हाथरस कांड को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासत गरमाई हुई है। इस बीच वाल्मीकि समाज के लोगों में भी घटना को लेकर काफी नाराजगी है। हाथरस कांड से आहत गाजियाबाद के दलित समुदाय के दो सौ से ज्यादा लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है। एक हफ्ते पहले साहिबााबाद इलाके के गांव में समाज के लोगों की सभा में धर्म परिवर्तन का फैसला लिया गया।
गाजियाबाद के करहेड़ा गांव के इलाके में आसपास की बस्तियों में रहने वाले 50 वाल्मीकि परिवारों के 236 लोगों ने बाबासाहेब आंबेडकर के परपोते राजरत्न आंबेडकर की मौजूदगी में धर्म परिवर्तन करते हुए बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। इन सभी लोगों का कहना है कि उन्हें हर जगह दबाया जा रहा है और न्याय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका जीता-जागता उदाहरण हाथरस कांड है। इस कांड के बाद वाल्मीकि समाज के लोग बेहद आहत हैं। इसलिए अब धर्म परिवर्तन करने का सभी लोगों ने फैसला लिया है।
इस मामले में सुशील कुमार कठेरिया (राष्ट्रिय अध्यक्ष किसान सेना रिपब्लिक पार्टी) ने कहा कि हाथरस की घटना के बाद योगी सरकार में हमारा भरोसा नहीं रहा है। हिंदू समाज के लोग बाल्मीकि समाज को अपना नहीं मानते और मुस्लिम समाज उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा। हाथरस में जो कुछ हुआ, उसके बाद हमें एहसास हो गया कि सरकार कानून के मामले में फेल है।