भारत 200 साल तक गुलाम रहा। भारतीय दर्शन को जितना कुचलना संभव था, सबने उतना कुचला। मोदी जी भी नहीं समझ पाए कि महात्मा बुद्ध ने भारत का कितना नुकसान किया है। भारत को नपुंसक बना डाला। यह बात छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में हैप्पीनेस सेंटर के उद्घाटन पर आए मुख्य अतिथि पद्म विभूषण रामभद्राचार्य ने कही।
दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलाधिपति रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि भारत के प्राण उसका अध्यात्म हैं और उन्होंने उसी को नहीं माना। वह देश को अनात्मवाद की ओर ले गए। यही वजह रही कि देश प्रसन्न होने में पहले से 144 वें स्थान पर आ गया।
स्थायी प्रसन्नता आध्यात्मिक सफलता से उत्पन्न होती है। ‘सहज प्रसन्नता के उपाय’ विषय पर उन्होंने कहा कि अब वह समय चला गया जब बेटों को आगे रखा जाता था। अब छात्र-छात्राएं न बोलकर पहले छात्राएं बोलूंगा और छात्र बाद में बोलूंगा। उन्होंने कहा कि 72 वर्ष के अनुभव से उन्होंने जाना है कि प्रसन्नता ही भगवान है।
उदासी जीव का लक्षण है। वर्तमान में 95 प्रतिशत बच्चों के चेहरे पर पौने बारह बजा रहता है। पहले लबालब हुआ करता था अब केवल लव होता है। लव को भी लोग अब नालायक लव कहते हैं। छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं। संत के लिए मन पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है।
देश में खुश न रहने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल है। मैंने जन्म के 2 महीने बाद अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी लेकिन इस पर रोने के बजाय भगवान का आशीर्वाद माना और प्रसन्न रहा। अपने कर्मों में कुशलता ही योग है। जब व्यक्ति काम करके थकता है तब उसे प्रसन्नता होती है। कार्य न होने पर व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए। सब भगवान की इच्छा है। स्थायी प्रसन्नता के भाव के लिए आध्यात्मिक बनना होगा।