लखनऊ:(द दस्तक 24 न्यूज़) 01 मई 2025 उत्तर प्रदेश अपने स्वयं के प्लेटफार्म का उपयोग करके वैक्सीन प्रिवेन्टेबिल डिजीजेस (VPDs) की रीयल टाइम डिजिटल सर्विलान्स शूरु करने वाला पहला राज्य बना।
1 मई से उत्तर प्रदेश सरकार यूनीफाइड डिजीज सर्विलान्स पोर्टल (यूडीएसपी) पर वैक्सीन प्रिवेन्टेबिल डिजीजेस (वीपीडी) का डिजिटल सर्विलान्स शुरू करेगी। यह पहल, रीयल टाइम केस रिपोर्टिंग, सटीक और विश्वसनीय डेटा संग्रह को सक्षम करेगी, जिससे रोगों/प्रकोपों का शीघ्र पता लगाया जा सके और त्वरित गति से प्रभावी रणनीतियां तैयार कर क्रियान्वयन किया जा सके।
वैक्सीन से रोके जा सकने वाली 6 बीमारियों – पोलियोमाइलाइटिस (एक्यूट प्लेसीड पैरालिसिस), खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटनेस के लिए केस बेस्ड सर्विलान्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सहयोग नेटवर्क (एनपीएसएन) के सहयोग से सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Program) के तहत चल रही है। अब, पहली बार, इस निगरानी को यूडीएसपी में इंटीग्रेट किया जाएगा, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के बाद विकसित एक राज्य के स्वामित्व वाला डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्य राज्य के लिए एकीकृत निगरानी प्रणाली के रूप में कार्य करना है। यूपी देश का पहला राज्य है जिसने ऐसा प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया है, जिसे शुरू में मई 2023 में 12 अधिसूचित रोगों के लिए लॉन्च किया गया था और तब से यह बड़े पैमाने पर क्रियाशील है।
लॉन्च के बारे में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा, “हमारे यूनीफाइड डिजीज सर्विलान्स पोर्टल (यूडीएसपी) के माध्यम से टीकों से रोकी जा सके वाले रोगों की डिजिटल निगरानी (सर्विलान्स) से जिलों और राज्य के बीच तीव्र गति से (faster communication) संवाद संभव हो सकेगा, जिससे इन रोगों की शीघ्र पहचान और पब्लिक हेल्थ रिस्पांस की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। इससे हमें समय पर, सटीक डेटा मिलेगा, जो हमारे टीकाकरण कार्यक्रमों की योजना और निगरानी की बेहतर योजना तैयार कर निगरानी की जा सकेगी, साथ ही टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए त्वरित कार्यवाही की जा सकेगी इसके अतिरिक्त, इस प्लेटफ़ॉर्म का एक प्रमुख लाभ यह है कि हमारे नागरिकों को अपनी लैब रिपोर्ट ऑनलाइन आसानी से मिल जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे उन्हें COVID रिपोर्ट मिली थी। इस पहल को सफल बनाने के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों और स्टाफ की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है।”
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल आईएएस ने कहा कि, एनएचएम के शुरू होने के बाद “टीकाकरण के परिणामों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाए। नियमित टीकाकरण के अलावा, हर साल सभी बच्चों तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशेष टीकाकरण अभियान चलाते हैं। पिछले दो-तीन वर्षों में, हमने डिप्थीरिया के मामलों में उम्र के हिसाब से बदलाव देखे हैं, बड़े बच्चों में इसके मामले ज़्यादा देखे जा रहे हैं, इसी कारण से हम इस वर्ष भी एक विशेष टीकाकरण अभियान चला रहे हैं। यूडीएसपी पर वीपीडी निगरानी लाने से इन रोगों के बारे में हमारी समझ और बेहतर होगी और भविष्य की कार्य योजना बनाने में मदद मिलेगी।”
इस बारे में विस्तार से बताते हुए राज्य टीकाकरण अधिकारी (SEPIO) डॉ. अजय गुप्ता ने कहा, “इस साल 24 अप्रैल से शुरू हुए विश्व टीकाकरण सप्ताह के तहत हम पूरे प्रदेश में स्कूल-आधारित टीडी टीकाकरण अभियान चला रहे हैं। सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में कक्षा 5 और कक्षा 10 के छात्रों को उनके स्कूलों में मुफ़्त टीडी टीके लगाए जा रहे हैं। इन प्रयासों के माध्यम से, यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी बच्चा टीकाकरण के अभाव में सुरक्षित भविष्य से वंचित न रहे।
एनएचएम-यूपी के नियमित टीकाकरण महाप्रबंधक डॉ. मनोज शुकुल ने कहा, “हम विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान खसरा-रूबेला (एमआर) उन्मूलन के लिए एक विशेष अभियान भी चला रहे हैं। मार्च और अप्रैल 2025 में हुए राज्यव्यापी सर्वेक्षण में 1.7 लाख से अधिक बच्चों की पहचान की गई, जिन्होंने एमआर 1/एमआर 2 वैक्सीन की अपनी निर्धारित खुराक नहीं ली है। हम यह प्रयास कर रहे हैं कि विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान चलाए जा रहे विशेष अभियान के दौरान इन बच्चों का टीकाकरण किया जाए, हम दिसंबर 2026 तक खसरा और रूबेला को खत्म करने के भारत सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत इन बच्चों को तुरंत टीका लगाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।”
राज्य निगरानी अधिकारी डॉ. विकासेंदु अग्रवाल ने कहा, “हमने मई 2023 में यूडीएसपी लॉन्च किया, जो देश का पहला राज्य है जिसके पास 12 अधिसूचित बीमारियों की निगरानी के लिए अपना डिजिटल निगरानी प्लेटफार्म है। अब तक, इस पोर्टल पर 60 लाख से अधिक टेस्ट रिपोर्ट दर्ज किए गए हैं, और इसने हमें डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम एवं नियंत्रित करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई करने और निगरानी करने की अनुमति दी है। हमने इस ABDM-अनुरूप पोर्टल को राष्ट्रीय पोर्टलों के साथ सफलतापूर्वक इंटीग्रेट किया है, जिससे केंद्र सरकार के साथ निर्बाध रूप से डेटा साझा करना संभव हो गया है। वीपीडी निगरानी के इंटीग्रेशन के साथ, हमारे पास इन अतिरिक्त छह बीमारियों के लिए रीयल टाइम डेटा होगा, जो हमें कार्यक्रम को और बेहतर बनाने में मदद करेगा।”
चूंकि टीकाकरण, रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रयास है, परंतु रोगों के पैटर्न की लगातार निगरानी करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इससे हमें टीकाकरण कवरेज में गैप की पहचान करने और रोग/महामारी विज्ञान में मूल्यवान जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस तरह के डेटा से सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी त्वरित कार्रवाई संभव होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न हो। यूडीएसपी पर वीपीडी निगरानी का इंटीग्रेशन उत्तर प्रदेश के रोग का पता लगाने, रिस्पांस टाइम में सुधार करने और पूरे राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।