वकालत से सियासत तक , जानें हिमंत बिस्व सरमा का पूरा राजनीतिक सफरनामा

हिमंत बिस्वा सरमा के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1980 से हुई थी। उस समय वो छठी कक्षा में थे। उन्होंने ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ज्वाइन की। इसके बाद उन्हें गुवाहाटी यूनिट का जनरल सेक्रेटरी बना दिया गया था। 1990 के दशक में वो कांग्रेस में शामिल हुए और पहली बार 2001 में जालुकबारी सीट से चुनाव लड़ा। 

अब वो लगातार पांचवीं बार जालुकबारी विधानसभा सीट से विधायक चुने जा रहे हैं। 2015 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी। 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमंत बिस्वा सरमा की अहम भूमिक रही। 2016 में असम जीतने के बाद उन्हें नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का अध्यक्ष बना दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने का बड़ा काम किया था। 

कामरूप अकादमी से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद हिमंत ने कॉटन कॉलेज गुवाहाटी में दाखिला लिया। पॉलिटिकल साइंस में स्नाकोत्तर किया और वो छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। इसके बाद उन्होंने सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी (कानून) और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री ली। पांच साल तक उन्होंने गुवाहाटी कोर्ट में वकालत की। 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तरूण गोगोई से विवाद के बाद उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। 

हिमंत बिस्वा सरमा को राहुल गांधी के कुत्ते के प्रेम को तरजीह देना कभी पसंद नहीं आया। एक बार सरमा ने खुद ट्वीट कर बताया कि जब कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ असम के अहम मुद्दों पर बातचीत करना चाहते थे तो वो उस वक्त अपने कुत्ते को बिस्किट खिला रहे होते थे, जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आता था, इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।