सत्र में आवंटित की गई धनराशि कम पड़ जाती है तो ऐसे में राज्य सरकारें वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही अनुपूरक बजट ले आती हैं। हालांकि, यह अनुपूरक बजट जब लाया जाता है तो उस दौरान इन बातों का भी ध्यान रखा जाता है कि जितना अनुपूरक बजट लाया गया है उतनी धनराशि, किन स्रोतों से राजस्व के रूप में राज्य सरकार को मिलेगी।