गैर जिम्मेदारों को बाहर कर अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी देंगी मायावती

लोकसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने के साथ ही लापरवाह और गैर जिम्मेदार नेताओं पर को बहुजन समाज पार्टी बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में है। बसपा को मजबूती दिलाने के लिए मायावती हर कदम उठा रही हैं। पार्टी के रणनीतिकारों ने अब सलाह दी है कि युवा के साथ अनुभवी नेताओं को भी तवज्जो दिया जाये।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पांच जिलों मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा, रामपुर और मथुरा में जिलाध्यक्ष बदल डाले। यह सिर्फ पश्चिम में नहीं बल्कि अवध और पूर्वांचल के भी कई जिलों में बदलाव देखने को मिल सकता है।
बसपा ने मुरादाबाद से सुनील आज़ाद को पार्टी का जिलाध्यक्ष बनाया है, सुनील आज़ाद मंडल कोऑर्डिनेटर के पद पर भी रह चुके हैं उनको कैडर और पार्टी का बेहतर अनुभव है। दलित और मुस्लिम समीकरण के लिए मुरादाबाद सीट काफी अहम हो जाता है। बिजनौर में दिलीप कुमार को जिलाध्यक्ष बनाया गया। रामपुर में सुरेंद्र सागर को जिलाध्यक्ष बनाया गया , सुरेंद्र सागर पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री रह चुके हैं, उन्होंने बसपा के साथ काफी समय से काम किया है और नई रणनीति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। मथुरा में गोवर्धन को जिलाध्यक्ष बनाया गया है, वह पहले भी जिलाध्यक्ष का पद संभल चुके हैं।
बसपा ने अब युवा के साथ अनुभव को तवज्जो देने का फैसला किया है। 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की पूर्व बहुमत से सरकार बनी थी तब मायावती ने अनुभव और युवाओं को मौका दिया था। जिन्होंने सर्व समाज के नारे के साथ बसपा को सत्ता तक पहुंचाया था। हालांकि इसके बाद बसपा लगातार हर चुनाव के हाशिये पर चली गयी। अब फिर से वोट प्रतिशत बढ़ाने और खुद को स्थापित करने के लिए मायावती ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है।
बहुजन समाज पार्टी 31 जुलाई तक बूथ कमेटियों का गठन करने का लक्ष्य लेकर चल रही है उसके बाद कैडर कैंप की शुरुआत होगी। सूत्रों के हवाले से यह भी खबर निकल सामने आ रहा है कि बसपा लोकसभा चुनाव नजदीक आने पर गठबंधन का विकल्प ले सकती है। पार्टी के रणनीतिकारों ने मंथन शुरू कर दिया है कि कांग्रेस के साथ जाना सही है या अकेले चुनाव लड़ना हालांकि मायावती ने साफ किया है कि वह फ़िलहाल गठबंधन से ज्यादा पार्टी को मजबूत करने में जुटी हैं। इसमें बड़ी जिम्मेदारी बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद उठा रहे हैं और चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी मुख्य भूमिका होगी।