गृह मंत्री बनने के बाद से अमित शाह के एजेंडे पर है ‘मिशन कश्मीर’?

कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ लेने के दो दिन बाद इस साल 1 जून को अमित शाह ने गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. इसके ठीक तीन दिन बाद यानी 4 जून को अमित शाह ने गृह सचिव राजीव गौबा, एडिशनल सचिव (कश्मीर) ज्ञानेश कुमार समेत कई अफसरों के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग के दौरान कश्मीर के हालात पर चर्चा की गई.

इसके ठीक दो दिन बाद, यानी 6 जून को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह सचिव राजीव गौबा के साथ एक बैठक की. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि इस मीटिंग का मुख्य मुद्दा आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा ही था. इसमें चर्चा की गई कि गृह मंत्रालय इन दोनों क्षेत्रों में सामने आ रही चुनौतियों का कैसे सामना करेगा. इस मीटिंग में कश्मीर अहम मुद्दा रहा.

30 जुलाई को दिल्ली में बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों की तैयारी पर चर्चा हुई. इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी समेत गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीजेपी महासचिव बीएल संतोष, जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र राणा और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता भी मौजूद थे. बैठक के बाद अमित शाह ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को विधानसभा चुनाव का प्रभारी नियुक्त कर दिया.

अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जब से जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती हुई है, तब से वहां के सियासी गलियारों के साथ-साथ आम लोगों में भी खलबली सी मची हुई है. इस बीच तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं कि मोदी सरकार अपने एजेंडे के तहत आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A को खत्म करने की कवायद कर रही है और इसके खिलाफ घाटी में होने वाले विरोध को दबाने के लिए अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जा रही है.

हालांकि गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती वहां की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने और आतंकी विरोधी अभियान को मजबूती देने के लिए हुई है.

विधानसभा चुनाव के लिए भी कसी कमर

जम्‍मू-कश्‍मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है. 3 जुलाई को राज्य में छह महीने के लिए राष्‍ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाया गया था, जिसकी मियाद दिसंबर में खत्‍म हो जाएगी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि चुनाव आयोग इस साल के अंत तक जम्‍मू-कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव करा सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने की हर तैयारी को पहले से सुनिश्चित कर लेना चाहता है.

अमित शाह संकेत देते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए कमर कस ली है.

अलगाववादियों के लिए कोई नरमी नहीं

26 जून को अमित शाह श्रीनगर पहुंचे. जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे के बाद अमित शाह ने अलगाववादियों को साफ संदेश दिया कि वह नरमी बरतने वाले नहीं हैं. शाह का कहना है कि अलगाववाद का समर्थन करने वाले उनसे किसी तरह की रियायत की उम्मीद नहीं कर सकते. उन्होंने अपने एक बयान में यह भी कहा था कि शांति और सामान्य स्थिति के विरोधी लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा.

डोभाल का ‘सीक्रेट मिशन’ और शाह की तैयारी

24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ‘सीक्रेट मिशन’ के तहत घाटी के दौरे पर श्रीनगर पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक, श्रीनगर पहुंचने पर उन्होंने सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के आला अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें कर घाटी के मौजूदा हालात और सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी हासिल ली. इस दौरे को ‘टॉप सीक्रेट’ रखा गया था और डोभाल के श्रीनगर पहुंचने से कुछ वक्त पहले ही संबंधित अधिकारियों को जानकारी देकर बैठक के बारे में बताया गया था.

अजीत डोभाल के घाटी में ‘सीक्रेट मिशन’ से लौटने के बाद ही गृह मंत्रालय ने कश्मीर में सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती की.

हाल ही में कारगिल विजय दिवस से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों का दौरा किया. इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य से न सिर्फ आतंकवाद का खात्मा कर दिया जाएगा, बल्कि कश्मीर मुद्दे का भी समाधान होगा. राजनाथ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर जल्द ही ‘आतंकवाद मुक्त राज्य’ बन जाएगा, क्योंकि भारतीय सेना ने घाटी को ‘नरक’ बनाने वाले आतंकवादियों को काबू में किया है.

इन सब पहलुओं को एक साथ जोड़कर देखें तो एक इशारा जरूर मिलता है कि गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे शाह अपने ‘मिशन कश्मीर’ के एजेंडे पर काफी आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रहे हैं.