आज हम लेकर आएं हैं शाक्य वंश की सबसे बड़ी खबर . हम आपको आज बताएंगे शाक्य वंश के वे सुरमा जो पहुंचे भारतीय संसद . बारी बारी से हम सबकी डिटेल के साथ आपको उनकी खास जानकारी देंगे . जिसे देखकर आप रोमांचित हो जायेंगे .द दस्तक 24 आपके लिए हर खास खबर या रिपोर्ट को आप तक पहुंचाने में हमेसा सबसे अलग और सबसे आगे रहता है . तो आज हमारे सबसे अलग ,सबसे खास रिपोर्ट में देखेंगे शाक्य वंश के वे सुरमा जो पहुंचे है संसद अब ये दहाड़ेंगे संसद में . बात करते हैं पहले संसद सदस्य की
1.पूर्णिया से सन्तोष कुशवाहा(जदयू)
अबकी बार, वही सांसद जिसकी सरकार। पूर्णिया के मतदाताओं ने संतोष को चुनकर दो दशक पुराने ट्रेंड को भी इस बार बदल डाला। एनडीए प्रत्याशी संतोष कुशवाहा 54.85 फीसदी मत हासिल कर लगातार दूसरी बार पूर्णिया के सांसद चुन लिए गए हैं। इस चुनाव में कई रिकार्ड कायम हुए। पूर्णिया में पहली बार सबसे अधिक मतदान का रिकार्ड बना। जनता ने पहली बार रिकार्ड छह लाख से अधिक मतदान विजयी प्रत्याशी के पक्ष में किया। संतोष कुशवाहा को 6,32,924 मत हासिल हुआ, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी उदय सिंह को 369463 मत हासिल हुआ। संतोष कुशवाहा ने कांग्रेस प्रत्याशी को 263461 के भारी अंतर से पराजित किया। पूर्णिया में अब तक कि यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले पप्पू यादव ने 1996 में 3.16 लाख मतों से जीत हासिल की थी।
17 वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसद संतोष कुशवाहा पूर्णिया सीट के पांचवें ऐसे सांसद बन गए, जिन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल की है। इनके पहले दो बार संसद जाने वालों में फणीगोपाल सेन गुप्ता, माधुरी सिंह, राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव एवं उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह शुमार थे। कुशवाहा ने इस बार भी पूर्व सांसद उदय सिंह को हराया। पिछले चुनाव से फर्क इतना था कि उस चुनाव में उदय सिंह भाजपा का कमल लेकर चुनाव लड़ रहे थे, वहीं जदयू के संतोष कुमार कुशवाहा को इस बार कमल का बैकअप मिला था। हालांकि इस चुनाव में उदय सिंह को भी राजद का साथ अवश्य मिला, मगर चुनावी दंगल में वे मात खा गए। पिछले चुनाव में मोदी फैक्टर को दरकिनार कर यहां के मतदाताओं ने जदयू को विजय का सेहरा बांधा था। राजनीति विशेषज्ञों की मानें तो इसबार के चुनाव में स्थानीय मुद्दे पूरी तरह गौण हो गए। लोगों की जुबान पर केवल देश की सुरक्षा को लेकर चर्चाएं थीं। मतदाता एक बार फिर नरेन्द्र मोदी को देश की बागडोर सौंपने को आतुर थे। मोदी विरोधियों के सारे दांवपेंच पर मतदाता चुप्पी साधे आत्ममंथन कर रहे थे। नतीजतन, मोदी के नाम ने ही इस बार कुशवाहा का बेड़ा पार किया।
2.सलेमपुर से रविन्द्र कुशवाहा(भाजपा)
सलेमपुर संसदीय सीट का जनाधार एक बार फिर भाजपा के साथ गया। निर्वतमान सांसद रवींद्र कुशवाहा ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। यहां बसपा के प्रदेश अध्यक्ष व गठबंधन प्रत्याशी आर.एस. कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के रवींद्र कुशवाहा 112110 वोटों से जीत गए, जिन्हें कुल 463930 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे गठबंधन प्रत्याशी आरएस कुशवाहा को कुल 351820 मतों से संतोष करना पड़ा। इस सीट पर सुभासपा उम्मीदवार राजाराम राजभर 33504 वोट पाकर तीसरे स्थान पर तथा वाराणसी के पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्र 26970 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे।
3.कुरूक्षेत्र से नायब सिंह सैनी(भाजपा)
हरियाणा की कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के परिणाम में राज्य के मंत्री नायब सिंह ने 6,88,629 मत प्राप्त कर कांग्रेस के निर्मल सिंह को 384591 मतों के अंतर से पराजित कर दिया है। निर्मल सिंह को 3,04,038 वोट मिले हैं। भाजपा की शानदार जीत के साथ ही इस बार कुरुक्षेत्र में जहां वरिष्ठ इनेलो नेता अभय सिंह
चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र से हार गए वहीं 22 उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हरियाणा के प्रमुख राजनीतिक परिवारों के गढ़ों को ढहाते हुए सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। कुरुक्षेत्र जिला हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है। वर्तमान में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से राजकुमार सैनी सांसद हैं। वह 2014 में वह दो बार के कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल को हराकर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद में पहंचे थे। हालांकि, बाद में उन्होंने लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी नाम से अपना अलग दल बना लिया। कुरुक्षेत्र जिला धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। कौरव और पांडवों के बीच हुआ महाभारत का युद्ध भी यहीं लड़ा गया था।
यहां के ब्रह्मसरोवर कुंड का भी ऐतिहासिक महत्व है। रोजाना सैकड़ों लोग यहां पवित्र जल में स्नान करने पहुंचते हैं।
