कांग्रेस नेताओं की आ रही नई किताबें और बेबाकी पार्टी की लगातार किरकिरी करा रही हैं। अयोध्या पर सलमान खुर्शीद की पुस्तक के विवाद का उबाल अभी थमा भी नहीं है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के बाद तत्कालीन मनमोहन सरकार के पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठाया है। उनके मुताबिक पाकिस्तान के खिलाफ सख्त त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
तिवारी ने मनमोहन सरकार की इस घटना पर अपनायी गई संयम को कमजोरी बताते हुए इसकी आलोचना की है और यह कहने से गुरेज नहीं किया है कि यह ताकत की निशानी तो नहीं ही थी। कांग्रेस के वर्तमान राजनीतिक हालातों को लेकर लंबे समय से मुखर आवाज उठाते आ रहे मनीष तिवारी ने 26/11 आतंकी हमले के बाद यूपीए सरकार की रणनीति पर यह सवाल जल्द आने वाली अपनी नई किताब ’10 फ्लैश प्वाइंट, 20 इयर्स, नेशनल सिक्यूरिटी सिचुएशनस दैट इंपैक्टेड इंडिया’ के एक अध्याय में उठाया है। तिवारी ने मंगलवार को खुद सोशल मीडिया पर इस पुस्तक के शीघ्र आने की घोषणा करते हुए कहा कि पुस्तक में बीते दो दशक की राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से जुड़े मुद्दों का निष्पक्ष तरीके से आकलन करने का प्रयास किया है।
मुंबई के 2008 में हुए आतंकी हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से करते हुए मनीष तिवारी ने लिखा है कि एक समय आता है जब सीधे कार्रवाई शब्दों से ज्यादा मुखर और महत्वपूर्ण होती है। इसलिए उनका मानना है कि 9/11 के परिप्रेक्ष्य में भारत को उस समय अमेरिका की तरह ही पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी
तिवारी ने कहा कि पुस्तक के एक अंश पर भाजपा की प्रतिक्रिया से वे हैरान हैं और उन्हें आश्चर्य होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों से निपटने की उनकी सरकार की रणनीति से जुड़े पुस्तक के अंशों पर वे इस तरह की प्रतिक्रिया देंगे। तिवारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषकर चीन से निपटने की मोदी सरकार की रणनीति को लेकर भी पुस्तक में सवाल उठाया है। विशेषकर चीन से निपटने के लिए सेना के विशेष माउंटेन कोर बनाने के यूपीए सरकार के निर्णय को रद करने के एनडीए सरकार के फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तिवारी की पुस्तक को लेकर कांग्रेस पर उठाए जा रहे सवालों पर पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि अभी तो किताब आयी भी नहीं है और इसे बगैर पढ़े प्रतिक्रिया देना संभव नहीं है।