मुसलमानो के विकास के लिए दी गई राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी की प्राथमिकता,

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले दानिश आजाद अंसारी ने अपनी प्राथमिकता भी तय कर ली है। बलिया निवासी दानिश आजाद ने लखनऊ में शिक्षा ग्रहण की है।

मोहसिन रजा की जगह पर राज्य मंत्री के रूप में सरकार में शामिल 32 वर्षीय दानिश आजाद अंसारी ने का मिशन अपराध और अपराधी के खिलाफ तो चलेगा ही, वो युवाओं के साथ ही साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए काम करेंगे।
दानिश को मंत्रिमंडल में शामिल करना भाजपा के मिशन 2024 के लक्ष्य की ओर सीधा संकेत है। युवा दानिश अंसारी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे हैं और फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। अंसारी को मंत्रिमंडल में शामिल कर भाजपा ने मुस्लिम समाज को न सिर्फ संदेश दिया है बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पार्टी ने मुस्लिम वोटों को जोडऩे की एक कोशिश भी की है। दानिश तो खास तौर पर संगठन महामंत्री के भी पसंद बताए जा रहे थे, लेकिन उन्होंने भी चयन में 2024 के लक्ष्य को देखते हुए उपयोगिता का ध्यान रखा। इससे पहले 2017 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो मोहसिन रजा एकमात्र ऐसे मुस्लिम चेहरा थे, जिन्हें मंत्री बनाया गया था। इस बार दानिश आजाद अंसारी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।
दानिश आज़ाद अंसारी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री हैं। दानिश बलिया जिले के बांसडीह के अपायल गांव के मूल निवासी हैं। दानिश आजाद अंसारी लखनऊ विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट और इग्नू से मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री हासिल कर चुके हैं। दानिश 2010 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें 29 अक्टूबर 2018 को उर्दू भाषा आयोग का सदस्य मनोनीत किया। इसके बाद विधानसभा चुनाव के ऐन पहले उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदेश महामंत्री बनाया गया था। अब उन्हें सरकार में मंत्री भी बना दिया गया है।
नरेन्द्र मोदी सरकार के बनने के बाद से भाजपा का फोकस मुस्लिम पसमांदा जाति पर है। इसी कारण मोहसिन रजा की जगह दानिश आजाद को मंत्रि परिषद में लाया गया है। मोहसिन रजा शिया और मुस्लिम सवर्ण जाति से आते हैं, जबकि दानिश मुस्लिम ओबीसी के अंसारी समुदाय से आते हैं। उत्तर प्रदेश में अंसारी समुदाय की मुस्लिमों में सबसे बड़ी आबादी है। सत्ता में उनकी भागीदारी आबादी के लिहाज से कम है। पसमांदा समुदाय की दूसरी जातियों के जगह मुस्लिम समुदाय की सवर्ण जातियां शेख, पठान, सैय्यद, मुस्लिम राजपूत और मुस्लिम त्यागी हावी हैं। ऐसे में भाजपा की नजर ओबीसी मुस्लिम समुदाय पर है, जिन्हें साधने के लिए वो तमाम कवायद कर रही है।