लखनऊ में मोदी जी की महंगाई पर गाज, मिलेगा 10 किलो अनाज ?

कांग्रेस पार्टी ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देश के नागरिकों की मोदी जनित महंगाई से मुक्ति का शंखनाद कर दिया है। पहले हर गरीब परिवार की महिला को 1 लाख रुपये साल देने का वादा किया फिर युवाओं की पहली नौकरी की पक्की की घोषणा ने देश के हर घर को खुशियों से भर दिया। मनरेगा मजदूरों को 400 रुपये प्रतिदिन का आत्मसम्मान उनकी दहलीज पर रख दिया। अब 5 किलो नहीं बल्कि 10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह की घोषणा ने इतिहास रच दिया।

आइये जानते हैं मोदी सरकार बनाम कांग्रेस की गारंटी का सच

खाद्य सुरक्षा कानून 2013 का नाम बदलकर गरीब कल्याण रखा। मोदी सरकार ने बंद की गरीब कल्याण योजना कांग्रेस के खाद्य सुरक्षा कानून का नाम बदलकर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना रखा। श्रीमती सोनिया गांधी जी एवं राहुल गांधी जी की प्रेरणा से 10 सितम्बर 2013 को खाद्य सुरक्षा कानून अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत देश की 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी अर्थात लगभग देश की 80 करोड़ लोगों को 5 किलो गेंहू और चावल 2 और 3 रूपये प्रतिकिलो में दिया जा रहा था। जिसके तहत उत्तर प्रदेश के 14 करोड़ 97 लाख लोगों को इस योजना में शामिल किया गया था।

मोदी सरकार ने कोविड की महामारी को देखते हुए 21 अपै्रल 2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना प्रारंभ की गई थी जिसके तहत 5 किलो अतिरिक्त अनाज प्रत्येक व्यक्ति को दिया जाना तय किया गया था, जिसके तहत 4 किलो गेंहू और 1 किलो चावल दिया जा रहा था। इस योजना को मोदी सरकार ने 1 जनवरी 2023 को इस योजना को बंद कर दिया, और 2013 के खाद्य सुरक्षा कानून का नाम बदलकर इसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना नाम दे दिया और उस में लिख दिया कि यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना 2013 के प्रावधानों को सुदृढ़ करने के लिए लाई गई है। 

मोदी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 में यह बदलाव किया कि 2 और 3 रूपये प्रतिकिलो मिलने वाला गेंहू और चावल मुफ्त कर दिया। इस योजना में मोदी सरकार को अतिरिक्त सलाना सिर्फ 10 से 12 हजार करोड़ खर्च करना पड़ा।

कांग्रेस पार्टी ने 10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह की घोषणा की है अर्थात अतिरिक्त 5 किलो अनाज के आधार पर मूल्यांकन किया जाये तो आज चावल की इकोनॉमिक कास्ट 39.2 रूपये प्रतिकिलो और गेंहू की इकोनॉमिक कास्ट 27 रूपये प्रतिकिलो है। औसत के आधार पर यदि मूल्यांकन किया जाए तो लगभग 1 लाख 60 हजार करोड़ रूपये इस योजना पर अतिरिक्त व्यय किये जायेंगे।

10 किलो अनाज के साथ दाल और खाने का तेल भी

इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी ने देश को महंगाई की मार से बचाने के लिए अपने घोषणा पत्र में दाल और तेल में मुहैया कराने का वादा किया है।

मोदी सरकार ने 10 से 12 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा कानून से वंचित किया।

2011 की जनगणना के आधार पर 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को उस दायरे में लाया गया था। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की आबाद कुल 121 करोड़ थी तो 81.35 करोड़ लोगों को इस कानून के दायरे में लाया गया था। मोदी सरकार ने भारत की जनगणना जनगणना जानबूझ कर नहीं कराई। क्योंकि मोदी सरकार पर जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने का दबाव भी था और मोदी सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती थी।

खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के प्रावधानों के अनुसार या तो इस कानून की धारा 9 में परिवर्तन करके लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है या जनगणना के आधार पर, जनगणना नहीं कराने का परिणाम यह हुआ कि आज के अनुमान के आधार पर भारत की जनसंख्या 141 करोड़ से अधिक पहुंच गई है अर्थात 20 करोड़ से अधिक आबादी बढ़ गई है अर्थात लगभग 12, 13 करोड़ लोगों को मोदी सरकार की नाकामी की वजह से इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के लिए गुजरारत के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने जताई थी असहमति

मोदी जी ने 07 अगस्त 2013 को खाद्य सुरक्षा कानून लाये जाने पर अपनी असहमति के स्वर लिखित में व्यक्त किये थे। एक लंबी चिट्ठी कांग्रेस सरकार को लिखते हुए ना सिर्फ इस योजना पर असहमति व्यक्त की थी अपितु इसे दोषपूर्ण भी बताया था।