लोकसभा ने बुधवार को ‘सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरुद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी। सभी दलों ने पार्टी लाइन से इतर इस विधेयक का समर्थन किया।
विधेयक पर चर्चा के जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं और इनमें से कुछ देश हमारे काफी पास हैं। जयशंकर ने कहा कि सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1540, सामूहिक संहार के हथियारों संबंधी 2005 के कानून, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की विवेचना एवं अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण पर रोक लगाने के प्रविधान वाला विधेयक लाई।
जयशंकर ने कहा कि हम एक ऐसे कानून को उन्नत बना रहे हैं जो 17 वर्ष पुराना है और यह सुशासन का उदाहरण है। विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 1947 में संसद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कानून बनाया था जिसमें यह दायित्व था कि सरकार सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव को प्रभाव में लाने के लिए कदम उठायेगी हालांकि इसमें बल प्रयोग नहीं शामिल होगा।
एनएसजी में भारत के प्रवेश को बाधित कर रहे कुछ देश
जयशंकर ने कहा कि न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के लिए आम सहमति आवश्यक है। कुछ देशों की तो वास्तविक चिंताएं हैं, लेकिन कुछ देशों का और ही एजेंडा है और वे इसमें बाधा डाल रहे हैं।