वैसे तो मोदी सरकार सरकारी खजाने के घाटे के लक्ष्य को हासिल करने का दावा कर रही है लेकिन रेटिंग एजेंसी मूडीज की नजर में यह आसान नहीं है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के मुताबिक यह साल मोदी सरकार के लिए चुनौतियों से भरा है.
एजेंसी ने की बजट की समीक्षा
दरअसल, मूडीज ने मोदी सरकार 2.0 के पहले आम बजट की समीक्षा की है. इसके साथ ही बजट के कई मुद्दों को चिन्हित भी किया है. रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक बजट 2019-20 में कम घाटे के लक्ष्य के बावजूद भारत को राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. मूडीज ने अपने वित्तवर्ष 2019-20 के बजट विश्लेषण में कहा कि भारत के लिए कमजोर विकास संभावनाएं सरकार के राजकोषीय प्रयासों को कठिन बनाएगी. एजेंसी ने कहा, ”कमजोर ग्रोथ संभावनाओं के चलते भारत सरकार के राजकोषीय मजबूती के प्रयासों को झटका लग सकता है. इसका सरकारी साख गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है.”
बता दें कि सरकार ने पिछले सप्ताह 2019- 20 का पूर्ण बजट संसद में पेश किया है. इसमें राजकोषीय घाटे को इस साल के दौरान 3.3 फीसदी पर नियंत्रित रखने का अनुमान लगाया गया है. इससे पहले फरवरी में पेश अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे को 3.4 फीसदी पर रहने का अनुमान रखा गया था. बजट में सरकारी कर्ज में भी धीरे- धीरे कमी आने का अनुमान लगाया गया है.
हालांकि रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि सरकारी बैंकों, गैर-बैंक वित्त कंपनियों (एनबीएफसी), बुनियादी ढांचा क्षेत्र, घरेलू उत्पादकों आदि के लिए बजट घोषणाएं सकारात्मक हैं. मूडीज के मुताबिक कुछ आयातित उत्पादों पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी से घरेलू उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जबकि किफायती घरों की खरीद के लिए नए प्रोत्साहन भारतीय संपत्ति डेवलपर्स के लिए सकारात्मक होंगे.