कहा जाता है कि यहां स्थित विशाल तालाब का निर्माण महाकाव्य महाभारत में वर्णित कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने करवाया था। कुरुक्षेत्र नाम ‘कुरु के क्षेत्र’ का प्रतीक है। कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका ऋग्वेद और यजुर्वेद में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहां की पौराणिक नदी सरस्वती का भी अत्यंत महत्त्व है।
4.बंदायू से संघमित्रा मौर्य(भाजपा)
पिछले लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर में बदायूं में सपा का किला बच गया था, लेकिन इस बार चली मोदी की सुनामी में सपा का किला ध्वस्त हो गया। 1991 के बाद यहां जीत के लिए तरस रही भाजपा ने बदायूं की सीट पर कब्जा जमा लिया। कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी भाजपा की डॉ.संघमित्रा मौर्य ने 511228 वोट प्राप्त कर सपा के धर्मेंद्र यादव को 18584 मतों से पराजित कर दिया। धर्मेंद्र यादव को 492644 वोट मिले।
वहीं बदायूं सीट से पांच बार सांसद रहे कांग्रेस के सलीम इकबाल शेरवानी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। उन्हें 51942 मतों से ही मिल सके। मतगणना के बाद मंडी समिति से लेकर भाजपा कार्यालय तक जश्न मनाया गया।
5.काराकट से महाबली सिंह कुशवाहा( जदयू)
काराकाट लोकसभा क्षेत्र से एनडीए के जदयू प्रत्याशी महाबली सिंह ने जीत दर्ज की है। उन्होंने रालोसपा प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को 84542 वोट से पराजित किया। तीसरे स्थान पर भाकपा माले के राजाराम सिंह रहे। इन्हें 21715 मत प्राप्त हुए।
महाबली सिंह को 398408 मत मिले। जबकि उपेंद्र कुशवाहा को 313866 वोट से संतोष करना पड़ा। महाबली सिंह व उपेंद्र कुशवाहा को छोड़ अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है, जबकि 22104 लोगों ने प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया है।कभी एनडीए के सदस्य रहे उपेंद्र कुशवाहा की वजह से काराकाट लोकसभा पर सबकी नजर थी, मगर उपेंद्र हार गए।
6.बाल्मीकी नगर से बैजनाथ महतो कुशवाहा (जदयू)
वाल्मीकि नगर से जनता दल यूनाइटेड के बैद्यनाथ प्रसाद महतो पांच लाख वोट के साथ जीते . वहीं कांग्रेस के शाश्वत केदार सिर्फ दो लाख वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे .वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आता है. ये इलाका नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और बिहार के सुदूर उत्तर में पड़ता है. 2002 के परिसीमन के बाद साल 2008 में पहली बार ये लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इससे पहले ये सीट बगहा के नाम से जानी जाती थी.वाल्मिकी नगर लोकसभा सीट पर 12 मई को छठे चरण में वोट डाले गए थे. चुनाव आयोग के मुताबिक इस संसदीय क्षेत्र में 1664048 रजिस्टर्ड मतदाता हैं, जिनमें से 1029964 ने वोट डाला. इस सीट पर 61.90 फीसदी वोटिंग हुई.
7. दीया कुमारी राजसमंद लोकसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव 2019 के तहत राजस्थान की राजसमंद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी दीया कुमारी ने कांग्रेस उम्मीदवार देवकीनंदन उर्फ काका को 551916 वोटों के अंतर से हरा दिया .बीजेपी प्रत्याशी दीया कुमारी 863039 को वोट मिले. वहीं, उनके नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के देवकीनंदन उर्फ काका 311123 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. बहुजन समाज पार्टी के चैनाराम 15955 वोटों के साथ तीसरे और अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के चंद्रप्रकाश तंवर 12887 वोटों के साथ चौथे पायदान पर रहे.
दीया कुमारी अपने समाज सेवा से जुड़े कामकाज और पूर्व कछवाहा राजपरिवार की प्रतिष्ठा के चलते जयपुर में चर्चित शख्सियत के तौर पर पहचानी जाती हैं. वे अपनी पारिवारिक कछवाहा विरासत सिटी पैलेस और जयगढ़ फोर्ट समेत अन्य इमारतों और हेरिटेज के संरक्षण के कामकाज में भी व्यस्त रहती हैं. दीया जयपुर के पूर्व कछवाहा राजपरिवार के सदस्य सवाई भवानी कछवाहा और पद्मनी देवी कछवाहा की बेटी हैं. उन्होंने अपनी शिक्षा जयपुर, दिल्ली व लंदन से की. दीया ने सिवाड़ के कोठड़ा ठिकाने के नरेंद्र सिंह राजावत से प्रेम विवाह किया. यह विवाह अगस्त 1997 में हुआ था.दीया कुमारी, जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह और उनकी पहली पत्नी मरुधर कंवर के बेटे भवानी सिंह और पद्मिनी देवी की इकलौती संतान हैं.दीया की पढ़ाई नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल और जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल में हुई. हायर स्टडी के लिए दीया लंदन चली गई थीं.सितम्बर 2013 में जयपुर में हुई रैली के दौरान दीया ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. और बीजेपी ने उन्हें सवाई माधोपुर से टिकट थमा दिया.दीया कुमारी को सवाई माधोपुर से बहुमत मिला और डॉ. किरोड़ीलाल को शिकस्त देते हुए विधानसभा पहुंचीं.
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