लोकसभा में मोदी 2.0 सरकार का पहला सत्र: सबसे लंबे शून्यकाल का कीर्तिमान, 162 सांसदों ने उठाए मुद्दे

खास बातें

  • 5 घंटे में 30 फीसदी सांसदों ने उठाया मुद्दा
  • एक महीने की कार्यवाही में 130 फीसदी रही है उत्पादकता
  • 90 फीसदी नए सांसदों को पहले ही सत्र में मिला बोलने का मौका
  • प्रतिदिन 3-4 सवाल की तुलना में पूछे जा रहे औसतन 8-9 सवाल
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहले ही सत्र में लोकसभा के कई कीर्तिमान ध्वस्त होने की राह में हैं। गुरुवार को लोकसभा में सबसे लंबी अवधि का शून्यकाल हुआ। इसमें रिकॉर्ड 162 सांसदों ने मुद्दे उठाए। बीते करीब एक महीने से चल रहे पहले सत्र की उत्पादकता फिलहाल 130 फीसदी है। प्रश्नकाल में प्रतिदिन औसतन 3 से 4 सवाल की जगह 8 से 9 सवाल पूछे जा रहे हैं। इसके अलावा ऐसा पहली बार हुआ है जब पहले ही सत्र में पहली बार चुन कर आए करीब 90 सांसदों को पहले ही सत्र में बोलने का मौका मिला हो। बीते गुरुवार को स्पीकर ओम बिड़ला ने सबसे लंबी अवधि (4 घंटे 48 मिनट) का शून्यकाल चलाने का कीर्तिमान बनाया। कार्यवाही रात 11 बजे तक चली। इस दौरान 30 फीसदी सांसदों ने मुद्दे उठाए। लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक अब तक इतनी लंबी अवधि के शून्यकाल का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इससे पहले शून्यकाल में कभी भी 70 से अधिक  सांसदों ने मुद्दे नहीं उठाए हैं। वर्तमान सत्र में अब तक नौ बिलों को मंजूरी मिल चुकी है।

प्रश्नकाल का भी बदला चेहरा

नए निजाम में कार्यवाही का अहम हिस्सा प्रश्नकाल का भी चेहरा बदल गया है। पहले बेहतर स्थिति में भी प्रतिदिन औसतन तीन से चार सवाल ही पूछे जाते रहे हैं। इस बार पांचवें हफ्ते तक प्रतिदिन प्रश्न पूछे जाने का औसत करीब नौ है। प्रतिदिन एक ही मंत्रालय के सवाल को उससे मिलते जुलते दूसरे सवालों से जोड़ा जा रहा है। पहले ही सत्र में स्पीकर ने सूची का सबसे अंतिम और 20वां सवाल पुछवाकर सबको हैरत में डाला था।

90 फीसदी सांसदों को पहले ही सत्र में मौका

हर लोकसभा में सांसद बोलने का मौका नहीं मिलने का रोना रोते रहे हैं। इस बार तस्वीर इसके उलट है। इस लोकसभा में पहली बार चुन कर आए 277 सांसदों में से 90 फीसदी सांसदों को पहले ही सत्र में बोलने का मौका मिल चुका है। पहली बार स्पीकर ने शून्यकाल के किसी नोटिस को अस्वीकार नहीं किया है। इसके कारण कार्यवाही और शून्यकाल का समय भी करीब करीब प्रतिदिन बढ़ाना पड़ा है।

कर्मचारियों को खाने के पड़े लाले

देर रात तक कार्यवाही जारी रहने पर इससे सीधे जुड़े कर्मचारियों के  लिए खानपान की व्यवस्था रही है। हालांकि गुरुवार को कर्मचारियों को खाने के लाले पड़ गए। कार्यवाही 11 बजे रात तक चली, मगर इनके लिए रात के खाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। देर तक कार्यवाही के कारण ज्यादातर कर्मचारी आधी रात बीतने के बाद घर पहुंचे और शुक्रवार को तड़के नौ बजे ड्यूटी पर हाजिर हुए।