बीजेपी जहां अपने उम्मीदवारों के नामों के ऐलान की तैयारी में है तो दूसरी ओर कई नेताओं के लिए मानो दल बदल प्रतियोगिता शुरू हो गयी है. जिसे जहां टिकट की उम्मीद नजर आ रही है वो अपना पाला बदल रहा है.
जहां से आस, उसी का साथ. 2019 के चुनावी समर से ठीक पहले कुछ इसी फॉर्मूले पर चल रहा है दल-बदल का खेल अभी तो नॉमिनेशन शुरू होने वाले हैं. उससे पहले कुछ नेताओं का पार्टी आलाकमाना से भरोसा टूटा रहा है, तो कहीं जुट रहा है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्मयंत्री और बीजेपी नेता बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी ने बीते शनिवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया. राहुल गांधी की मौजूदगी में उन्होंने हाथ को मजबूत करने का वादा किया. अमेरिका में पढ़े-लिखे मनीष ने पहली बार सियासत में कदम रखा. पिता बीजेपी के दिग्गज नेता हैं, तो बेटे ने नई लकीर खींची है.
बीजेपी के लिए दूसरा बड़ा झटका प्रयागराज से लगा. वहां के वर्तमान सांसद श्यामाचरण गुप्ता ने बीजेपी का दामन छोड़कर अखिलेश की साइकिल की सवारी करने का फैसला किया. खबरें थीं कि बीजेपी इस बार श्यामाचरण गुप्ता को टिकट नहीं देगी. इसी वजह से वो लंबे समय से नाराज थे.
चुनावी मौसम में पाला बदलने का ये खेल सिर्फ कांग्रेस बीजेपी में नहीं चल रहा. दूसरी पार्टियों के कुछ नेताओं में ये दौड़ जारी है. इसकी ताजा मिसाल हैं- एचडी कुमारस्वामी के करीबी दानिश अली. जेडीएस के दिग्गजों पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और कर्नाटक के सीएम एच डी कुमारस्वामी के लिए दिल्ली में मानो दुभाषिया का काम करने वाले दानिश अली ने अब बीएसपी से हाथ मिला लिया है, हालांकि कुमारस्वामी का कहना है कि दानिश अली आपसी सहमति से बीएसपी में गए हैं.
अभी ज्यादा वक्त नहीं हुए, जब करीब दो दशक तक कांग्रेस से जुड़े रहे टॉम वडक्कन ने दुखते मन किनारा कर लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. उन्हें यूपीए अध्यक्ष सोनिया का करीबी माना जाता था. वहीं, कभी ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी रहे जय पांडा अब बीजेपी के हो चले हैं. वो लंबे समय पहले ही पार्टी से अलग हो गए थे. दूसरी ओर बीजेपी ने बीजेडी के सांसद बलभद्र मांझी को भी अपने साथ जोड़ा है. बीजेपी ने बंगाल में भी सेंध लगाई है. टीएमसी सांसद अनुपम हाजरा बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
वही महाराष्ट्र में विधानसभा के नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय का भी बीजेपी ने वेलकम किया है. यूपी-बिहार से भी बीजेपी के दो नेता भी कांग्रेस के हो चुके हैं. कांग्रेस ने बीजेपी की बागी सावित्री बाई फुले को बहराइच से टिकट दिया है, तो बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति झा आजाद को भी टिकट मिलने की पूरी संभावना है.